सेहत – टाइऑमेर से लेकर लेबल तक में प्रभावशाली है यह दवा, इमीएट सिस्टम भी मजबूत होगा

उदाहरण: संशमनी वटी एक आयुर्वेदिक औषधि है। बुखार के इलाज के लिए इसका इस्तेमाल कई तरह से किया जाता है। यह मानव शरीर के लिए वरदान से कम नहीं है। इसमें ज्वरनाशक और सूजन प्रतिरोधी गुण होते हैं। इस आयुर्वेदिक औषधि को बनाने के लिए भारतीय गिलोय का उपयोग किया जाता है। यह शरीर में वात और पित्त दोष जैसे त्रिदोषों का निर्माण करता है।

आयुर्वेदिक चिकित्सा संजय कुमार शर्मा ने स्थानीय 18 से बातचीत करते हुए बताया कि संशमनी वटी एक औषधीय औषधि है जिसका उपयोग बुखार के इलाज के लिए किया जाता है। इस औषधि का मुख्य घटक गिलोय है। यह जड़ी बूटी आयुर्वेद में जीर्ण ज्वर से जुड़े शरीर के बढ़ते तापमान को कम करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रचना है। यह टाइ पिरामिड से लेकर फ्रेम के बुखार तक में प्रभावशाली है, इसलिए इसका अर्थ बुखार में अधिक प्रयोग किया जाता है।

महिलाओं में होने वाली ल्यूकोरिया की समस्या में भी ये है कमाल. यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और पीलिया जैसी गंभीर बीमारी में भी इसका उपयोग किया जा सकता है। यह दवा शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करने में मदद करती है और विभिन्न बैक्टीरिया, वायरल और फंगल संक्रमण से लड़ने की क्षमता में सुधार करती है। यह निर्बलता के लिए प्रभावशाली है क्योंकि यह शरीर में ताकत और ऊर्जा को बढ़ाने में मदद करता है।

इसका उपयोग आप केश के रूप में भी कर सकते हैं। संशमनी वटी 100% औषधीय और सुरक्षित है। बाज़ार में यह टैबलेट के रूप में भी उपलब्ध है। संशमनी वाटी की खुराक रोगियों की प्रकृति, आयु, लिंग, वजन और स्थिति पर निर्भर करती है। इसलिए डॉक्टर के परामर्श के अनुसार ही इसका उपयोग करना चाहिए।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


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