यूपी- DSP को इंस्पेक्टर बनाने का आदेश निरस्त, लक्ष्मी सिंह को हाई कोर्ट से बड़ी राहत – INA
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुलिस उपाधीक्षक/डिप्टी एसपी लक्ष्मी सिंह चौहान को पुलिस इंस्पेक्टर के पद पर पदावनति देने के आदेश को अवैध करार देते हुए रद्द कर दिया है. याची को डिप्टी एसपी के पद पर बहाल करने का आदेश दिया है. कोर्ट ने याची को लोक सेवा आयोग द्वारा डिप्टी एसपी से इंस्पेक्टर बनाए जाने की संस्तुति को भी निरस्त कर दिया है. अधिवक्ता विजय गौतम की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस अजित कुमार ने ये आदेश दिया है.
साल 2019 में लक्ष्मी सिंह चौहान गाजियाबाद में निरीक्षक के पद पर कार्यरत थीं. 25 सितंबर 2019 को लक्ष्मी और 6 अन्य पुलिस कर्मियों के खिलाफ डिप्टी एसपी साहिबाबाद राकेश कुमार मिश्र ने गाजियाबाद में एफआईआर दर्ज कराई. उन पर गाजियाबाद के थाना लिंक रोड में आईपीसी की धारा-409 और 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में मामला दर्ज हुआ.
1 जनवरी 2020 को पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की
इन सभी खिलाफ यह आरोप था कि नोएडा निवासी राजीव सचान को 31 लाख रुपये के साथ और आमिर को 14 लाख 81 हजार पांच सौ रुपये के साथ गिरफ्तार किया गया. पूछताछ में राजीव कुमार द्वारा अपने पास से करीब 55 लाख रुपये और आमिर द्वारा अपने पास से करीब 60-70 लाख रुपये बरामद होना बताया.
बरामद की गई रकम और आरोपियों द्वारा पूछताछ में बताई गई रकम में करीब 70-80 लाख रुपये का अंतर था. इस केस में याची सहित सभी 6 अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ 1 जनवरी 2020 को पुलिस ने धारा 409/411, 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में चार्जशीट दाखिल की.
हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया गया
याची इंस्पेक्टर की तरफ से कोर्ट में अधिवक्ता विजय गौतम पेश हुए. उन्होंने बताया कि विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ में चार्ज शीट दाखिल होने के बाद डिस्चार्ज अप्लीकेशन दाखिल की गई. इस पर स्पेशल जज भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ ने 2 सितंबर 2021 को आदेश पारित करते हुए याची और 6 अन्य पुलिसकर्मियों को धारा 7/13 भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम से डिस्चार्ज कर दिया.
उसके बाद सरकार द्वारा उक्त डिस्चार्ज आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन दाखिल किया गया. इसमें हाई कोर्ट ने 10 दिसंबर 2021 को याची को नोटिस जारी किया. साथ ही विशेष न्यायालय भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम मेरठ के आदेश को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया.
29 अगस्त 2023 को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति दी गई
अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि 23 अप्रैल 2022 को याची के बैच के 33 इंस्पेक्टरों को डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गई. याची का क्रिमिनल केस विचाराधीन होने के कारण डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति नहीं दी गई. याची से जूनियर निरीक्षकों को भी डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति कर दिया गया.
हाई कोर्ट ने शासनादेश के अनुसार, याची की पदोन्नति पर फैसला लेने का निर्देश दिया. इसके बाद 29 अगस्त 2023 को याची को उत्तर प्रदेश शासन द्वारा डिप्टी एसपी के पद पर पदोन्नति प्रदान कर दी गई. साथ ही पदोन्नति आदेश के तहत याची ने 30 अगस्त 2023 को पुलिस उपाधीक्षक के पद पर आगरा में चार्ज लिया.
11 जून 2024 को पदोन्नति आदेश को निरस्त कर दिया गया
9 महीने डिप्टी एसपी के पद पर कार्य करने के बाद उनको 11 जून 2024 को विशेष सचिव गृह के आदेश पर डिप्टी एसपी के पद पर की गई पदोन्नति आदेश को निरस्त कर दिया. इसके बाद उन्हें इंस्पेक्टर बना दिया गया. ये आदेश उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की संस्तुति के आधार पर पारित किया गया.
याची ने गृह विभाग के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी. कोर्ट ने शासन और पुलिस के आलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि याची डिप्टी एसपी पद पर पदोन्नति रहेगी. यह पदोन्नति पुलिस उपाधीक्षक के रूप में उसके खिलाफ चल रही कार्यवाही के फैसले पर निर्भर करेगी.
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