सेहत – ग्राउंड रिपोर्ट: नकली आलू का भंडाफोड़, बलिया CMO ने कहा-खराब कर रहा है किडनी-लिवर, ऐसे करें असली की पहचान

सन्नन्दन उपाध्याय/बलिया: आलू, जो हर घर में सबसे आम इस्तेमाल की जाने वाली फिल्म है, अब सावधानी की मांग कर रही है। बलिया में खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा नकली और रंगीन आलू का भण्डाफोड़ किया गया, पूरे क्षेत्र में हंगामा मचा दिया गया। अधिकारियों ने पाया कि लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक व्यावसायिक आलू पर ₹400 का अतिरिक्त लाभ दिया जा रहा है।

विशेषज्ञ का कहना है कि आदिवासियों ने आलू को कृत्रिम रंग देकर उसे ताज़ा और आकर्षक बनाने का प्रयास किया। ग्राहक इसे नई आलू समझकर सैद्धांतिक कहते हैं, लेकिन असल में यह आलू के रंग का और स्वास्थ्य के लिए खतरनाक होता है। लगातार ऐसे ही आलू का सेवन लाभकारी साबित हो सकता है।

आलू का भण्डाफोड़ के दौरान नकली आलू का भण्डाफोड़
सहायक आयुक्त द्वितीय खाद्य अधिकारी डॉ. वेद प्रकाश मिश्र ने बताया कि मंडी में नकली आलू की रिकॉर्डिंग लगातार मिल रही थी। तत्परता से की गई कार्रवाई में 21 कृत्रिम कृत्रिम रंग-बिरंगे आलू जप्त किए गए, कीमत लगभग ₹56000 है। ये आलू गेरुआ मिट्टी और अन्य केमिकल्स के शानदार ढंग से बनाए गए थे, ताकि ग्राहक धोखे में पड़ जाए।

नकली आलू की पहचान कैसे करें?
अंतःक्रिया से पहचानें: असली आलू में प्राकृतिक संरचना होती है, जबकि नकली आलू में रसायन की गंध आ सकती है।
आलू का अवलोकन: असली आलू का बेहतर रंग बाहरी रंग से मेल खाता है, जबकि नकली आलू में यह असामान्य हो सकता है।
पानी में डबकर पहचानें: असली आलू पानी में डूबे हुए होते हैं, जबकि नकली आलू या केमिकल से भारी आलू तैर सकते हैं।

किडनी-लीवर को ख़राब कर रहा नकली आलू
बलिया जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. विजयपति डिक ने कहा कि गेरुआ मिट्टी और केमिकल्स से रंगे आलू के नमूने और किडनी को भारी नुकसान होता है। इसके सेवन से यूसुफ़ की दवा धीरे-धीरे ख़त्म हो सकती है और सूजन, कब्ज, भूख न लगना जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्या पैदा हो सकती है। उन्होंने जनता से सावधान रहने की अपील की और लोकल 18 को जन जागरूकता के लिए धन्यवाद दिया।


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