सेहत – भारत में कब तक पंजीकरण की वैक्सीन? आईसीएमआर ने दिया बड़ा अपडेट, जानिए किस चरण में चल रहा है ट्रायल

भारत में डेंगू का टीका समाचार: एक वायरल संक्रमण होता है, जो मच्छरों के माध्यम से इंसानों में फैलता है। हर साल भारत में हजारों की संख्या में लोग रेटिंग की तस्वीरें आते हैं। इन दिनों राजधानी दिल्ली समेत कई स्थानों पर रैंकिंग के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वायरस के 4 स्ट्रेन होते हैं, जिसके कारण लोगों में तेज बुखार, मसल्स पेन, जॉइंट पेन और सिरदर्द की समस्या सामने आती है। रेटिंग की वजह से प्लेटलेट काउंटी तेजी से गिरा हुआ लगता है। आयुर्वेदिक उपचार का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो ये जैविक हो सकता है। व्याख्या की कोई वैक्सीन दवा नहीं है. इसकी पहली किताब का आधार तैयार किया गया है।
काउंसिल इंडियन ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने हाल ही में टीकाकरण की वैक्सीन को लेकर बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि इस वैक्सीन के फाइनल ट्रायल पर काम चल रहा है और उम्मीद है कि अगले 2 साल में यह वैक्सीन उपलब्ध होगी। अगर फाइनल ट्रायल में निष्कर्ष निकला तो साल 2026 तक लोगों के लिए वैक्सीन उपलब्ध हो गई। यह वैक्सीन भारत में बनी है, जबकि इसकी तकनीक अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ ने विकसित की थी। आईसीएमआर के साथ मिलकर भारतीय कंपनी पैनेसिया बायोटेक वैक्सीन तैयार कर रही है।
डॉ. बहल ने बताया कि वैक्सीन की रेटिंग को वैज्ञानिक मैट्रिक्स ने सहयोग दिया है। फैक्ट्री कंट्रोलर जनरल ने इस वैक्सीन के स्टेज 3 के फाइनल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। अगले 2 प्राचीन काल में इस वैक्सीन के परिणाम मिलेंगे। यदि रिजल्ट अच्छा चल रहा है तो इसे व्यापक रूप से उपयोग में लाया जा सके। यदि वैक्सीन का परीक्षण सफल हो रहा है, तो इससे न केवल भारत को लड़ाई में मदद मिलेगी, बल्कि यह आत्मनिर्भरता की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा। इस वैक्सीन के चरण 1 और चरण 2 का अंतिम चरण 2018 और 2019 में चल रहा है।
आईसीएमआर की राय तो भारत में वैक्सीन के अलावा एक और वैक्सीन पर काम चल रहा है, जो जून्थोस डिजीज के लिए है। इस वैक्सीन को भारत में भी विकसित किया जा रहा है और इसका निर्माण वैज्ञानिक प्रबंधन के सहयोग से किया जा रहा है। छोटे टीके पर इस वैक्सीन के परीक्षण में अच्छा परिणाम मिला है। अब इस वैक्सीन का बड़ा परीक्षण और फिर इंसानों पर किया जाएगा। पहले परीक्षण के लिए मंजूरी भी मिल गई है। यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आगे की प्रक्रिया में मदद करेगा। जूनियोटिक्स डिजीज वे बीमारियाँ हैं, जो इंसानों से अलग हो जाती हैं।
भारत में रिकॉर्डिंग के सबसे ज्यादा मामले देखने को मिलते हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार पिछले 2 दशकों में रैंकिंग के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। साल 2023 के अंत तक दुनिया के 129 से ज्यादा देशों में वायरस के मामले रिपोर्ट किए जा चुके हैं. भारत में लगभग 75-80% मामलों में लक्षण नज़र नहीं आते हैं और केवल 20-25% मामलों में लक्षण दिखाई देते हैं। परिभाषा एक खतरनाक बीमारी है, जिसका सही समय पर इलाज न होने पर मौत भी हो सकती है। सीवियर मामलों में यह इन्फेक्शन डिज़ाइन स्कोर स्कोर और स्केच हेमोरेजिक फीवर में बदला जा सकता है। ऐसे में इसका वैक्सीन आना बेहद जरूरी है.
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पहले प्रकाशित : 19 अक्टूबर, 2024, 12:23 IST
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