सेहत – पूर्वोत्तर की आग हवा में नासा रही जहर ! इससे हर साल सामने आई लाखों लोगों की मौत, रिसर्च में आई हैरान करने वाली बात

भूदृश्य में लगी आग हवा को विषाक्त बना रही है: आज के दौर में एयर पॉल्यूशन पूरी दुनिया के लिए खतरा बन गया है। हर देश में किसी न किसी वजह से हवा में जहर फैल रहा है और इससे लाखों लोगों की मौत हो रही है। एक छात्र अध्ययन में पता चला है कि समुद्र तट की आग भी समुद्र तट में हवा को रेस्तरां बना रही है और इसके पैर में बड़ी संख्या में लोग अपनी जान गँवा रहे हैं। हर साल लाखों नागालैंड जंगल आग की चपेट में आकर राख हो जाते हैं और इससे जुड़े कई देश अपने-अपने पहाड़ों में हवा को खतरनाक बना देते हैं। इस रिसर्च में कई स्टार्स वाली बातें सामने आई हैं.

ऑस्ट्रेलिया में एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययनकर्ता ने खुलासा किया कि हर साल दुनिया भर में 1.5 मिलियन यानी 15 लाख से ज्यादा लोग जंगल की आग से होने वाले एयर पॉल्यूशन से मर जाते हैं। लैंडस्केप फायर यानी जंगल की आग हवा को इतना खतरनाक बना देती है कि यह लोगों की मौत का कारण बनती है। यह रिसर्च मेलबोर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी के पते पर है। इस रिसर्च में 2000 से 2019 के बीच हुए आंकड़े का विश्लेषण किया गया है. इस अध्ययन में पाया गया कि जंगलों, घास के मैदानों और अन्य खुले इलाकों में लगे आग से वायु प्रदूषण हर साल लाखों लोगों की जान लेता है।

रेज ने अध्ययन में दावा किया है कि जंगल में आग लगने से वायु प्रदूषण होता है, जिसके कारण हर साल 15 लाख से अधिक लोगों की जिंदगी खत्म हो जाती है और इसमें 90 प्रतिशत से अधिक गरीब और मध्यम समुदाय शामिल हैं। विशेष रूप से सब-सहारा अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण और पूर्वी एशिया जैसे क्षेत्रों में यह समस्या काफी गंभीर है। इन देशों में लोग वायु प्रदूषण से उत्पन्न होने वाली चुनौती का अधिक शिकार होते हैं, जिनमें हार्ट डिजीज और रेस्पिरेटरी डिजीज शामिल हैं। भारत में भी एयर पॉल्यूशन से खराब हालात हो गए हैं और बड़ी संख्या में लोग खतरे का शिकार हो रहे हैं।

इस अध्ययन में यह भी पाया गया कि जंगलों में आग लगने से वायु प्रदूषण के कारण 450,000 लोगों की हृदय गति और 220,000 लोगों की मृत्यु रेस्पिरेटरी डिजीज के कारण हुई। अध्ययन में यह भी बताया गया है कि जंगल की आग से आरोह वाले महीन कण यानी फाइन पार्टिक ओजोन का कारण सबसे खतरनाक होता है, जो 77.6 प्रतिशत रेग का कारण बनता है, जबकि 22.4 प्रतिशत रेग का कारण सतही ओजोन (शैलो ओजोन) है। आयुर्वेद का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण पूरे इलाके में आग की घटनाएँ बढ़ रही हैं और यह आग अब से पहले कहीं अधिक गंभीर हो गई है। इसके कारण वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है, जिससे स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ रहा है।

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