सेहत – करीना कपूर-आलिया भट्ट ऐसी क्यों हैं वेकलाइन? बच्चों पर क्या प्रभाव पड़ रहा है?

सारा अली खान, अनन्या पैंडेंड, तापसी पी बॉल्स करीना कपूर, दिशा पाटनी जैसी कई बॉलीवुड एक्ट्रेस और सिद्धार्थ सिद्धार्थ, सैफ अली खान, सोलो कौशल जैसे एक्टर्स की वेकेशन की तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही हैं। कोई भी स्विम वीर अपने परछाईं शरीर को दिखाता है तो कोई भी अपने यूनीक ढांचे को चित्रित करता है। कहीं भी ना कहीं भी आजकल ये वेकेशन की साॅटलिटी है, जहां आज के युवा स्टोरिंग के दौरान इफेक्ट लुक का डल बना रहे हैं। क्या वे डिज़ाइन पर आदर्श चरित्र आवश्यक है या यह शो ऑफ है?

युवाओं में बढ़ रही अंग्रेजी
न्यूयॉर्क पोस्ट एक सर्वे में 51% जेन जेड यीज़ ने आज की युवा पीढ़ी ने माना कि उन्हें वेकैशन पर प्रभाव शक्ल का ख़त्म होना महसूस होता है। क्योंकि सोशल मीडिया पर हर कोई उनके लुक्स को जज करता है जिससे उन्हें एंग्ज़ाइटी हल्दी मिलती है। यह सर्वेक्षण फोर्ब्स स्वास्थ्य ने किया. युवाओं ने कहा कि वह वेकेशन पर जाने से पहले ट्रोजन अपना फिटनेस रूटीन फॉलो करते हैं ताकि उनकी फोटो की झलक दिखे। सर्वे में 52% जेन जेड (1990 से 2010 के बीच पैदा हुए युवा) ने सोशल मीडिया को ही पीछे छोड़ दिया। वहीं 42% मिलेनियल्स (1981 से 1996 के बीच पैदा हुए लोग) ने माना कि उन्हें वजन कम करने का अहसास हुआ। यही बात 35% जेन एक्स (1965 से 1980 के बीच होने वाले लोग) और 23% ब्लूमर्स (1955 – 1964 के बीच पैदा होने वाले लोग) ने स्वीकार की।

महिलाएं अपने शरीर से खुश नहीं
फोर्ब्स स्वास्थ्य के अनुसार महिलाएं हमेशा अपने लुक को लेकर चाहत रखती हैं। ज्यादातर महिलाएं अपनी लुक्स को लेकर नखुश ही रहती हैं। सर्वें में 39% महिलाओं ने माना कि वह अपनी बॉडी इमेज को लेकर खुश नहीं हैं। आपके बॉडी इमेज को लेकर सोच-विचार मेंटल हेल्थ के साथ-साथ थेरेपी भी ठीक नहीं है।

सोशल मीडिया पर प्रभावशाली दिखने का दबाव युवा का असली होना (Image-Canva)

वेकेशन का मजा होता है किरकिरा
मनोचिकित्सक मुस्कान यादव कहते हैं कि रेटिंग का मतलब होता है आराम करना. वेकैशन हमें रोज़ की दौड़-भाग से दूर ले जाने वाले सार्वभौम के पल जीने का मौका मिलता है। यह समय खुद की मेंटल हेल्थ को मापने का होता है लेकिन वेकेशन में भी अगर सोशल मीडिया पर समय का आकलन किया जाए और अपने हर मूमेंट की तस्वीर पोस्ट की जाए तो बढ़ावा का मजा किरकिरा हो सकता है। युवा अपने प्रभाव लुक को देखने के लिए पिक्चर पोस्ट करते हैं और कमेंट करते हैं और खुद को अवसाद और अंगजयी जैसे चैलेंजर्स को शिकार बनाते हैं। वेकेशन पर मोबाइल का इस्तेमाल ना करना ही असली हॉलिडे है। इससे मस्तिष्क का सार्वभौम स्वरूप और प्रभावपूर्ण रूप का दृश्य भी नहीं रहता।

