यूपी – UP: इस सीट पर बढ़ा भाजपा का ग्राफ… बढ़ गई सपा की टेंशन; सबक न लिया तो भुगतना पड़ेगा खामियाजा! – INA

उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में करहल सीट पर भाजपा को हार मिली है, लेकिन यहां वोट ग्राफ में हुए इजाफे से पार्टी उत्साहित है। ऐसे में अब करहल की रणनीति को समूचे आलू बेल्ट में अपनाने की तैयारी है। ऐसे में समाजवादी पार्टी की चुनौती बढ़ गई है। उसे घर में घिरने से बचने के लिए नई रणनीति अपनानी होगी।
आलू बेल्ट की सियासत में समाजवादी पार्टी जिन सीटों पर यादव बिरादरी का उम्मीदवार उतारती रही है वहां भाजपा गैर यादवों पर दांव लगाकर गोलबंदी की कोशिश करती रही है। उपचुनाव में भाजपा ने सैफई परिवार के रिश्तेदार अनुजेश यादव को मैदान में उतारा। 
इस क्षेत्र में यादव मतदाताओं की संख्या करीब सवा लाख है। दूसरे नंबर पर करीब 40 लाख शाक्य मतदाता आते हैं। भाजपा प्रत्याशी रहे अनुजेश यादव की मां उर्मिला घिरोर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रही हैं।
इस परिवार का घिरोर के साथ ही बरनाहल क्षेत्र में भी प्रभाव है। यही वजह है कि उपचुनाव में इस क्षेत्र के करीब 20 से ज्यादा बूथ पर भाजपा को सपा से ज्यादा वोट मिले। इतना ही नहीं सैफई परिवार से नाराज चल रहे यादव नेताओं को घर-घर भेजा गया। भाजपा को जीत तो नहीं मिली, लेकिन वोट का ग्राफ बढ़ाने में कामयाब रही। 


चुनाव परिणाम देखें तो तेजप्रताप यादव को कुल 104304 वोट पाकर चुनाव जीत गए। भाजपा प्रत्याशी अनुजेश सिंह को 89579 वोट मिले। वर्ष 2022 में सपा को 60.12 फीसदी और भाजपा को 32.74 फीसदी वोट मिला था। इस बार सपा को 50.45 फीसदी और भाजपा को 43.33 फीसदी वोट मिला है।


घर-घर उतारे यादव नेता
भाजपा ने करहल विधानसभा क्षेत्र में उन सभी यादव नेताओं को मैदान में उतारा, जो किसी न किसी रूप में सपा से नाराज थे। इन नेताओं ने अनुजेश के पक्ष में माहौल बनाया। पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव के बेटे सचिन यादव लगातार यादवों के बीच ब्लॉक और पंचायत स्तर पर बैठकें भी करते नजर आए। जाहिर है कि पार्टी को इसका फायदा मिला।
 


सपा को सचेत होने की जरूरत क्यों?
सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद तमाम यादव नेता सपा का साथ छोड़कर जा चुके हैं। प्रदेश में यादवों की करीब 12 फीसदी है। पिछड़े वर्ग के बीच यादव आबादी करीब 19.40 फीसदी है। ऐसे में इटावा- औरैया ही नहीं, मैनपुरी, फिरोजाबाद, कन्नौज, फर्रुखाबाद में समाजवादी पार्टी का गढ़ है। 


यहां तमाम प्रयास के बाद भी उसकी जड़ें सियासी तौर पर गहरी है। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से स्थितियां बदलती नजर आ रही हैं। अब स्थिति यह है कि मुलायम सिंह यादव के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाले पूर्व मंत्री नरेंद्र सिंह यादव, पूर्व सांसद सुखराम सिंह यादव, पूर्व मंत्री देवेंद्र सिंह यादव, पूर्व सभापति रमेश यादव, पूर्व विधायक हरिओम यादव भाजपा में हैं। इसी तरह अन्य कई यादव नेता भी गुमनामी में हैं, जो किसी न किसी रूप में सपा पर उपेक्षा का आरोप लगाते रहते हैं।
 


उपचुनाव में कथित धांधली के सुबूत आयोग को सौंपेगी सपा
उधर, समाजवादी पार्टी उपचुनाव में कथित धांधली के सुबूत जल्द ही चुनाव आयोग को सौंपेगी। इसके लिए प्रदेश स्तर पर वीडियो, फोटो और शिकायती शपथपत्र जुटाए जा रहे हैं। इस काम में अनुभवी नेताओं की टीम लगाई गई है। सपा नेतृत्व ने उपचुनाव में सभी नौ सीटें जीतने का दावा किया था, लेकिन परिणाम उसकी अपेक्षा से एकदम विपरीत आए। 


मुस्लिम बहुल कुंदरकी सीट भी भाजपा ने उससे छीन ली। सपा के हाथ सिर्फ दो सीटें सीसामऊ और करहल ही आईं। सपा नेता लगातार कह रहे हैं कि पार्टी समर्थक मतदाताओं को पुलिस ने बूथ तक आने से रोका। उनका आरोप है कि भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव में वोटों की लूट की। पुलिस ने ईवीएम के बटन दबाकर फर्जी मतदान किया।

 


जिन मतदाताओं को रोका गया, पार्टी उनसे शपथपत्र ले रही है। मतदान के दिन और उससे पहले पुलिस कार्रवाई के जो वीडियो बनाए गए थे, उन्हें भी इकट्ठा किया जा रहा है। पार्टी सूत्रों का कहना है कि शीघ्र ही दिल्ली में चुनाव आयोग को यह सारे सुबूत सौंपे जाएंगे। पार्टी कोर्ट में जाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का भी कहना है कि गड़बड़ करने वाले अधिकारियों को सजा दिलवाने के लिए वे अदालत समेत हरसंभव विकल्प को अपनाएंगे।
 


Credit By Amar Ujala

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