सेहत – कमाल, भारतीय इलेक्ट्रॉनिक्स ने टीवी को जड़ से खत्म करने का लिया तोड़, अब सीधे दिमाग में डालेगा दवा

टीबी का नया इलाज: आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में हर साल 3.42 लाख लोगों की मौत हो जाती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक देश में हर घंटे 39 लोगों की मौत हो रही है। ऐसा तब हो रहा है जब देश में टीबी के मामलों में कमी आने लगी है. सच तो यह है कि टीबी का इलाज इसके बावजूद प्रति जागरूकता का अभाव और समय पर इलाज नहीं होने के कारण हर साल हजारों लोगों की मौत हो जाती है। पुरालेख के पुरातत्वविदों ने कैमल का प्रस्थान किया है। उन्होंने टीबी की दवा को सीधे दिमाग में रखकर इलाज किया, जिससे टीबी की बीमारी में दवा बेहद प्रभावशाली साबित होगी और बीमारी जल्द ही जड़ से खत्म हो जाएगी।

सीधे दिमाग में घुसेगी दवा
पैलेस इंस्टीट्यूट ऑफ एथेथ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आईएनएसटी) के संयोजन ने नाक से सीधे दिमाग तक औषधि निर्देशन की एक विधि विकसित की है। इससे टीबी की सलाह नाक के माध्यम से सीधे मस्तिष्क तक पहुंचाई जा सकती है। इस तरीके से सबसे खतरनाक टीले सी कॉन टीवी और शेयर बाजार के टीलों को भी ठीक किया जा सकता है। टीओआई की खबर के मुताबिक राहुल कुमार वर्मा के नेतृत्व में इस टीम में कृष्णा फ़्लोरिडा, पूर्व मंत्री झिल्टा, रघुराज सिंह, यूपीए रे, विमल कुमार, यादव अवध और अमित कुमार सिंह शामिल हैं।

पार्टिकल्स से मदद
जीत की टीम ने चिटोसन नाम का एक-एग्रीगेट्स विकसित किया है। ये कण कणों के छोटे समूह होते हैं। यह बायोडिग्रेडेबल होता है। इसे आप टेक्नोलॉजी पार्टिकल्स भी कह सकते हैं। सीधे शब्दों में समझें तो पैकेज ने ऐसे तीन कण तैयार किए हैं जो टीबी की दवा को खुद में समा लेते हैं और नाक से सीधे मस्तिष्क में पहुंचा देते हैं। वैज्ञानिकों की टीम ने बताया कि नाक से दवा जैसी ही दी जाएगी वह सीधे दिमाग तक पहुंच जाएगी। इसे जहां दवा दी जाती है वह तेजी से सक्रिय होने लगती है। इसे म्यूकोएथेसिव भी कह सकते हैं क्योंकि वहां पर टिके रहते हैं। यानी दवा का असर बेहद तेजी से होगा. ग्रोथ ने यह भी दावा किया है कि इससे संबंधित ब्रेन इंफेक्शन को भी ठीक किया जा सकता है। जैसे अल्जाइमर और पार्किंसन की बीमारी में दवा का असर दिमाग पर बहुत कम होता है।

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