यूपी- Majhawan By Election Result 2024 LIVE Updates: मझवां सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला, जानें कैसा रहेगा यहां का शुरुआती रुझान – INA

उत्तर प्रदेश की मझवां विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बहुत कड़ा मुकाबला देखने को मिला है. उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों में से एक मिर्जापुर जिले की इस सीट पर 20 नवंबर को वोटिंग हुई और आज थोड़ी ही देर बाद वोटों की गिनती होने वाली है.

इस उपचुनाव में समाजवादी पार्टी के टिकट पर ज्योति बिंद मैदान में हैं तो उन्हें टक्कर देने के लिए बीजेपी ने सुचिस्मिता मौर्य को टिकट दिया है. वहीं बसपा के टिकट पर दीपक तिवारी इस लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने की कोशिश कर रहे हैं.

2022 में क्या रहा था परिणाम

इस विधानसभा सीट से साल 2022 में निषाद पार्टी के विनोद कुमार बिंद विधायक चुने गए थे, लेकिन 2024 में वह सांसद चुन लिए गए. ऐसे में खाली हुई सीट पर अब उपचुनाव कराया जा रहा है. इस उपचुनाव में सबसे खास बात यह है कि दिग्गज नेताओं की बेटी और बहू मैदान में हैं और ये उन्हीं नेताओं की दुहाई देकर वोट भी मांग रही थीं. इस चुनाव में उन नेताओं की भी प्रतिष्ठा फंसी है. बीजेपी के टिकट पर मैदान में उतरीं सुचिस्मिता मौर्य अपने ससुर रामचंद्र मौर्य की विरासत बचाने की कोशिश में हैं.

साल 1996 में रामचंद्र मौर्य यहां से बीजेपी के टिकट पर विधायक बने थे. वहीं 2019 में बीजेपी के ही टिकट पर भदोही से सांसद चुने गए रमेश बिंद की बेटी ज्योति बिंद सपा के टिकट से मैदान में हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक इस सीट पर जाति फैक्टर बड़ा मामला है.

यहां पर बिंद वोटर्स की संख्या करीब 72 हजार है. वहीं दलित 65 हजार तो ब्राह्मणों के वोट भी करीब 70 हजार हैं. इसी प्रकार यादव 40 हजार, मौर्य 35 हजार, पाल 20 हजार, मुस्लिम 25 हजार और पटेल वोटर्स की संख्या 22 हजार हैं. आम तौर पर किसी पार्टी के प्रत्याशी की हार जीत का फैसला बिंद, ब्राह्मण और दलित वोट ही करते रहे हैं.

मझवां सीट का इतिहास

इस सीट पर पहला चुनाव 1967 में हुआ था और कांग्रेस के बेचन राम विधायक चुने गए थे. हालांकि 69 के चुनाव में भारतीय जनसंघ के राम निहोरे प्रसाद यहां से विधायक बने. इसके बाद 1974 में कांग्रेस के रुद्र प्रसाद, 77 में जनता पार्टी के शिवदास त्रिपाठी, 80 और 85 में कांग्रेस के लोकपति त्रिपाठी यहां से विधायक चुने गए.

साल 1989 में जनता दल के टिकट पर रुद्र प्रसाद की वापसी तो हुई, लेकिन 91 और 93 का चुनाव बसपा के भगवत पाल जीते. 96 में यह सीट बीजेपी के खाते में गई और रामचंद्र मौर्य विधायक बने थे. इसके बाद 2002 में बसपा के टिकट पर रमेश चंद बिंद विधायक बने और वह 2007 व 2012 में भी चुनाव जीते. हालांकि 2017 में बीजेपी के टिकट पर सुचिस्मिता मौर्य यहां से विधायक बनी थी. 2022 में यह सीट निषाद पार्टी के विनोद कुमार बिंद ने जीत ली.


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