सेहत – कहीं आपके इन उदाहरण से तो नहीं हो रही शरीर में इस विटामिन की कमी? थकान और अवसाद सताए तो हो जाओ मना

विटामिन डी एक ऐसा विटामिन है जो धूप में मिलता है। इसी से शरीर के कई रोग दूर होते हैं। इसलिए इसे सनशाइन विटामिन भी कहा जाता है। लेकिन एक सर्वे में सामने आया कि 76% भारतीय विटामिन की कमी से जूझ रहे हैं। यह सर्वेक्षण टाटा 1एमजी लैब ने किया था. वहीं, नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन भारत के अनुसार अलग-अलग जिलों में रहने वाले लोगों की संख्या 70 से 99% तक कम है। इसका कम होना सबसे बड़ा कारण है लाइफस्टाइल। लोग धूप लेना ही नहीं है. सुबह की धूप निकालने के लिए पार्क में बैठने की जगह लोग जिम जाते हैं। कुछ लोग रातभर मोबाइल स्टार्टअप हैं और सुबह-सुबह उठते हैं। पैदल चलने वालों की जगह कार में एसी पसंद करते हैं और कुछ लोग धूप से टैनिंग होने से ऊपर हैं।

विटामिन डी के कई काम
अगर शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा हो तो यह कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करता है। जनरल फ़िज़िशियन डॉ.संजय गुप्ता कहते हैं कि इससे हड्डियाँ मजबूत होती हैं। यह विटामिन इम्युनिटी को बढ़ावा देता है जिससे कीट, जुकाम, बुखार दूर रहते हैं। इससे ऑटोइम्यून बीमारी भी नहीं होती. यह विटामिन प्लांट का भी खाका तैयार करता है। यह विटामिन एंटीऑक्सीडेंट से बनता है इसलिए दिल की बीमारी भी दूर रहती है। सूर्य की किरणें विशेष रूप से अल्ट्रावायलेट बी किरणें होती हैं जब त्वचा पर प्रकाश डाला जाता है तो वह रक्त में मौजूद ग्रहों से मिलती है जिससे शरीर में विटामिन डी बनता है। काउंसिल इंडियन ऑफ मेडिकल रिसर्च प्रतिदिन 400 IU विटामिन डी लेने से शरीर ठीक होता है।

वजन होता है कम
स्वास्थ्यरेखा विटामिन डी से फैट सेल्स घटने से शरीर से चर्बी दूर होती है। यह विटामिन शरीर में सेरोटोनिन नाम के हार्मोन का स्तर बढ़ाता है जिससे रात को नींद जल्दी आती है। यही हार्मोन भूख को भी नियंत्रित नहीं करता है, जो कि व्यक्तिपरक पुरातन नक्षत्र नहीं लेता है। अच्छी नींद और भूख पर नियंत्रण, वजन कम करने में काफी मदद मिलती है।

शरीर में रहता है ऊर्जा
सनशाइन विटामिन से शरीर की बायोलॉजिकल घड़ी सही चलती रहती है। बॉडी में मौजूद यह बायोलॉजिकल क्लॉक सन के साथ-साथ मोबाइल है और इसी खाते से हार्मोन्स रिलीज होता है। जिन लोगों की सही लाइफ स्टाइल नहीं होती है और वह धूप नहीं लेते हैं तो उनकी यह घड़ी साॅमिली हो जाती है। इस व्यक्ति का होना कम उम्र में ही वह इंफेक्शन, अपच, बीपी, वर्कर्स और मेंटल डिसऑर्डर का शिकार होता है।

मानसिक विकार विकार नहीं होता
विटामिन डी दिमाग की सेहत को भी मापता है। यदि शरीर में इसका स्तर ठीक हो, तो अवसाद, एंग्ज़ाइटी, अकेलापन जैसे मानसिक विकार संबंधी विकार नहीं कर सकते। विटामिन डी हैप्पी हार्मोन्स को पुनः प्राप्त करें जिससे व्यक्ति खुश रहता है।

रोज 30 से 40 मिनट धूप में बैठा
बच्चा हो या बड़ा हर किसी को प्रतिदिन 30 से 40 मिनट धूप में पढ़ना चाहिए। लेकिन लोगों के बीच दोस्ती की धूप किसी भी समय ली जा सकती है। वस्तुत: बार-बार लोगों को दो-तीन धूप में धूप लेनी चाहिए जबकि हमेशा सुबह के समय धूप लेनी चाहिए। धूप लेने का सही समय सुबह 8 से 9 बजे है। हमेशा त्वचा दिखाकर धूप लें और जब ऐसा करें तो त्वचा को ज्यादा से ज्यादा सूरज की किरण के संपर्क में लाएं।

विटामिन डी से दांत मजबूत होते हैं (Image-Canva)

विटामिन डी की कमी हो तो शरीर को लाभ होता है
शरीर में विटामिन डी की कमी हो तो व्यक्ति को जल्दी थकान होती है। क्रैपीपन और अवसाद लेटेज़ है। अनिद्रा की होने की समस्या है. किसी व्यक्ति की वजह से अधिकतर लोग बीमार रहते हैं। त्वचा पर चमक नहीं होती, बाल भी तेजी से चमकते हैं। जोड़ों, जोड़ों और कमर में दर्द रहता है। व्यक्ति हमेशा अलस में रहता है लगता है। अगर ऐसे लक्षण हों तो तुरंत ब्लड टेस्ट कराना चाहिए क्योंकि शरीर में विटामिन डी का पता चलता है। वैसे तो इस विटामिन की कमी को दूर करने के लिए धूप का सेवन करना जरूरी है, लेकिन इसमें शामिल कुछ विटामिन की कमी को दूर करने के लिए इसकी कुछ कमी हो सकती है। इनमें दूध, दही, पनीर लें, गाजर, संतरा और स्वादिष्ट शामिल हैं। मछली खाने से भी होता है फायदा.

सन स्क्रीनसेवर या नहीं?
सूर्य की किरण अल्ट्रावायलेट रे से भागने के लिए सनस्क्रीन स्क्रीनशॉट जरूरी है। लेकिन इसके सेवन से शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है, इस बात को लेकर कई लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है। इस पर कई स्टीज़ होलें हैं. हार्वर्ड मेडिकल के अनुसार सनस्क्रीन चित्रण से विटामिन डी की कमी नहीं होती। इसे बनाने के बाद भी यह विटामिन एब्जॉर्ब होता है।


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