यूपी – Varanasi News: बिजली निगम के निजीकरण के विरोध में उतरे कर्मचारी, 10 दिसंबर को बुलाई गई जन पंचायत – INA

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उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा वाराणसी और आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के फैसले का विरोध शुरू हो गया है। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री से इस फैसले को वापस लेने की मांग की है। साथ ही निजीकरण के बाद आम जनता को होने वाली कठिनाईयों से अवगत कराने के लिए व्यापक जनजागरण अभियान चलाने का निर्णय लिया गया है। पहले चरण में चार दिसंबर को वाराणसी और 10 दिसंबर को आगरा में जन पंचायत भी बुलाई गई है। इसमें बड़ी संख्या में कर्मचारी मौजूद रहेंगे।

समिति पदाधिकारियों ने कही ये बात
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की ओर से लखनऊ में हुई बैठक में वाराणसी से भी पदाधिकारी शामिल हुए थे। यहां से समिति के पदाधिकारी डॉ. आरबी सिंह, आरके वाही, ओपी सिंह, इंजीनियर नरेंद्र वर्मा, अंकुर पांडेय ने बताया कि पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा घोषित पीपीपी मॉडल के आधार पर उड़ीसा की तर्ज पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के निजीकरण का जो निर्णय लिया गया है, वह न ही कर्मचारियों के हित में है और न ही आम उपभोक्ताओं के हित में है। 


पदाधिकारियों ने बताया कि अप्रैल 2018 एवं अक्टूबर 2020 में तत्कालीन ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और मंत्री मण्डल उपसमिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री सुरेश खन्ना के साथ हुए समझौते में यह कहा गया था कि उत्तर प्रदेश में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही सुधार के लिए कर्मचारियों और अभियंताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्रवाई की जाएगी। निजीकरण की हुई यह कार्रवाई समझौते का खुला उल्लंघन है। मुख्यमंत्री को इस फैसले को निरस्त करना चाहिए। 

पदाधिकारियों ने बताया कि पॉवर कॉर्पोरेशन द्वारा जारी किये गए घाटे के आंकड़े पूरी तरह भ्रामक हैं और इस तरह से प्रस्तुत किया जा रहा है जैसे घाटे का मुख्य कारण कर्मचारी और अभियंता हैं। पॉवर कॉर्पोरेशन में चालू वित्तीय वर्ष में सरकार के द्वारा 46130 करोड़ रूपये की सहायता देने की बात कही गई है। पॉवर कॉर्पोरेशन ने यह तथ्य छिपाया गया है कि 46130 करोड़ रूपये में सब्सिडी की धनराशि ही रूपये 20 हजार करोड़ है, जो विद्युत अधिनियम 2003 के अनुसार सरकार को देनी ही होती है।


Credit By Amar Ujala

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