सेहत – फ़िल्फ़ में बिना बुखार के हो रहा है वायरल! दिवालियापन भी हुआ, सैकड़ों की संख्या में असातल पहुंच रहे मरीज

बिना बुखार के वायरल संक्रमण, आज से पहले कभी आपने सुना है? नहीं न, लेकिन अब ये बीमारी- बिमारी में पैर पसरा है. इस बीमारी से सैकड़ों मरीज़ रोज़मर्रा के अस्पतालों की नाव में पहुँच रहे हैं। ऐसी स्थिति में ज्योतिषी की जांच इनहेलर में की जा रही है और नेबुलबिजीर की भी जांच की जा रही है। वहीं ऐसे मरीज आ रहे हैं जो खांसी की कई दवाएं पी-पीकर खाली कर चुके हैं या एंटीबायोटिक दवाओं के कई कोर्स पूरे कर चुके हैं लेकिन आराम नहीं मिल रहा है।

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वेरियंट हेलथ क्रैजिटल टेक्निकल एड ग्रेजुएटी ग्रुप ऑन साइकेलोबल एयर पॉल्यूशन एंड स्ट्रेंथलोबल हेलोडेटरी ग्रुप सदस्योमी और पी.एस पल्मोनरी, क्रिटिकल केयर एंड केयरलीप मेड पिस्सिन डॉ. गोपीचंद खिलनानी डॉक्टर हैं, ‘अटूट स्ट्रोक में अभी मेरे पास ऐसे मरीज आना शुरू हो गए हैं, जो पहले बिल्कुल ठीक थे और अंदर अचानक खांसी आने के साथ ही थकान, नाक बहना, गले में दर्द, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और घरघराहट जैसी दवाएं हो रहा है. ‘पिस्ट्री ने बताया कि ‘साइथ न तो बुखार है और बलगम भी नहीं मिलता है लेकिन न तो वे लेट पा रहे हैं और न ही बैठे हैं।’

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फेफड़े के नाल में आ रही सूजन
डॉ. खिलनानी ने कहा कि इन सभी पीड़ितों में वायरल संक्रमण के लक्षण थे लेकिन बुखार नहीं था। डॉक्युमेंटाइट थॉस्कोप से परीक्षण किया गया तो निमोनिया भी कुछ नहीं दिखा। यहां तक ​​कि एक प्रयोगशाला और माध्यमिक पायरोट्री भी ठीक आ गई। हालाँकि जब इसकी फीनो फैल गई तो इसमें सूजन बनी हुई थी और फेफड़े की नालियों में सूजन सभी की सामान्य प्रोटोजोआ सूजन थी।
इनमें से कई मरीज तो ऐसे हैं जो काफी पहले से अपनी दवा ले चुके हैं लेकिन जब परेशानी हुई तो फिर डॉक्टर के पास आ गए।

ये वाजिब है
डॉ. खिलनानी ने बताया कि बिना बुखार के वाइरस जैसे कि इंजेक्शन वाले इन्फेक्शन की ये गैंग-फुल्लिंग की वजह से हो रही है। अधिकारियों में एयर क्वालिटी खराब या बहुत खराब श्रेणी में जाने से ही इसका असर होता है कि लोग बड़ी गुणवत्ता में बीमार पड़ रहे हैं। वहीं जिन्नहें से पहले अस्ट्रोमा, ब्रॉनकाइटिस या फेफड़े संबंधी कोई बीमारी है, उनकी स्थिति खराब हो रही है।

ऑनलाइन हो रही ऑनलाइन नौकरियां
इन मरीज़ों पर न केवल इनहेलर और नेबुलबिज़री नज़र रखी जा रही हैं, बल्कि जो मरीज़ पहले से अस्थामा, दुनिया की बीमारी, मरीज़ों पर न केवल मरीज़ों की दवा खा रहे हैं, वे मरीज़ भी असर नहीं कर रहे हैं और ऐसे मरीज़ों की सलाह बदलनी पढ़ रही हैं हैं. इनहेलर और नेबुल्जिरी लेने की खासियत भी खूंटी पैड रही है।

रोगी न करें ये गलतियाँ
डॉ. गोपीचंद ने कहा कि सबसे पहले लोग सबसे पहले हवा से खुद को बचाएं, कम से कम बाहर निकलें। इसके अलावा जिन्होनें भी प्रदूषण की वजह से ये दवाएं हो रही हैं वे सेल्फ़ मेडिकेट करने की गलती नहीं करते हैं। वे स्वयं से औषधि न लें, डॉक्टर की सलाह से औषधि लें। इस बीमारी में भूलकर भी एंटीबायोटिक न लें, इस समय एंटीबायोटिक गर्भपात न लें और कोई फ़ायदा नहीं कर रही हैं।

बचाव के कुछ तरीके..
. इन दिनों भीड़भाड़, बिजी मार्केट में न.
. शॉपिंग कम से कम करें.
. वॉक पर जा रहे हैं तो अर्ली मॉर्निंग में न जाएं, उस समय का डॉक्युमेंट मॉग से पॉल्यूशन जमीन पर रहता है।
. जब तक धूप न आये तब तक न.
. अगर जा रहे हैं तो एन 95 मास्क ही बिजनेस करें।
. जिन्होनें फेफड़े की बीमारी है, वे एयर प्युरिफायर लेकर आते हैं।

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