यूपी – Unnao: मंदिर जीर्णोद्धार के लिए टकराव खत्म, लिखित समझौते के बाद निर्माण शुरू, पढ़ें मामला – INA

रानीपुर गांव में मंदिर के जीर्णोद्धार को लेकर दो समुदाय के बीच पिछले 15 दिन से चल रहा टकराव तहसील प्रशासन ने मंगलवार को सुलझा दिया। एसडीएम के निर्देश पर पहुंची ने राजस्व टीम ने नायब तहसीलदार की अगुवाई में जांच की। जमीन आबादी क्षेत्र की जमीन पर होने की पुष्टि पर नायब तहसीलदार ने दोनों पक्षों से बात की तो वह सहमत हो गए। सहमतिपत्र पर दोनों पक्षों ने हस्ताक्षर कर प्रकरण का पटाक्षेप किया। इसके बाद पुराने शिवाला पर स्लैब डालने के लिए निर्माण कार्य शुरू करा दिया। मालूम हो कि प्रकरण में पुलिस ने दोनों पक्षों के 30 लोगों को पाबंद किया है।

बीघापुर थानाक्षेत्र के रानीपुर गांव में एक वर्ग के कुछ लोग 70 साल पुराने हिंदुओं के आस्था के प्रतीक अर्धनिर्मित शिव मंदिर की स्लैब और निर्माण कराने का विरोध कर रहे थे। एक पखवारे से दोनों पक्ष खुलकर आमने-सामने आ गए थे। गांव में एक वर्ग की संख्या अधिक होने से वह हिंदुओं को रास्ते से निकलने और धार्मिक कार्यक्रमों में अड़चन डाल रहे थे। कोई बड़ा कदम न उठे यह देख पुलिस ने दोनों पक्षों से 30 लोगों को पाबंद भी किया था।


सोशल मीडिया पर चलने के बाद मामले ने तूल पकड़ा। सोमवार को नर सेवा नारायण सेवा के संस्थापक अध्यक्ष विमल द्विवेदी और हिंदू संगठन के अन्य नेताओं के पहुंचने के बाद मामला और गर्माया था। हिंदू नेता ने ग्रामीणों से बात की थी तो पता चला था कि मंदिर करीब 70 साल पुराना है। सबसे पहले चबूतरा बना था। उसी में शंकरजी की मूर्ति थी। बाद में लोगों ने बनवाने का प्रयास किया, लेकिन एक वर्ग के लोगों ने बनने नहीं दिया।

इसके बाद विमल द्विवेदी ने एसडीएम सदर क्षितिज द्विवेदी से मुलाकात कर पूरे मामले की जानकारी दी थी। एसडीएम ने नक्शा निकलवाकर जांच की तो पता चला कि मंदिर और मस्जिद दोनों ही आबादी की जमीन ( भूमि संख्या 691) पर हैं। दोनों की दूरी करीब 100 मीटर है। मंगलवार को एसडीएम ने नायब तहसीलदार स्नेहा यादव के नेतृत्व में कानूनगो अरविंद श्रीवास्तव, लेखपाल राजकिशोर को मौके पर भेज जांच कराई।

नायब तहसीलदार ने अभिलेखों का निरीक्षण किया, जिसमें जमीन संख्या सही मिलने पर हिंदू पक्ष से राजकुमारी, विनोद कुमार, किरण, महानंद, रामबली ,रमेश ,अनिल शर्मा और रमेश से मंदिर की स्थापना के संबंध में लिखित बयान लिए। हिंदू पक्ष ने बयान में कहा कि परंपरागत रूप से पिछली चार पीढि़यों से लगातार मंदिर में पूजन अर्चन सहित सभी धार्मिक अनुष्ठान किए जा रहे हैं। पिलर खड़े होने के बाद भी विशेष वर्ग के लोग छत नहीं डालने दे रहे थे। आयोजनों में भी परेशान किया जाता रहा है।


वहीं विरोध कर रहे पक्ष निहाल और शोएब ने लिखित बयान में कहा कि उनका मंदिर निर्माण को लेकर कोई विरोध नहीं था। बगल में थोड़ी दूरी पर मस्जिद होने से भविष्य में कोई दिक्कत न आए इससे निर्माण न कराने की बात कही गई थी। दोनों पक्षों से समझौता पत्र लिखवाने के बाद नायब तहसीलदार ने मंदिर का निर्माण कार्य शुरू करा दिया। एहतियात के तौर पर गांव में सीओ बीघापुर ऋषिकांत शुक्ला भारी पुलिस बल के साथ मौजूद हैं। उधर मंदिर की स्लैब डालने का काम भी जारी है। नायब तहसीलदार ने बताया कि आबादी की जमीन पर पूरा गांव बसा है। इसी में मंदिर और मस्जिद भी हैं। दोनों पक्षों ने लिखित सहमतिपत्र दिया है। निर्माण कार्य शुरू कर दिया गया है।

गांव में कुल 820 मतदाओं में 600 मुस्लिम
रानीपुर की ग्राम प्रधान सोनी के मुताबिक गांव में कुल वोटर 820 है। जिसमें हिंदू मतदाता 220 और एक वर्ग के 600 मतदाता हैं। विवाद सुलझाने की बात पर उनका कहना था कि लगातार दोनों पक्षों से बात की जा रही थी। लेकिन मुस्लिम पक्ष के लोग अजान को लेकर समझौता करने को तैयार नहीं थे। उनका कहना था कि मंदिर बनने पर उन्हें अजान में दिक्कत आएगी। ग्राम प्रधान होने के नाते जो हो सकता था वह किया। अब मंदिर भी बन जाएगा तो और अच्छा होगा।
 


वर्ग विशेष का आतंक, गांव छोड़कर चले गए कई लोग
रानीपुर निवासी शिवदेवी ने बताया कि गांव में एक वर्ग का आतंक यह है कि पड़ोसी धनी पुत्र नत्थू ने भी मंदिर का निर्माण कराने का प्रयास किया था, उसमें भी एक वर्ग ने अवरोध किया। यही नहीं इतना परेशान किया कि धनी गांव छोड़कर लखनऊ में रहने लगे। मंदिर में आस्था होने से उनका परिवार साल में दो बार दर्शन करने आता है। शिवदेवी के मुताबिक, उन्होंने बेटे की नौकरी और घर बनने की मन्नत भोलेनाथ से मांगी थी। शिव ने सुनी और बेटे की नौकरी गुजरात में लगी और उसने वहीं गांधीनगर में रहने का ठिकाना भी बना लिया। इसलिए वह मंदिर का निर्माण कराना चाह रही थीं। लेकिन फिर एक वर्ग के लोगों ने परेशान करना शुरू किया था। लेकिन हिंदू वादी नेता विमल द्विवेदी और पुलिस प्रशासन के सहयोग से अब उनकी मन्नत पूरी हो पाएगी।

चार पीढि़यों से हो रही मंदिर में पूजा
गांव की (70) साल की जनकदुलारी ने बताया कि पिछली चार पीढ़ियां से इस मंदिर में पूजन के साथ मांगलिक कार्यक्रम कर रही हैं। एक वर्ग के लोगों की धीरे-धीरे बढ़ोत्त्री हुई और चारों ओर से गांव में अपना आधिपत्य जमा लिया। अब विवाद पर उतारू हैं।


Credit By Amar Ujala

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