व्यापारियों के उत्पीड़न पर राष्ट्रीय व्यापारी सामाजिक महासंघ की बैठक: सरकार पर उठे सवाल….राष्ट्रीय व्यापारी सामाजिक महासंघ ने बैठक में किया राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन
ऑनलाइन बाजार से बढ़ रही बेरोजगारी..बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों से खुदरा व्यापार हो रहा प्रभावित........सभी के लिए निर्धारित हो बिक्री का एक न्यूनतम मूल्य....राष्ट्रीय व्यापारी सामाजिक महासंघ ने बैठक में किया राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन
आगरा। हाल ही में राष्ट्रीय व्यापारी सामाजिक महासंघ ने व्यापारियों की समस्याओं और उनके उत्पीड़न पर चर्चा करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक का आयोजन किया। यह बैठक पुरानी मंडी ताजगंज स्थित दावत होटल में हुई, जिसमें शहर के विभिन्न भागों से व्यापारी शामिल हुए। इस मौके पर महासंघ के संस्थापक संजीव पोरवाल, राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचरन पोरवाल और उपाध्यक्ष राजू गोयल द्वारा दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की गई।
बैठक में व्यापारियों ने अपनी चिंताओं और समस्याओं को साझा किया, जो मुख्य रूप से खुदरा व्यापार में तेजी से बढ़ रहे ई-कॉमर्स व्यवसायों से प्रभावित हो रही हैं। संजीव पोरवाल और रामचरन पोरवाल ने स्पष्ट किया कि बड़े ई-कॉमर्स प्लेयर्स द्वारा दी जा रही अतार्किक छूटें स्थानीय दुकानदारों के लिए एक गंभीर मुद्रा संकट पैदा कर रही हैं। उनका मानना है कि यदि वस्तुओं की खरीद और बिक्री के लिए एक न्यूनतम मूल्य निर्धारित किया जाए तो यह समस्या काफी हद तक हल हो सकती है।
सरकार की मौजूदा नीतियों की समीक्षा करते हुए उपस्थित व्यापारियों ने चिंता जताई कि ऑनलाइन बाजार के विकास के चलते न केवल उनके व्यवसाय में कमी आई है, बल्कि यह बेरोजगारी को भी बढ़ावा दे रहा है। अनेक छोटे और मध्यम व्यापारियों के लिए यह स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। इसके परिणामस्वरूप, कई दुकानदारों को अपने व्यवसाय स्थगित करने या बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
राजू गोयल ने इस मुद्दे पर ध्यान दिलाते हुए कहा कि महासंघ की राष्ट्रीय कार्यकारणी का गठन किया गया है, और पदाधिकारियों का भी स्वागत किया गया। उन्होंने कहा कि तकनीकी कौशल के माध्यम से महिला उद्यमियों को व्यापार में वृद्धि करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। हालांकि, यह स्पष्ट है कि सिर्फ योजनाओं और सांकेतिक उपायों से समस्या का समाधान नहीं होगा। व्यापारियों के लिए आवश्यक है कि उन्हें वास्तविक समर्थन और सुरक्षा मुहैया कराई जाए।
बैठक में कानपुर, लखनऊ, बलिया, मथुरा, बरेली, दिल्ली, हरियाणा, और राजस्थान के व्यवसायियों ने भाग लिया, जो इस गंभीर मुद्दे पर अपनी आवाज उठाने के लिए एक मंच पर आए। उपाध्यक्ष एड. राजकुमार यादव, महासचिव आनंद पोरवाल, कोषाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, और अन्य कई पदाधिकारी भी उपस्थित रहे और व्यापारियों के अधिकारों के संरक्षण की जरूरत पर जोर दिया।
इस सब के बीच, सरकार की व्यापार संबंधित योजनाओं और नीतियों पर भी सवाल उठे हैं। क्या सरकार वास्तव में छोटे व्यापारियों के हित में काम कर रही है, या यह सिर्फ एक दिखावा है? जब तक सरकार आपूर्ति श्रृंखला में ई-कॉमर्स कंपनियों द्वारा अव्यवस्थित छूटों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम नहीं उठाएगी, तब तक छोटे व्यापारी अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ते रहेंगे।
व्यापारियों के उत्पीड़न और समस्याओं को लेकर यह बैठक एक महत्वपूर्ण संकेत है कि सभी व्यवसायियों को एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी होगी। वहीं, व्यापारिक संगठनों और सरकार को भी चाहिए कि वह व्यापार के संवर्धन के लिए ईमानदार प्रयास करें। यदि ऐसा नहीं होता है, तो आने वाले समय में हम एक ऐसे आर्थिक संकट का सामना कर सकते हैं, जो न केवल व्यापारियों के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए खतरनाक साबित होगा।
