सेहत – मॅचैल्डरों की फौज कर रही मौज, क्रिएटर मलेरियल ही नहीं, दे रही हड्डी तोड़ चिकनगुनिया, बढ़ी हुई मरीज

दिल्ली में चिकनगुनिया के मामले: ईसाई धर्म के लोग ही नहीं बल्कि कई समर्थकों में मैचेल्डरों का आतंक दिखाई दे रहा है। दिन हो कच्ची रात, घर हो या बाहर, हर जगह बस मैचेड्रॉन की झलक दे रही है। हालाँकि सबसे बड़ी समस्या यह है कि ये मछलियाँ विशेष रूप से खंडित और मलेरियल जैसी जातियाँ ही नहीं बिक रही हैं, बल्कि इस बार हड्डी टूटने से चिकनगुनिया के टुकड़ों की रिकवरी भी तेजी से बढ़ रही है। सितंबर और अक्टूबर की शुरुआत के आंकड़े देखें तो इस बार पिछली बार के काफी पसंदीदा चिकनगुनिया के केस देखने जा रहे हैं।

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फिलाडेल्फिया नगर निगम के आंकड़ों में बताया जा रहा है कि इस बार चिकनगुनिया के केस में होटल की दुकान देखी जा रही है। 28 सितंबर तक चिकनगुनिया के 55 मामले सामने आए थे, जबकि उसके बाद 5 अक्टूबर से 69 दिनों तक चिकनगुनिया के मरीज मिले थे। इसके आसपास की रिपोर्ट में कहा गया है कि इन मामलों के अलावा 40 के चिकनगुनिया के मामलों के बारे में भी पता चला है या फिर पूरा दर्ज या गलत दर्ज नहीं किया गया है।

इसलिए हड्डी है तोड़-फोड़
चिकनगुनिया वायरल बीमारी है जो मॅचेड्रॉन के कटर से ऐसी ही होती है। इसे हड्डी टूटना बुखार कहा जाता है, इसमें प्लास्टर बुखार के साथ-साथ सीवियर जॉइंट और मसल फ्रैक्चर पेन होता है। जोड़ों में दर्द का वैज्ञानिक सिद्धांत होता है कि मरीज न तो मिलता है और न ही उठता है। वहीं बुखार भी बहुत तेज आता है। इसके साथ ही सिर दर्द, थकान, जी मिचलाना या उल्टी होना और शरीर पर लाल चकत्ते होना भी इसके लक्षण हैं।

रेटिंग की तरह दिन में कितना अच्छा लगता है
रेटिंग की तरह चिकनगुनिया का मछलियां भी एक दिन में ही कटती हैं।
चिकनगुनिया वायरस, बैटमैन एडिज एजिप्टी और एडिज एल्बोपिक्टस प्लांट के मच्छरों के कटर से छींटे हैं। ये मच्छर, संशोधित वायरस फैलाने वाले मच्छरों की तरह ही होते हैं और काले और सफेद रंग की किस्में वाले होते हैं। ये मच्छर, दिन के समय, सूर्योदय से सूर्य तक छायादार स्थान पर रहते हैं और इसी तरह के समय लगाए जाते हैं। हालाँकि ये मॅचैल्डर कई बार रात में भी कट सकते हैं। मॅचेर के कटर के 3 से 7 दिन के अन्दर बीमारी के लक्षण प्रकट होते हैं।

चिकनगुनिया का ये है सबसे बड़ा साइड इफेक्ट
चिकनगुनिया में सबसे पहले जोड़ों में दर्द होता है लेकिन इस बीमारी का सबसे बड़ा साइड इफेक्ट यह है कि जोड़ों में दर्द लंबे समय तक बना रहता है और इसकी वजह 30 से 40 लोगों तक होती है। है. कई मिलों में देखा गया कि एक बार चिकनगुनिया होने के 8-10 साल बाद भी एक बार चिकनगुनिया रहता है।

चिकनगुनिया से बचने का ये है उपाय
एमसीडी के पूर्व स्टॉक अधिकारी डॉ. सतपाल का कहना है कि चिकनगुनिया का कोई आयुर्वेदिक इलाज नहीं है। बल्कि सिर्फ नुस्खा के आधार पर इलाज किया जाता है। हालाँकि इससे बचाव के लिए सबसे जरूरी है कि मैचेड्रॉन के टुकड़े से बचा जाए। इसके लिए जब भी बाहर निकलें तो पूरी तरह से एस्टीन के खिलौने के खिलौने। परीक्षित तक का छोटा-सा छोटा सा टुकड़ा। मधुरदानी वस्त्र. घर हो या बाहर कहीं भी हो पानी जाम तो तुरंत हटाएं। अगर दर्द के साथ बुखार आए तो तुरंत डॉक्टर के पास पहुंचें।


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