सेहत – बेहद खास है आयुर्वेद का ये कल्पवृक्ष, जानवरों, इंसानों और पर्यावरण के लिए है बेहद उपयोगी, जानें इसके फायदे

जयपुर:- ताज़ा रसीले फलों वाला शहतूत का पेड़ एक खास पेड़ माना जाता है। शहतूत एक फलदार पेड़ है, जो हर बगीचे में उगाया जाता है। किसान सहतूत की खेती करके बड़ा लाभ कमाते हैं। सहतूत की मध्यम आकार के रंग हरे के होते हैं। इस पेड़ की पशु चरा के लिए भी बहुत सारे राक्षसी व्यापारी हैं। इस पेड़ पर लगे फल बहुत रसीले और स्वादिष्ट काले जैमी रंग के होते हैं।
इसके अलावा इस पेड़ की लकड़ी का उपयोग नाव बनाने के लिए किया जाता है। इसे कल्पवृक्ष भी कहा जाता है. सहतूत के लिए दोमट मिट्टी या बलुई मिट्टी अच्छी मानी जाती है। इसे गार्डन या घर के चौक में उपयोग से सकारात्मक ऊर्जा संचारित किया जाता है। आयुर्वेद में इसे कृमि पौधा माना जाता है, इसे हड्डियाँ जोड़ने वाला पौधा भी कहा जाता है। सहतूत के लिए शुष्क जलवायु ठीक रहती है। इस पेड़ के लिए जल स्थिरता नहीं होनी चाहिए।
शहतूत के औषधीय गुण
आयुर्वेद डॉक्टर किशन लाल ने लोकल 18 को बताया कि आयुर्वेद में शहतूत के छात्र, पत्ते का रस और जड़वत का रस काफी खट्टा माना जाता है। इससे कई औषधियां भी तैयार होती हैं।
1.मधुमेह के इलाज में सहायक: रामबाण उपचार के लिए शहतूत के फलों में मौजूद पोषक तत्वों की तलाश की जाती है। उनके शिष्यों का रस और शिष्यों से व्यवसायियों की दवा तैयार होती है। विंटर का मरीज़ कॉन्स्टैंट शहतूत से बनी दवा का सेवन बहुत आरामदायक है।
2.पाचन क्रिया में सुधार: सहतूत के फल और विक्रेता में पाए जाने वाले तत्व पाचन क्रिया में सुधार लाए जाते हैं। इससे गैस अपच में तुरंत आराम मिलता है।
3. रोग उपकरण क्षमता बढ़ाने में सहायक: शहतूत के फल और दवा का लगातार सेवन करने से शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रबल होती है। इसके सेवन से व्यक्ति कम बीमार है।
4. खून बढ़ाने में सहायक: सहतूत में पाया जाने वाला आयरन ब्लड कंधे में सहायक होता है। इसके लगातार सेवन से महिलाओं में खून की कमी दूर होती है।
5. शरीर के लिए उपयोगी फल: सहतूत के फल में पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्त्व पाए जाते हैं। इसके सेवन से आंखों की रोशनी बढ़ाने में सहायक, हड्डियां मजबूत होती हैं। मानसिक स्वास्थ्य एवं आंत की समस्या में भी ये फलदायी है।
6. शरीर की सूजन कम करने में सहायक: शहतूत के शरीर की सूजन को कम करने में सहायक होती है। आयुर्वेद में शहतूत के पेड़ के छात्र बहुत उपयोगी होते हैं। इससे शरीर में सूजन कम होती है। इसके अलावा यह सहतूत के नशे का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुंह के छाले खत्म हो जाते हैं।
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कैसे पाउडर सहतूत का पौधा
सहतूत एक फलदार पौधा है। इसे तेज धूप से बचाना चाहिए और उपचार को ऐसी जगह पर करना चाहिए, जहां आंशिक रूप से सूर्य का प्रकाश आता हो। इसके अलावा इस उपकरण के लिए मिट्टी में जिज्ञासा की पात्रता है। सेतु के औजारों का उपयोग करने के लिए सबसे पहले मिट्टी तैयार की जाती है। मिट्टी में मिट्टी की साडी हुई खाद को अच्छी तरह से अच्छी तरह से मिट्टी में मिला कर लेना चाहिए. अब उपकरण के लिए उपकरण के आकार में एक बड़ा खोदकर खाद वाली मिट्टी के बर्तन में डाल देना चाहिए, प्लास्टिक के बर्तन से कुछ मिट्टी के बर्तन में मिट्टी को दबाकर मिट्टी के बर्तन को दबा देना चाहिए और फिर पानी डाल देना चाहिए। शहतूत के उपाय से जल विक्रेता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जल का सहायक उपकरण में जड़वत गोगन का जन्म हो सकता है। इसलिए उपचार से जल उत्पादक अच्छी तरह से चाहिए। मिट्टी की विशिष्टता बनाए रखने के लिए मिट्टी में एक बार और खाद देना चाहिए। जिससे पौधे अच्छा उत्पादन होगा.
पहले प्रकाशित : 24 अक्टूबर, 2024, 12:59 IST
अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज़ का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।
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