यूपी- 5 हत्याएं, 10 दिन और कोई ठोस सबूत नहीं… राजेंद्र गुप्ता और फैमिली मर्डर केस में वाराणसी पुलिस के पास सिर्फ कहानी – INA

वाराणसी कमिश्नरेट की पोलिसिंग पर एमसीए किया हुआ एक सॉफ्टवेयर डेवलपर भारी पड़ रहा है. राजेंद्र गुप्ता परिवार के सामूहिक हत्याकांड में पुलिस 30 साल के विशाल उर्फ़ विक्की को पांचों हत्याओं के लिए जिम्मेदार बता रही है लेकिन विक्की के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है. राजेंद्र की मां शारदा देवी के बयान के अतिरिक्त पुलिस के पास कोई और ठोस सबूत नहीं है.

डीसीपी काशी जोन गौरव वंशवाल ने बताया कि अभी तक की जांच में यही पता लगा है कि संभवतः विक्की ने ही अकेले सबको मारा है. पहले रोहनिया में राजेंद्र गुप्ता की हत्या की फिर भदैनी आकर चार लोगों की हत्या की. हत्या के समय सभी चारों जगे हुए थे क्योंकि सभी की डेड बॉडी फर्श पर पड़ी मिली है. भदैनी और रोहनिया दोनों जगहों के क्राइम सीन पर कई लोगों के निशान नहीं मिले हैं.

गौरव वंशवाल ने बताया कि विक्की तकनीकी के मामले में अपडेटेड है. यही वजह है कि कोई भी इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस सामने नहीं आ पाया है. 24 अक्टूबर से ही विक्की ने मोबाइल का इस्तेमाल बंद कर दिया था. विक्की के धरपकड़ के लिए कई टीमें लगी हुई हैं. डीसीपी गौरव वंशवाल ने बताया कि विक्की ने पूरे परिवार को खत्म करने का प्लान डेढ़ साल पहले अहमदाबाद में बनाया था. वहां पर विक्की एप डेवलपर के लिए फ्रीलांसिंग किया करता था. अभी भी पुलिस की कई टीमें अहमदाबाद, बेंगलुरु और मुंबई में विक्की की तलाश में लगी हुई हैं.

80 के दशक की फिल्मी स्टोरी

वाराणसी पुलिस की थ्योरी ऐसी है जैसे अस्सी के दशक की किसी मुंबईया फ़िल्म की कहानी हो. अस्सी के दशक में जैसे मां-बाप के कातिलों से बदला लेने पर आधारित फिल्में बनती थी. उसी तर्ज पर वाराणसी कमिश्नरेट गुप्ता परिवार हत्याकांड को भी सुलझाने की कोशिश में है. राजेंद्र ने विक्की के मां-बाप की हत्या की और उसे प्रताड़ित करता था. इसलिए विक्की ने राजेंद्र और उसके पूरे परिवार को खत्म कर दिया. पुलिस इस हत्याकांड को खून का बदला, संपत्ति के लालच और रंजिश के चश्मे से ही देख रही है.

कोई ठोस सबूत नहीं

दादी शारदा देवी की गवाही और सर्कमटेन्शियल एविडेंस के आधार पर एक कहानी गढ़ कर अकेले विक्की को हत्यारा बताने में लगी है. बीस से ज्यादा परिवार के लोगों के बीच कई राउंड फायर और चार लोगों की हत्या हुई है लेकिन किसी को कानों कान खबर नहीं लगी. ये अपने आप में चौँकाने वाली बात है. फिलहाल दस दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के पास एक घिसी पिटी कहानी के अलावा हाथ में कुछ नहीं है.


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