सेहत – जालौर की कंपनी से लाखों लोगों ने खरीदा ये पौधा, शानदार महके के साथ स्वास्थ्य बेनिटिट भी हैं जबरदस्त

रिपोर्ट- सोनाली भाभी

जालोर: एक ऐसा ही नाम है अक्षय और फूलों से बनी चाय और काढ़ा के दर्द और गठिया में राहत दिलाने के लिए। इसके साथ ही इसके महक घर के माहौल को ताजगी भी मिलेगी। जालौर के एसाम्बल से भी अधिक लोग पारिजात का पौधा खरीद चुके हैं। इसे हरसिंगार के नाम से भी जाना जाता है। यह पौधा न केवल अपनी प्रकृति के लिए है बल्कि इसकी उपयोगिता के कारण तेजी से लोकप्रिय हो रहा है। हरासिंग की मांग लगातार बढ़ रही है और यह जालौर के अधिकांश घरों में बनी हुई है।

पारिजात का पेड़ अपने थोक सफेद और नारंगी रंग के फूलों के लिए जाना जाता है। इसे अक्सर घरों के बागीचों और आंगनबाड़ियों में रखा जाता है। इसकी साबुत सामग्री को ताजगी से भर दिया गया है। इस उपाय की विशेषता यह है कि इसके खूबसूरत फूल और फूल अपने मसाले के साथ न केवल घर के माहौल को ताजगी देते हैं, बल्कि इसे भी चकमा देते हैं। इसके सेवन से घर की नकारात्मक ऊर्जा भी ख़त्म हो सकती है।

हरसिंगार का एक और अनोखा उदाहरण यह है कि इसे सजावटी उपचार के रूप में भी पसंद किया जाता है। इसके आतिथ्य और फूलों का आकर्षण इसे घर के आंगन और बागीचों के लिए एक आदर्श विकल्प बनाता है। इसके अलावा, यह उन लोगों के लिए भी अच्छा है जो अपने घर के माहौल को प्राकृतिक और शुद्ध बनाए रखना चाहते हैं।

जालौर की माता रानी भाटियानी एसोसिएट के लीडर भरत सिंह राजपुरोहित ने लोकेल 18 को बताया कि इसके मूल उद्देश्य का अनुमान लगाया जा सकता है कि जालौर की माता रानी भाटियानी एसोसिएट से अब तक 2.5 लाख से अधिक लोगों ने इस सलाह को खरीदा है। पारिजात न सिर्फ घर को हरा-भरा बनाती है, बल्कि इसके फूलों की महक पूरे घर को खुशनुमा बना देती है। जालौर में इस औषधि की इतनी मांग है कि लोग इसे अपने घर और बगीचों में डालकर पसंद कर रहे हैं।

आयुर्वेदिक डॉक्टर श्री राम वैद्य ने लोकल 18 से जानकारी दी है कि यह पौधा और जोड़ों के दर्द से राहत के लिए इसका औषधीय और फूलों का काढ़ा उपयोगी है। गठिया का इलाज प्रभावी है. यह सूजन और दर्द को कम करता है। बुखार और ज्वर में पारिजात का काढ़ा होता है। चर्म विक्रेताओं के उपचार में इसका उपयोग विशेष रूप से त्वचा की समस्याओं में किया जाता है। एंटी-इंफ्लेमेट्री और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण से भरपूर होने के कारण शरीर को स्वस्थ बनाए रखता है।

हरसिंगार का पौधा अब जालौर के इलाके में सिर्फ एक पौधा नहीं, बल्कि घर की शान बन चुका है।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science