सेहत – बंद करो पजामा, बर्गर, फ़्रेंच-फ़्रीज़! पार्टी नहीं, आप वाद्ययंत्रों को दे रहे हैं डायबटीज, स्थिरांक बने हुए हैं नई मदरसे

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन और टाइप 2 मधुमेह का खतरा: एक समय था जब घर से बाहर खाना एक लग्ज़री किया गया था। मम्मी-पापा के साथ बाहरी सामान का खाना कैसी एकांशसव या बड़ी मछली पर हुआ था। लेकिन साहसी प्रतिभा, ‘विकेंड कलचर’ ने बाहर का खाना बेहद आम कर दिया है। सबसे बड़ी परेशानी ये है कि इन नए-नए तरीक़ों से-अध्यक्षों की सेहत पर सब्सक्रिप्शन का असर डाला जाता है। इन सामानों में शामिल हैं पेज पिज्जा-बर्गर, फ्रेंच फ्रिज, चॉकलेट, कोल्ड्रिंक प्लास्टिक जैसी चीजें हर दिन चलन में आ गई हैं। नई आलू का दावा है कि अलट्रा-प्रोसेसड खाद्य पदार्थ के लगातार बढ़ते उपभोक्ता ने भारत में सिगरेट का खतरा कई गुना बढ़ा दिया है। भारत के हर घर में ग्रिल्ड अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड का प्लांटेशन किया जा रहा है, जिस देश में लगातार बढ़ते मामलों का सीधा कारण है। भारत में वयस्कों से पीड़ित लोगों की संख्या 101 मिलियन है। भारतीयों के लिए हाल ही में जारी एमआईसीएस मेट्रिक-एनआईएन आहार संबंधी दिशा-निर्देशों से पता चलता है कि 5-19 वर्ष की आयु के 10 प्रतिशत से अधिक बच्चे प्री-डायबिटिक हैं।

वर्सेस का विशाल ग्राफिक्स और अल्ट्रा-प्रोसेस्ड भोजन

भारतीय अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और राष्ट्रीय पोषण संस्थान (एनआईएन) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, 5 से 19 वर्ष के 10% से अधिक बच्चों में प्री-डायबिटिक स्थिति है। इसका सीधा संबंध खाद्य पदार्थों से है, जो डीपी फ्राई, बेक्ड या ग्रिल्ड हैं। इन अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फूड्स में एडवांस्ड ग्लाइकेसिलेशन एंड प्रोडक्ट्स (एजीईएस) की अधिकता होती है, जो सूजन का कारण बनते हैं और शरीर को डायब डाइटीज, हाई स्टिलैडलडप्रेशर, और हार्ट बिल्ट्स जैसे स्टाम्प के प्रति उत्पाद बनाते हैं।

प्रतिष्ठानों में जंक फूड की व्यवस्था, भोजन के लिए कई बीमारियाँ बनाई जाती हैं। (फोटो: मेटा एआई)

एडवांस्ड गैलेक्टिकेशन और उत्पाद (AGEs) क्या हैं?
AGEs ऐसे विपणन कंपाउंड्स होते हैं, जो खाने वालों को उच्च टेंप्रेचर पर्चियों से बनाए जाते हैं। चेन्नई स्थित मद्रास सुपरमार्केट फाउंडेशन (एमडीआरएफ) के विशेषज्ञ डॉ. वी. मोहन का कहना है कि डी.पी. फ्राई, सेलेब्रिटी या ग्रिलिंग के दौरान आयोडीन युक्त स्ट्रैस पैदा होता है, जो सूजन और अन्य समस्याओं का कारण बनता है। यह सूजन आगे चलकर टाइप 2 मधुमेह, हृदय रोग और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ सकता है। डॉ. मोहन ने आईसीएमआर के साथ मिलकर एजेस पर एक अध्ययन किया, जिसमें उन्होंने पाया कि जो लोग उच्च मात्रा में फलों का सेवन करते हैं, उनमें टाइप 2 मधुमेह और सूजन जैसी समस्याओं का खतरा अधिक होता है।

अल्ट्रा-प्रोसेस्ड फ़ार्म: किन से अस्वीकृत?

स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ, लाल मांस, फ्रेंच फ्राइज़, वसायुक्त खाद्य पदार्थ, बेकन, बेकरी उत्पाद, बिस्कुट, मक्खन और मार्जरीन खाद्य पदार्थ जैसे उम्र की अधिकता होती है। ये खाद्य पदार्थ विशेष रूप से लालायित होते हैं, क्योंकि शरीर में सूजन और आयोडीन युक्त तनाव का स्तर बढ़ जाता है। दूसरी ओर, फल, कंसीलर, ब्रोकली, फलियां, ओट्स, समूह उत्पाद, मछलियां और मेवे (जैसे बादाम, मूंगफली, काजू) कम उम्र वाले होते हैं और स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित माने जाते हैं।

विशेषज्ञ की राय: तला हुआ भोजन एवं रेस्तरां से सेवा लें
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल, साकेत के अध्यक्ष और प्रमुख एंडोक्राइनास्थिन डॉ. अंबरीश मिग्ल ने बताया कि फूड सेचुरेट पाइलड फैट और कैलोरी से भरपूर होती है, जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है। भारतीय स्ट्रीट फूड्स, विशेष रूप से वह भोजन जो बार-बार गर्म तेल के मसाले में पकाया जाता है, ट्रांस फैट्स से भरा होता है। ट्रांसफ़ेक्ट्स हृदय रोग और कैंसर जैसी गंभीर शर्ते की पेशकश हैं। डॉ. मिस्टर ने आगे बताया कि बेक्ड फूड्स भी स्वस्थ नहीं होते, क्योंकि इनमें कार्बोहाइड्रेट की भारी मात्रा होती है। ये खाद्य पदार्थ सामाग्री को बढ़ावा देते हैं, जिसका प्रमुख कारण है।

सफेद चावल और व्यंजनों का अधिक सेवन: उच्च कोलेस्ट्रॉल खतरा
एमडीआरएफ के अध्ययन में यह भी पाया गया कि सफेद चावल और आटे का अत्यधिक सेवन कार्बोहाइड्रेट के स्तर को दर्शाता है, जो शुगर के स्तर में बढ़ोतरी का कारण बनता है।

अल्ट्राप्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों का सेवन और टाइप 2 मधुमेह का खतरा

भारतीय स्ट्रीट फूड्स, विशेष रूप से वह भोजन जो बार-बार गर्म तेल के मसाले में पकाया जाता है, ट्रांस फ़ेट्स से भरा होता है। (फोटो मेटा एआई)

तनाव, नींद की कमी और प्रदूषण भी है वजह
विशेषज्ञ ने यह भी बताया कि तनाव, कम या अधूरी नींद और वायु प्रदूषण के बढ़ते मामलों में भी प्रमुख भूमिका शामिल है। ये कारक शरीर के चयापचय पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिससे प्रतिरोध और शर्करा के स्तर में वृद्धि होती है।

विशेषज्ञों ने सरकार और लोगों से अपील की है कि वे पौराणिक कथाओं को फॉलो करने के उत्सव के साथ सबसे अच्छे अच्छे खान-पान और हेलदी हेबट्स पर जारी करें। अधिक फल और फलों का सेवन करना नियमित व्यायाम से बचाव में आराम हो सकता है। आधुनिक काल में अल्ट्रा-प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थों के प्रमुखों के लिए श्रमिकों के खतरों से बचने के लिए जागरूकता और इंटरनेट अत्यंत आवश्यक है। सही खान-पान और निजीकरण हम इस बढ़ते खतरे को कम कर सकते हैं।


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