सेहत – आप एयर पॉल्युशन के लिए नपुंसक बना सकते हैं! चौंकिए मत यह सच, महिला-पुरुष दोनों को खतरा

वायु प्रदूषण से प्रजनन क्षमता में कमी: दिल्ली- सम्मिलित देश के कई शहरों में इस वक्त एयर पॉल्यूशन का ख़्याल देखने को मिल रहा है। हवा में जब भी खतरनाक कण मिल जाते हैं, तब एयर क्वालिटी में गिरावट आती है और पॉल्यूशन का प्रकोप देखने को मिलता है। एयर पॉल्यूशन हमारे फेफड़ों और हृदय के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है, लेकिन यह शरीर के हर अंग के लिए नुकसानदायक है। कई अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता में कमी हो सकती है। लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने से जोड़ों में इंफर्टिलिटी की समस्या हो सकती है।

Table of Contents

न्यूज मेडिकल की रिपोर्ट के अनुसार एयर पॉल्यूशन मेल से प्रजनन क्षमता पर बुरा असर पड़ता है। जब पुरुष हवा में मौजूद एलियंस के संपर्क में आते हैं, तब उनकी स्पर्म की गुणवत्ता और स्पर्म खाते में गिरावट आती है। विद्वानों की सलाह तो सुसंगत हवा में मौजूद तत्व शरीर में सूजन और अन्य स्वास्थ्य प्रभाव पैदा होते हैं, जिससे शुक्राणु का उत्पादन कम हो सकता है। इससे नपुंसक यानी इंफर्टिलिटी का खतरा बढ़ जाता है। इन्फर्टिलिटी के कारण कपल्स के माता-पिता बनने की संभावना कम हो जाती है। डीजेड एयर मेन के रिप्रोडक्टिव सिस्टम के लिए भी बेहद खतरनाक है।

वायु प्रदूषण का असर सिर्फ पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर नहीं होता, बल्कि महिलाओं में भी वायु प्रदूषण की वजह से इन्फर्टिलिटी का खतरा हो सकता है। जब महिलाएं साम्यिक हवा के संपर्क में आती हैं, तब उनके अंडों की गुणवत्ता और अंडों की गिनती में गिरावट आती है। कई अध्ययनों से पता चला है कि बालों की वजह से महिलाओं की प्रजनन क्षमता खराब हो जाती है और उनके एग्स का उत्पादन कम होने लगता है। अगर यह समस्या लंबे समय से चल रही है तो इंफर्टिलिटी में बदलाव आ सकता है। इन्फर्टिलिटी पर महिलाएं भर्ती कंसीव नहीं कर पाती हैं।

द गार्जियन की रिपोर्ट के अनुसार साल 2021 में चीन में एयर पॉल्यूशन और इंफर्टिलिटी को लेकर एक अध्ययन किया गया था। पता चला कि एयर पॉल्यूशन से इन्फर्टिलिटी के खतरे को बढ़ाया जा सकता है। चीन में 18000 मैरीड कपल्स पर अध्ययन में पाया गया कि जो लोग छोटे श्रमिकों वाले एयर पॉल्यूशन के सबसे ज्यादा संपर्क में आते हैं, उनमें इंफर्टिलिटी का खतरा 20% अधिक होता है। अध्ययन के अनुसार जिन महिलाओं ने एक वर्ष में 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक प्रदूषण का सामना किया, उनमें बांझपन का खतरा बढ़ गया था। चीन में औसत प्रदूषण स्तर 57 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है, जबकि भारत में भी एवरेज एयर पॉल्यूशन करीब 55 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर है। इससे साफ है कि भारत में पॉल्यूशन के कारण इंफर्टिलिटी की महंगाई बढ़ रही है।

यह भी पढ़ें- कड़वी तो बहुत है, मगर सेहत के लिए ‘अमृत’ से कम नहीं है ये हरी सब्जी, कई टिप्स पर लगती है लगाम


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science
Eng News