यह बैठक एक गंभीर चेतावनी है कि अगर व्यापारियों की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया, तो सरकार को इसके दुष्परिणामों का सामना करना पड़ सकता है। अब समय आ गया है कि सरकार और व्यापारी दोनों ही अपने-अपने अधिकारों और दायित्वों को समझें और एक सकारात्मक दिशा में कदम बढ़ाएं। केवल तब ही हम अपने व्यापारिक समुदाय को सशक्त और सुरक्षित बना पाएंगे।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष एड. राजकुमार यादव, महासचिव आनंद पोरवाल, कोषाध्यक्ष पंकज अग्रवाल, मयंक अग्रवाल, इलियास, अखिलेश पोरवाल, प्रशांत कुमार, राजीव गुप्ता, जवाहर लाल अग्रवाल, गिरीश कुमार सिंघल, राजीव सविता आदि मौजूद रहे।
आईएनए न्यूज़ ने इस गंभीर मुद्दे का विश्लेषण करा
हाल ही में आयोजित इस महत्वपूर्ण बैठक में राष्ट्रीय व्यापारी सामाजिक महासंघ ने व्यापारियों के सामने खड़ी समस्याओं का मुख्य कारण बताया। इस बैठक में आगरा के सभी प्रमुख व्यापारियों ने भाग लिया, जहाँ उन्होंने ई-कॉमर्स कंपनियों के कारण खुदरा व्यापार पर पड़ रहे नकारात्मक प्रभावों पर चिंता व्यक्त की। इस लेख में, हम इस गंभीर मुद्दे का विश्लेषण करेंगे और सरकार की नीतियों की विफलताओं को उजागर करेंगे।
ई-कॉमर्स का उदय और खुदरा व्यापार पर प्रभाव
बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों जैसे कि अमेज़न और फ्लिपकार्ट ने अपने विशाल मार्केटिंग और डिस्काउंटिंग रणनीतियों से छोटे और मध्यम खुदरा विक्रेताओं पर भारी दबाव डाला है। ई-कॉमर्स कंपनियों की रणनीतियों ने बाजार में विक्रेताओं के लिए एक असमान प्रतिस्पर्द्धा की स्थिति पैदा कर दी है। महासंघ के संस्थापक संजीव पोरवाल और राष्ट्रीय अध्यक्ष रामचरन पोरवाल ने अपने वक्तव्यों में स्पष्ट किया कि यह सिर्फ एक व्यापारिक समस्या नहीं है, बल्कि यह समग्र आर्थिक पहलुओं पर पड़ रहे दुष्परिणामों का संकेत भी है।
इस समय, उपभोक्ता वस्तुओं पर दी जा रही अतार्किक छूट और मुनाफे की कमी के चलते छोटे व्यापारी अपनी दुकानें बंद करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल व्यापारियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि इससे बेरोजगारी का भी खतरा बढ़ रहा है। मालिकाना हक और विक्रेताओं के योगदान को नजरअंदाज करना सरकार और बड़े व्यापारियों के लिए एक आत्मघाती निर्णय साबित हो सकता है।
बेरोजगारी की वृद्धि
ई-कॉमर्स की तेज़ी से बढ़ती उपस्थिति और उसके परिणामस्वरूप छोटे व्यापारियों के कारोबार में गिरावट, बेरोजगारी की समस्या को और भी गंभीर बना रही है। राजू गोयल, महासंघ के उपाध्यक्ष ने बताया कि इस नकारात्मक बदलाव से न केवल बिक्री में कमी आ रही है, बल्कि व्यापारी कौशल में भी कमी आ रही है, जिससे युवा वर्ग को नए रोजगार की संभावनाएं भी कम हो रही हैं।
इस स्थिति से उत्पन्न हुई बेरोजगारी के परिणामस्वरूप, हमारे सामाजिक ढांचे में अस्थिरता और अपराध दर में वृद्धि होने की संभावना भी है। इससे न केवल व्यापारी समुदाय प्रभावित होगा, बल्कि पूरे समाज को इसकी चपेट में आने का खतरा है।
सरकार की नीतियों की विफलताएँ
अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस गंभीर मुद्दे से बेखबर है? केंद्र और राज्य की सरकारें अक्सर छोटे व्यापारियों के समर्थन में विभिन्न योजनाएँ लाती हैं, लेकिन यह योजनाएँ वास्तविकता में कितनी प्रभावी साबित हो रही हैं, यह एक गंभीर सोचने का विषय है। सरकार को चाहिए कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों के साथ एक स्पष्ट नीतिगत दिशा-निर्देश स्थापित करे, जिससे वे सर्किल के बाहर व्यापारियों के साथ समानता पर प्रतिस्पर्धा कर सकें।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोई स्पष्ट न्यूनतम मूल्य निर्धारण नीति लागू की जाए, तो इससे छोटे व्यापारियों को प्रतिस्पर्धा में बने रहने में मदद मिलेगी। यदि ये कंपनियाँ बड़े डिस्काउंट देने से नहीं चूकेंगी, तो यह छोटे व्यापारियों के लिए संघर्ष बन रहेगा।
व्यापारियों के उत्पीड़न का यह मुद्दा केवल एक आर्थिक समस्या नहीं है, बल्कि यह हमारे सामाजिक ढांचे के लिए भी गंभीर परिणाम लेकर आ सकता है। राष्ट्रीय व्यापारी सामाजिक महासंघ की बैठक ने स्पष्ट कर दिया है कि तत्काल कार्रवाई की आवश्यकता है। अगर सरकार ने उचित कदम नहीं उठाए, तो हम एक ऐसे दौर में पहुंच सकते हैं जहां व्यापार और रोजगार का संकट हमारे समाज को बुरी तरह प्रभावित करेगा।
आखिरकार, यह हमारे समाज में छोटे व्यापारियों के योगदान का सम्मान करने और उन्हें सशक्त बनाने का समय है। हम इस आशा के साथ इस खबर को समाप्त करते हैं कि सरकार जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कदम उठाएगी।