सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय के शिक्षकों के अनुदान पर सीएम नीतीश का सौतेला व्यवहार,आखिर क्यों ?

रिपोर्ट अमरदीप नारायण प्रसाद

भगलपुर/पटना : बिहार के विभिन्न जिलों में विभिन्न विश्वविद्यालय के अधीन करीब 200 से 230 सम्बद्ध डिग्री महाविद्यालय के शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर कर्मचारीयों की । नीतीश सरकार के दोहरे चरित्र के कारण 2017 से आजतक जबकि लोकआस्था का चार दिवसीय महापर्व छठपूजा आज से शुरू है , बावजूद अनुदान राशि पर केबिनेट की बैठक में कोई चर्चा तक नहीं हुई। क्या नीतीश सरकार इस साल भी छठपूजा में भी शिक्षक को भुगतना नहीं करेंगे,ऐसा प्रतीत हो रहा है । ज्ञात हो कि अनुदान नहीं मिलने के कारण महाविद्यालय के शिक्षकों एवं शिक्षक कर्मचारियों में भारी आक्रोश व्याप्त है। और हो भी क्यों ना, क्योंकि पैसे के अभाव में सभी बेदम हो रहे हैं ।अभी दिलावाली सामने है, बावजूद शिक्षकों को पैसा नही दिया गया। सूत्रों की माने तो बिहार के लगभग कॉलेज के मालिक सत्ता पक्ष एवं विपक्ष के नेता , मंत्री होने के कारण तमाम नियमों को धज्जियां बताते हुए आंतरिक स्रोत से बहुत ऐसे कॉलेज हैं जिसके अध्यक्ष सेक्रेटरी प्रिंसिपल एवं अन्य कर्मचारियों को वेतन नहीं देते, देने की बात तो दूर है अच्छा व्यवहार भी नहीं करते शिक्षकों के साथ। किसी किसी संस्था के संस्थापक के संबंधी भी अध्यक्ष सिक्योरिटी और प्राचार्य पर अपना आदेश देते हैं । विश्वविद्यालय प्रशासन ऐसे महाविद्यालय के विरुद्ध कोई कार्रवाई करने से क्यों कटती है या एक प्रश्न वाचक चिन्ह है ? सोचने वाली बात है आखिर नीतीश सरकार इसमें क्यों चुप्पी साधे हुए है । जबकि रेगुलर महाविद्यालय से ज्यादा इसमें पढ़ाई होती है बावजूद 2017 के बाद आजतक कोई भुगतान नहॉ किया गया । क्या नीतीश सरकार शिक्षकों को भूखे मारना चाहती है बड़ा सवाल है?

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जब हमने इन मसले को लेकर सम्बद्ध महाविद्यालय के विभिन जिलों के शिक्षकों से उनकी स्थिति जानी तो समझ नहॉ आया कि कैसे कोई सरकार इन्हें मरने के लिए छोड़ सकती। हालात ये थे कि इनको खाने पर आफत है । कइयों के घर दो वक्त का खाना नही बन रहा, कई पैसे के अभाव के कारण अपनी बेटी का शादी नही कर पा रहे,कई शिक्षक अपना इलाज नही करवा पा रहे है। कई पैसे के अभाव के कारण भगवान को प्यारे हो चुके हैं । कई दुर्गा पूजा नहॉ मना रहे हैं। बहुत ऐसे कर्मचारी हैं जिन्हें बिजली बिल, बच्चों का फीस तक नहीं भर पा रहे हैं। आखिर नीतीश सरकार को ये क्यो नहॉ दिख रहा है कि ये मरणासन्न स्थिति में पहुच चुके हैं ,जिसकी जवाबदेही सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार की है । समय रहते अब अगर नीतीश सरकार कुंभकर्णी नींद से नहीं जगती है तो स्थिति और भयावह हो सकती है । नीतीश सरकार को ये नही भूलना चाहिए कि 2025 में विधानसभा चुनाव भी है। अगर अब भी सरकार दुर्गा-पूजा जैसे महत्वपूर्ण पर्व त्यौहार पर भी ध्यान नहीं देती तो इसका खामियाजा नीतीश सरकार को 2025 के चुनाव में भुगतना होगा। इस बार नीतीश की लुटिया डूबती नजर आ रही है वो भी उनकी करनी के कारण ही । हालांकि इस बात का पता तो चुनाव के बाद ही लग पायेगा।

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