सेहत – दांतों की मजबूत शक्ति का होना जरूरी है दांतों की ताकत, दांत हो सकते हैं रूट केनेल की जरूरत, दांतों की मजबूती से पहले डॉक्टर से मिलें

दांतों की समस्या: दांतों के चार टुकड़े होते हैं-इनमेल, डेंटिन, पल्प और दांतम। कंफ़र्मेल सबसे उपरी छुट्टी होती है जिसे आप देखते हैं। इसके नीचे डेंटिन और फिर पल्प होता है। पैल्प सबसे महत्वपूर्ण भाग है क्योंकि इसी में नर्व और ब्लड वेसल्स होते हैं। इसी नर्व से दांतों को संदेश दिया जाता है और ब्लड वैसल्स से दांतों को पोषण मिलता है। लेकिन जब डेमोक्रेट घातक हमला करता है तो यही पल्प झील को नुकसान पहुंचाता है। जब पल्प डैमेज हो जाता है तो एक तरह से आपके दांतों से नर्व और ब्लड वैसल्स का संपर्क टूट जाता है। इसके दांतों का मतलब यह हुआ कि उस दांत को पोषण मिलना बंद हो गया यानी उस दांत की मौत हो गई। पल्प के डैमेज का सबसे बड़ा कारण है दांत निकलना। आपके दांतों में खून की तरह-तरह की दवाएं लगाई जाती हैं और दांतों को मजबूत किया जाता है।

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दांतों में चोट लगने के कारण
क्लोव डेंटल के डेंटिस्ट डॉ. शिल्पी अरोड़ा बताएं कि दांतों में मोटापा बढ़ने के पीछे आपकी कुछ बुरी आदतें जिम्मेदार हैं। इसका सबसे बड़ा कारण है दांतों की ठीक से सफाई न करना। अगर आप दो बार ब्रूस का ऑर्डर नहीं देंगे तो इससे पहले का आर्टिकल का हमला हो सकता है। इसके अलावा अनहेल्दी खाद्य पदार्थ जैसे कि मुख्य मिठाइयाँ, विशेष रूप से एडेड शुगर से बनी वस्तुएँ चॉकलेट, शीतल पेय, सोडा आदि दांतों में चॉकलेट को पठने के लिए घर पर भर्ती किया जाता है। अगर आपका मुंह अधिक मोटा है, तो आप पर्याप्त पानी नहीं पी सकते हैं, तो आप भी चॉकलेट का स्वाद ले सकते हैं। कुछ रेज़्युलेज़, पुराने एसोसिएटेड स्ट्रेटेज़ा, सीटीआर, शराब भी दांतों में कारण हो सकते हैं।

चॉकलेट कैसे दांतों को बनाया जाता है आदर्श
डॉ. शिल्पी अरोड़ा ने बताया कि ये बैक्टिया दांतों के सबसे कीमती डेंटिन में घुसेड़ता है और वहां कैविटीज़ बना देता है। फिर कैविटीज़ से होते हुए यह पल्प में घुस जाता है। पल्प जेली की तरह की संरचना होती है जिसमें तंत्रिका और रक्त वैसल रहते हैं। जब एक बार पल्प में घुसा दिया गया तो दांतों को रक्त वैसल्स से जो पोषण होता है, वह उसका भक्षण करने लगता है।

दांत में चोट के लक्षण
जब बैचलर पल्प में घुसेड़ दिया गया तो दांतों में दर्द होने लगा जो कि इन शब्दों से नहीं निकला। इस स्थिति में जैसे ही आप कुछ ठंडा या गर्म खाएंगे तो परेशानी होगी। बीमारी अधिक गंभीर होने पर बुखार हो सकता है। मसूड़ों में सूजन होती है. मुँह से पस आवेश लगता है. मसूदो में चले भी पढ़ सकते हैं. जबड़े और गले के नीचे पेट निकल आते हैं। मुँह से बदबू आती रहती है।

उपाय क्या है
डॉ. शिल्पी अरोरा का कहना है कि पहले यह देखने को मिलता है कि कटिंग ने कितना नुकसान पहुंचाया है। यदि यह मामला कैविटी तक ही सीमित है तो इसमें एंटीबायोटिक से ठीक किया जा सकता है। लेकिन अगर पैल्प तक स्क्रीनशॉट घुस गया है और पैल्प बेहद डैमेज हो गया है तो रूट कैनाल करना जारी है।

रूट केनल क्या होता है
डॉ. शिल्पी अरोरा ने बताया कि सबसे पहले एक्सरे से यह देखा गया था कि प्लैटफ़ॉर्म डैमेज तक हुआ था। यदि पल्प मर्क का भुगतान किया गया है, सुजा हुआ है या संक्रमित है तो रूट केनाल की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा कुछ टेस्ट प्रोजेक्टर भी हैं। इसके बाद जहां रूट केनाल करना होता है वहां दवा से सुन कर दिया जाता है। इसके बाद जहां पैल्प डैमेज हो गया वहां तक ​​एक छोटा सा विस्फोट किया गया और गंदगी को साफ किया गया। पल्प से जो नर्व या ब्लड वैसल्स डैमेज होता है, उसे बाहर निकाला जाता है। इसके बाद इस हिस्से को साफ किया जाता है और वहां से पूरी तरह से संक्रमण को हटा दिया जाता है। फिर वहां बहुत पतले और लचीले टुकड़े डाले जाते हैं। इसे गाटा शॉट या रूट केनाल कहा जाता है।

क्या करें कि नौबत ही न आए
डॉ. शिल्पी अरोड़ा का कहना है कि सबसे पहली बार यह ओरल हाई जीन की प्रक्रिया है। हर दिन दांतों को दो बार साफ करें। दांतों के साथ-साथ जीभ को साफ करना न भूलें। शहर रहेंगे तो इसपर मौजूदा दांत दांतों पर भी हमला करेंगे। फ्लोराइड टूथपेस्ट का प्रयोग करें. दाँतों में फँसी नीली को तिरछी नज़र से देखते रहे।मुंह साफ करने पर भी ध्यान दें। हमेशा पर्याप्त पानी पियें. कम पानी पीने से मुंह में बाथटब का सहारा लिया जाता है। तीसरा टुकड़ा खाना। हरी पत्ती के पत्तेदार और समुद्री फल का सेवन करें। बहुत बड़े पैमाने पर कठोर कीटनाशकों को दांतों से न तोड़ा जाए। मित्र की सेहत ठीक-ठाक बनी रहे। सिगरेट-शराब से भी दांतों को नुकसान पहुंचाया जा सकता है। साल में कम से कम एक बार डेंटिस्ट के पास जरूर जाएं।

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