सेहत – सफदरजंग अक्रिस्टल में खुला कीरोके यूनिट, आखिरी को बेकार हो जाएगा असली इलाज, ये है दिक्कत

सफदरजंग अस्पताल में स्ट्रोक यूनिट: फिलीपी के वीएमएमसी और सफदरजंग अस्पताल में अभी तक सामारियोक के मरीजों को इलाज या न्यूमेरोलॉजी विभाग में इलाज दिया जाता था लेकिन अब यहां मरीजों के लिए बेहतरीन इलाज की सुविधा शुरू हो गई है। क्लिनिक के न्यूमेरोलॉजी विभाग में 8 बेड वाली आश्रमोक यूनिट खोली गई है। यहां एक कंप्यूट डेरेरोके के मित्र को वेरिएंट स्ट्रैलास इलाज की सुविधा मिल जाती है।

इस बारे में सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी डॉ. विंदो स्वार्ड्स ने बताया कि इस यूनिट के शोरूम से पेशेंट केयर में बड़ा बदलाव आने वाला है। यहां हेल्थकेयर एडवांसमेंट की दिशा में मुख्य सिद्धांत पूर्ण कदम है। यह डॉयल्टी के लिए डॉयरेक्टाइलाइज्ड सुविधा है, जिससे डायरॉक के इलाज और बैचल पर बड़ा प्रभाव देखने को मिलेगा। इस यूनिट में 6-बेड वाली हाई डिपेंडेंसी यूनिट (एचडीयू) और साइकोलॉजी स्टूडेंट में 2 स्ट्रोक बेड शामिल हैं।

वहीं न्यू न्यूमेरोलॉजी के प्रमुख डॉ. बी.के. बजाज ने कहा कि चमत्कारोक ऐसी बीमारी है, जिसका अर्थ है मृत्‍यु दर काफी प्रचलित है। इसके अलावा अगर इस बीमारी का रोगी बच भी जाता है तो डायरेलोक एसोसिएटेड मोरबिडिटी भी रहती है। यह मेमोरियल यूनिट यूनिट एडवांस वैलिटी की स्ट्रोक केयर डिलीवरी कंपनी है। इस यूनिट का खास मकसद यह है कि डकैती में भर्ती के दर को कम किया जाए।

इस इकाई में मल्टीपैरामीटर मॉनिटर के अलावा एक मेमोरियल पेशेल टीम हमेशा बनी रहेगी। जिसमें मनोचिकित्सक, डेडिकेटेड स्ट्रोक्सॉलॉजी अधिकारी और सांख्यिकीविद् शामिल होंगे। यह टीम केवल इस इकाई में नहीं बल्कि समूह में उपस्थित होकर ही सक्रिय होगी और उसकी पूरी टीम तक काम करेगी।

न्यूरोलॉजी के एसोसिएटेड और एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिशिर चंदन का कहना है कि इस यूनिट में एक्यूट स्ट्रोक्स के प्लास्टर को थ्रोम्बो सब्सी की सुविधा दी जाएगी, जो कैरेमोक के इलाज में अभी तक की सबसे उन्नत प्रक्रिया है। बता दें कि सफदरजंग हॉस्पिटल में शुरू हुई यह सुविधा देश के चुनिंदा हॉस्पिटलों में ही मौजूद है।


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