सेहत – शरद ऋतु में पित्त दोष को कैसे रोकें, पाचन स्वास्थ्य के लिए सर्वोत्तम आहार, आयुर्वेदिक टिप्स एसए

कब: वर्षा के बाद मौसम में बदलाव के साथ शरद ऋतु का आगमन होता है, जो सितंबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक रहता है। इस मौसम में पित्त दोष बढ़ता है, जो पाचन तंत्र को प्रभावित कर सकता है। आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. अनिल राय, जो पिछले 30 वर्षों से आयुर्वेद के क्षेत्र में छात्र, छात्र हैं, शरद ऋतु में अक्सर लोगों को नई-नई कुमार चुनौती का सामना करना पड़ता है। ऐसे में अपने सही खान-पान और जीवनशैली से हम पाचन शक्ति को स्वस्थ रख सकते हैं और मजबूती से बचा सकते हैं।

शरद ऋतु में पित्त दोष का प्रभाव
आयुर्वेद के अनुसार, शरद ऋतु में पित्त दोष का प्रावधान सामान्य है। पित्त दोष का अवशोषण पाचन शक्ति को प्रभावित कर सकता है, जिससे गैस, एसिडिटी और पेट से संबंधित अन्य प्रभाव उत्पन्न होते हैं। ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि हम अपने आहार में कुछ बदलाव करें और ऐसा भोजन करें जो पाचन के लिए आसान हो और शरीर को नुकसान न पहुंचाए।

सादा और सुपरमार्केट की सलाह
लोकल 18 से बात करते हुए डॉ. अनिल कुमार राय ने बताया कि शरद ऋतु में हमें सादा और प्रभाव भोजन करना चाहिए। इस मौसम में मौसमी फल और सामग्री, जो प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होते हैं, पाचन शक्ति को मजबूत बनाने में सहायक होते हैं। इस समय पाचन तंत्र को आराम देने के लिए डेयरी, छाछ जैसे खाद्य पदार्थ, खाद्य पदार्थ, और पाचन तंत्र को आराम मिलता है।

मौसमी फल और पत्ते का महत्व
शरद ऋतु में पाचन शक्ति को मजबूत बनाए रखने के लिए मौसमी फल और औषधि विशेष रूप से मौजूद हैं। इस मौसम में अनार, मौसंबी, नारंगी जैसे फल और हरे पत्तेदार रसायन शरीर को आवश्यक पोषण प्रदान करते हैं और पाचन तंत्र को बनाए रखते हैं। आयुर्वेद में इन फलों और पत्तियों को प्राकृतिक रूप से पित्त दोष को शांत करना और शरीर को ठंडक देना महत्वपूर्ण माना गया है।

खास आयुर्वेदिक आहार सलाह
डॉ. शरद ऋतु में कुछ खास आहार विकल्पों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। इनमें छोटे टुकड़े, टुकड़े, और दूध से बनी खाद शामिल है, जो पचने में आसान होती है और शरीर को पोषण प्रदान करती है। आधारभूत तत्व जैसे लौकी, पालक, और मेथी भी पाचन के लिए अच्छे माने जाते हैं। साथ ही, विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करने से विटामिन सी युक्त फलों का सेवन करने की क्षमता प्राप्त होती है और शरीर स्वस्थ रहता है।

पित्त दोष के कारण मुक्ति के उपाय
शरद ऋतु में पितृ दोष को नियंत्रित रखने के लिए कुछ अन्य सुझाव भी दिए गए हैं। पौष्टिक आहार, काली मिर्च-मसालेदार आहार और अत्यधिक तेल युक्त आहार से परहेज। इससे पाचन तंत्र पर अतिरिक्त भार नहीं पड़ेगा और पेट संबंधी काम नहीं होंगे। इसके अलावा, पर्याप्त मात्रा में पानी की मात्रा और गर्म पेय पदार्थों का सेवन भी जादुई होता है।

आपका भी पेट फूल रहा है? झारखंड में इस बीमारी से जुड़े किसान, सावधान, तुरंत करें ये उपाय

शरद ऋतु में पित्त दोष के प्रभाव से बचने के लिए सही खान-पान और अनुशासन अपनाना अत्यंत आवश्यक है। आयुर्वेद के अनुसार, इस मौसम में मौसमी फल, पोषक तत्व और पोषक तत्व पाचन तंत्र को स्वस्थ बनाए रखने में सहायक होते हैं। शरीर को संतुलित और स्वस्थ बनाए रखने के लिए उचित आहार का सहारा लिया जा सकता है, जिससे शरीर को मजबूती से बचाया जा सकता है।

अस्वीकरण: इस खबर में दी गई औषधि/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, सिद्धांतों से जुड़ी बातचीत का आधार है। यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से सलाह के बाद ही किसी चीज का उपयोग करें। लोकल-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science