यूपी – World Diabetes Day 2024: 20 साल से कम उम्र वाले भी हो रहे डायबिटीज के शिकार, डॉक्टर से जानें- लक्षण और प्रभाव – INA

मधुमेह बढ़ती उम्र की बीमारी मानी जाती है, लेकिन बदलते समय के साथ किशोर और युवा भी इसकी जद में आ रहे हैं। बीएचयू अस्पताल के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग की ओपीडी में हर सप्ताह 5 से 7 ऐसे मरीज आ रहे हैं, जिनकी उम्र 20 साल से कम है। जांच के बाद किशोरों के शरीर में इंसुलिन न बनने की समस्या मिल रही है।

डॉक्टरों के अनुसार यह टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण है। इसके प्रभाव से जोड़ों में दर्द के साथ कमजोरी रहती है। मधुमेह के प्रति जागरूकता को लेकर हर साल 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जाता है। इस साल की थीम बाधाओं को तोड़ना, अंतरालों को पाटना है। भागती-दौड़ती जीवनशैली में लगभग हर उम्र के लोग इसका शिकार हो रहे हैं।

मधुमेह की वजह से आंखों की रोशनी कम होना, किडनी पर असर, हृदय रोग, गठिया आदि की समस्या वाले मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। आईएमएस बीएचयू के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के प्रो. एनके अग्रवाल का कहना है कि बच्चों का इस बीमारी की जद में आना चिंता का विषय है।

ओपीडी में हर सप्ताह 5 से 7 ऐसे बच्चों को अभिभावक लेकर आ रहे हैं। जिनको भूख न लगना, कमजोरी, बेहोशी की समस्या है। जांच के बाद पता चल रहा है कि इनके शरीर में इंसुलिन नहीं बन रहा है। ऐसे बच्चे टाइप 1 मधुमेह से ग्रसित हो रहे हैं। इलाज करने के साथ सेहत का विशेष ख्याल रखने की भी सलाह दी जाती है।

ऑटो इम्यून रिएक्शन से वायरस होते हैं प्रभावी


प्रो. एनके अग्रवाल का कहना है कि कम उम्र में डायबिटीज होने की वजह शरीर में ऑटो इम्यून रिएक्शन है। इसमें बीमारियों को बढ़ावा देने वाले वायरस प्रभावी रहते हैं। इससे शरीर का बीटा सेल लॉस होता है। आम तौर पर बचपन में निमोनिया, अस्थमा होने के बाद इस बीमारी को बढ़ावा देने वाले वायरस सक्रिय होते हैं। बच्चों को भूख न लगना, कमजोरी, मुंह में फल खाने जैसी दुर्गंध, बेहोशी की समस्या दिखे तो तुरंत डायबिटीज की जांच कराएं।

आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति से मधुमेह नियंत्रण संभव


राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय में काय चिकित्सा एवं पंचकर्म विभाग के डॉ. अजय कुमार का कहना है कि इन दिनों ओपीडी में 30 साल से कम उम्र वाले लोग भी मधुमेह की समस्या लेकर आ रहे है। इसके पीछे कुछ लोगों में अनुवांशिक जबकि अधिकांश लोगों में सही जीवन शैली न होने की वजह है। मधुमेह में शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पातीं हैं। बीमारी पर नियंत्रण में आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति उपयोगी है। जामुन, करेला, मेथी, हल्दी, विजयसार, आंवला, पनीर का फूल आदि के सेवन से बहुत हद तक बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है।


Credit By Amar Ujala

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