शो ऑफ करने की आदत
आज के युवा अपनी हर एक्टिविटी को सोशल मीडिया पर दिखाना चाहते हैं। अब वे कंसीलर प्लान के साथ आते हैं क्योंकि उन्हें शो ऑफ करना है और इफेक्ट लुक के साथ फोटो अपलोड करना है। असल हर इंसान की भूख होती है. युवाओं को सेंटर ऑफ अट्रैक्शन में रहना होता है इसलिए वह अपनी वेकेशन की पोस्ट अपलोड करते रहते हैं ताकि लोग उनकी सराहना करें और उनके बारे में बात करें।

गिरावट से ना करें खुद की तुलना
जो एक्टर्स प्रोफेशन में हैं, वहां उन्हें हर चीज को शोकेस करना जरूरी है। सोशल मीडिया पर उनके फैन फॉलोइंग ही उन्हें प्रोजेक्ट दिलाती है। हर दम फेस मेकअप, प्लास्टिक कमर, स्कालरशिप, आर्टिस्टिक वेकेशन एक्टर्स की मजबूरी है। उनका हर मूमेंट परफैक्ट किरदार है। बॉलीवुड में एक्टर्स के साथ एक ही रूल है-जो दिखता है, वो बिकता है। एक्टर्स खुद को बार-बार शो करते हैं, जिसके लिए वह बार-बार पैपराजी को बुलाते हैं और सोशल मीडिया पर ट्रेंड करते रहते हैं ताकि उनकी बातें बनी रहें। वह रिपब्लिकन में बनी रहीं लेकिन आम आदमी की दुनिया बॉलीवुड की चमचमाती दुनिया से बहुत अलग है। आम आदमी को पब्लिसिटी की जरूरत नहीं है।

वेकेशन पर जाने से पहले 48% युवा व्यापारी हैं (छवि-कैनवा)

प्रभाव कोई नहीं होता
मनोचिकित्सक मुस्कान यादव के अनुसार प्रभाव कोई इंसान नहीं होता. परफ़ेक्शन केवल एक शब्द है जिस पर ख़ुद पर कब्ज़ा नहीं होना चाहिए। हर इंसान के अंदर कुछ ना कुछ कमी होती है इसलिए परफैक्ट लुक कुछ नहीं होता। अगर अच्छा होटल है तो खुद के बारे में अच्छे के बारे में सोचे। विचार-सोच ही इंसान की खूबसूरत शख्सियत है। अपने शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए जबरदस्ती इफेक्टिव लुक की समझदारी नहीं है। सारांश, सिद्धांत और अच्छी नींद लें। अधिकांश वस्तुओं और समूहों से अधिकांश समूहों को जन्म दिया जा सकता है। मोबाइल की दुनिया से भी खुद को दूर रखें क्योंकि यह दुनिया से बहुत अलग है।

खरीदारी पर खर्च करना पैसे देना है
युवा पीढ़ी कुछ दिन की वेकेशन के लिए ही कई पुरास्थल खरीद की पेशकश करती है। खैर वह उन पर ड्रेसेज अच्छे लगें या ना लगें। खास तौर पर लड़कियों के लिए 5 दिन की वेकेशन के लिए 50 तरह की ड्रेसेज पैक कर ऑर्डर दिया जाता है। किसी अन्य से अपनी तुलना करना गलत है। डिस्काउंट की बिजनेस इनकम ही खरीदी जाती है और एक्स्ट्रा ड्रेसेज पैक करने से लेकर एक्स्ट्रा चार्ज भी देना पड़ता है। वेकेशन पर हमेशा अपने कंफर्ट को देखते हुए ड्रेसअप करना चाहिए। हाई हिल्स, हैवी ऑर्केस्ट्रा, कई तरह के हैंडबैग और शेड्स पैक करना समझदारी नहीं है।


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