सेहत – सामान्य शर्त में होम्योपैथिक दवा एलपैथी से सबसे बेहतर क्या है? हकीकत में सामने आई झलकियां वाली बात

होम्योपैथिक बनाम एलोपैथिक: होम पैथी और एलपैथी प्रयोगशालाओं को ठीक करने की विधि है। हालाँकि दोनों के इलाज करने के तरीकों में भारी अंतर है। एलोपेथ की औषधियों में ठोस, द्रव्य और गैस तीनों का उपयोग किया जाता है जबकि होम्योपैथिक औषधियों को आम तौर पर नमकीन बनाया जाता है ताकि उनके दुष्प्रभाव न के बराबर हों। ऐसे में अक्सर इस बात को लेकर कंफ्यूजन रहता है कि कौन सी दिखने वाली तकनीक सबसे अच्छी होती है। जो लोग होम्योपैथ से इलाज करते हैं उन्हें होम्योपैथ अच्छा लगता है। लेकिन लोग ज्यादातर होम्योपैथ से इलाज नहीं करते। अब एक रिसर्च में सामने आया है कि इस लड़के वाली की सामान्य बहस में 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर होम्योपैथिक का असर एलोपैथिक से कहीं ज्यादा होता है।

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2 साल से कम उम्र के बच्चों पर अध्ययन
टीओआई की खबर में कहा गया है कि यूरोपियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स में छपी रिपोर्ट के अनुसार 2 साल से कम उम्र के बच्चों पर सामान्य रूप से स्थिरता में होम्योपैथिक रेजिन एलोपैथ की तुलना में बेहतर है। यह अध्ययन तेलंगाना के गियर इंटीग्रेटेड मेडिकल सेंटर (JIMS) और सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी (CCRH) द्वारा किया गया है। इस अध्ययन में 24 महीने से कम उम्र के 108 बच्चों को शामिल किया गया था। इन बच्चों का नियमित रूप से सामान्य वर्गीकरण जैसे कि बुखार, डायरिया, सांस से संबंधित समस्याएं आदि के लिए या तो होम्योपैथिक माध्यम से इलाज किया जाता था या एलपैथी के माध्यम से। बाकी होम्योपैथिक माध्यम से इलाज करा रहे बच्चों का जब रखना जरूरी है तो उनके माता-पिता ने अन्य पारंपरिक माध्यमों का भी सहारा लिया। इसके अप्रभावी आयुर्वेद ने अध्ययन में पाया कि जिन बच्चों का इलाज होम्योपैथिक माध्यम से किया जाता है, वे एलोपैथ के माध्यम से इलाज करते हैं, इसकी तुलना में कम बीमार पड़े। अध्ययन में कहा गया है कि होम्योपैथ के माध्यम से इलाज वाले 24 महीने से कम उम्र के बच्चे औसत 5 दिन बीमार पड़े जबकि पारंपरिक रूप से इलाज वाले समूह के बच्चे औसत 21 दिन बीमार रहे।

एंटीबायोटिक की भी जरूरत है कम
अध्ययन में बताया गया है कि जिन बच्चों का इलाज होम्योपैथिक चिकित्सा में किया जाता है, उनमें सबसे पहले उन्हें भौतिक चिकित्सा संबंधी उपचार दिए गए और इलाज के बाद भी उनका इलाज किया गया। हालाँकि दोनों माध्यमों से इलाज वाले बच्चों के लिए स्वादिष्ट चॉकलेट में कोई खास अंतर नहीं पाया गया। अध्ययन में सिर्फ यही देखा गया कि जो बच्चे होम्योपैथ से इलाज करा रहे हैं और अन्य माध्यमों से इलाज करा रहे हैं, उनके सही होने की संभावना बेहतर है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि होम्योपैथिक से इलाज करने वाले बच्चों में एंटीबायोटिक की जरूरत सिर्फ 14 बार होती है, लेकिन अन्य माध्यमों से इलाज करने वाले बच्चों में इसकी जरूरत 141 बार होती है। इसका मतलब यह हुआ कि जिन बच्चे का होम्योपैथिक माध्यम से इलाज किया गया, उनकी इम्युनिटी सबसे ज्यादा बढ़ गई।

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