यूपी – UP News: मनचाहों को ठेका देने से नगर निगम को हर साल लगती है करोड़ों की चपत, इस तरह किया जा रहा खेल – INA

राजधानी लखनऊ में मनचाहे ठेकेदार को काम देने के लिए नगर निगम के इंजीनियर ई-टेंडरिंग सिस्टम से बचने का रास्ता निकाल रहे हैं। जिस सड़क की लागत 10 लाख रुपये से अधिक होती है, उसके कई हिस्से कर अलग-अलग टेंडर निकाले जा रहे हैं। इससे नगर निगम को चूना लग रहा है।

ताजा मामला इस्माइलगंज द्वितीय वार्ड में सामने आया है। यहां रहमानपुर से अयोध्या रोड पर निशान शोरूम से अशोक लीलैंड शोरूम होते हुए राम विहार कॉलोनी में मंदिर से मोती राम स्वीट तक सड़क और नाली बनाई जानी है। यह काम करीब 25 लाख रुपये में होना है। काम के तीन हिस्से कर अलग-अलग टेंडर निकाले गए हैं।

नगर निगम के अपने नियमों के तहत 10 लाख रुपये से कम लागत के काम ही मैनुअल टेंडर से कराए जाएंगे। यह विशेष छूट वार्ड विकास निधि में पार्षद कोटे से कराए जाने वाले कामों को लेकर नगर निगम ने दी है। बाकी निधि से होने होने वाले एक लाख रुपये तक के कामों के लिए ई-टेंडर अनिवार्य है।

ई-टेंडर में 15 से 40 प्रतिशत तक कम आते हैं रेट

वार्ड विकास निधि (पार्षद कोटा) को छोडक़र अन्य निधियों के सभी काम ई-टेंडर कराए जाते हैं, चाहे वे 10 लाख से कम के हों या ज्यादा के। अन्य निधियों से होने वाले विकास कार्यों के ई-टेंडर होने से टेंडर 15 से लेकर 40 प्रतिशत तक कम रेट पर आते हैं।

वार्ड विकास निधि से कराए जाने वाले कामों के ज्यादातर टेंडर एस्टीमेट रेट पर ही होते हैं। एकाध टेंडर ही आधा या एक प्रतिशत तक कम दर पर आते हैं। वार्ड विकास निधि से इस साल 240 करोड़ रुपये के काम कराए जा रहे हैं। यदि 15-20 प्रतिशत ही कम दर मान ली जाए तो भी मैनुअल टेंडर होने से नगर निगम को करीब 40 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है।

शासन का आदेश पार्षद कोटे पर लागू नहीं

शासन का आदेश है कि सभी तरह के काम ई-टेंडर से कराए जाएं। इसके बाद भी पार्षद कोटे से कराए जाने वाले कामों के मैनुअल टेंडर कराए जा रहे हैं। इससे पार्षदों और इंजीनियरों की उसमें मनमर्जी चलती है। 

इस पर रोक न लगे इसके लिए कोटे से कराए जाने वाले कामों के लिए एक प्रस्ताव सदन से पास किया गया। इसमें व्यवस्था की गई कि 10 लाख रुपये से कम के कोटे के कामों के लिए ई-टेंडर नहीं कराए जाएंगे। इसका फायदा उठाते हुए फाइल ही 10 लाख रुपये से कम की बनाई जाती है।

जोनल अभियंता से मांगी जाएगी रिपोर्ट

नगर निगम के मुख्य अभियंता महेश वर्मा का कहना है कि एक काम को कई हिस्सों में बांट करके टेंडर क्यों जारी किया गया, इस बारे में जोनल अभियंता से रिपोर्ट ली जाएगी। इसके बाद ही पता चलेगा कि ऐसा क्यों किया गया।


Credit By Amar Ujala

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News