सेहत – जोड़ों के दर्द के लिए काल हैं ये 3 पत्ते, यूरिक एसिड को चबाकर खाते हैं बाहर, कालमेघ तो सबसे ज्यादा जुल्मी

पत्तियां जो यूरिक एसिड को नियंत्रित करती हैं: यूरिक एसिड बायप्रोडक्ट है जो शरीर में प्यूरीन (प्यूरीन) नामक पदार्थ के निर्माण से बनता है। प्यूरिन हमारे शरीर के हर कोशिका में पाया जाता है और यह हमारे भोजन से ही बनता है। खासकर जब मांसाहार, शराब और कुछ समुद्री भोजन करते हैं तो इससे प्रोटीन बनता है और प्रोटीन के बायप्रोडक्ट के रूप में प्यूरिन टूटते हैं और ये यूरिक एसिड में बदल जाते हैं। सामान्यत: यह ब्लड सार्कोल के माध्यम से यह किडनी में दर्द होता है और पेशाब के रूप में शरीर से बाहर निकल जाता है लेकिन जब यह अधिक हो जाता है तो यूरिक एसिड जोड़ों के बीच में क्रिस्टल के रूप में जमने लगता है और जोड़ों के बीच में दर्द पैदा होता है करता है. यूरिक एसिड क्रिस्टल आर्थराइटिस और गठिया के दर्द का कारण बन सकता है। जब यूरिक एसिड क्रिस्टल के रूप में जोड़ों में जमाव होता है तो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली में बाहरी पदार्थ की पहचान होती है और इन पर प्रतिक्रिया होती है, जिससे सूजन और दर्द होता है। इस दर्द से बचने के लिए लोग दवा ढूंढते हैं लेकिन दवा का कोई स्थायी समाधान नहीं है। कुछ अध्ययनों में इस बात के ठोस संकेत हैं कि कुछ रोगियों में तीन एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं कि यह शरीर से यूरिक एसिड को बेहद कम मात्रा में अवशोषित कर लेता है और इससे गठिया का दर्द भी कम हो सकता है।

इन डाइजेस्टिव से कंट्रोल होगा यूरिक एसिड

1.कालमेघ पत्ते-सिद्धांतआई जर्नल की एक रिपोर्ट के अनुसार कालमेध के दुकानदारों में यूरिक एसिड को कम करने की क्षमता है। अध्ययन में बताया गया है कि कालमेघ के डॉक्टरों में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है यानी जब सूजन होती है तो यह अंदर की सूजन का कारण बनता है। कालमेघ से सूजन नहीं होती। इसलिए कालमेघ गठिया या जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है। अध्ययन के अनुसार कालमेघ में एंटीहाइपरयूरेसेमिक गुण मौजूद होता है। इसका मतलब यह है कि यह शरीर में यूरिक एसिड को खून के माध्यम से मूत्र में भेजता है जो शरीर से बाहर हो जाता है। सूजन रोधी गुण के कारण यह जोड़ों में जमा मोनसोडियम यूरेट क्रिस्टल को गला देता है। इन साक्षात बिना ईसाइयों की सलाह खुद से कालमेघ के अवशेषों का प्रयोग न करें। एक बार डॉक्टर से सलाह लें.

2. अमरुद के पत्ते-अमरूद तो सब खाते हैं लेकिन क्या आपने कभी अमरूद के पत्ते कायम हैं। अगर कभी-कभी इसे कैब के पास छोड़ दिया जाए तो कई परेशानियां दूर हो सकती हैं। वर्चुअलाइ जर्नल के अनुसार अमरूद के विक्रेताओं में पोलीफेनोल कंपाउंड होता है जो एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-हाइपरयूरेसेमिक होता है। यह शरीर के अंदर यूरिक एसिड को ब्लड सर्कोल के माध्यम से बाहर भेजता है। गहन अध्ययन में यह साबित हुआ कि अमरूद के शिष्यों में यूरिक एसिड को कम करने की क्षमता है। इतना ही नहीं अमरूद के पत्ते के ब्लड प्रेशर को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

3. गिलोय-बाबा के वकील ने कहा है कि गिलोय के पत्तों से बने पाउडर का सेवन ठीक किया जा सकता है, लेकिन वैज्ञानिकों के अनुसार यह भी पाया गया है कि गिलोय से शरीर में यूरिक एसिड कम हो सकता है और इससे गिलोय के दर्द भी ठीक हो सकते हैं। में मदद करता है. आम तौर पर लोग गिलोय का उत्पाद बेचते हैं लेकिन आप पहले एक बार डॉक्टर से सलाह लें क्योंकि शोध सिर्फ लेबोरेटरी में किया गया है। इंसानों का परीक्षण अभी बाकी है।

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