सेहत – स्वास्थ्य के लिए रामबाण में है यह पहाड़ी बीज, समुद्र में उगी मिर्च की चुटकियां, घरेलू नुस्खों में है सबसे बड़ी मात्रा

बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर जैसे कई पहाड़ी इलाकों में आज भी घरेलू नुस्खे मिलते हैं। दोस्ती में से एक गैलरी तिमुर के नमूने का भी है. तिमुर के प्रतीक को पहाड़ की काली मिर्च भी कहा जाता है। यहां की महिलाएं तिमुर के नमूनों को तीन टुकड़ों के रूप में इस्तेमाल करती हैं।

वहीं, स्थानीय जानकार राकेश पर्वतीय ने स्थानीय 18 से बातचीत करते हुए बताया कि तिमुर के बीज कई प्रकार के घरेलू नुस्खों में भी काम आते हैं। जैसे पुराने पुराने दांतों के दर्द को ठीक करना, मुंह के बैक्टीरिया को कम करने के साथ ही इसके दांतों के टुकड़ों को पीसने से बच्चों को चुभन-जुकाम से मुक्ति मिल जाती है।

तिमुर के बीज की चटनी में खास जगह

तिमुर के प्रतीकों को पहाड़ की पारंपरिक महिलाएं मानक के रूप में उपयोग करती हैं। यह मूल तत्व और स्वाद को बढ़ाने में सहायक होता है। साथ ही औषधीय गुणधर्म से परिपूर्णता होती है। इनका उपयोग पहाड़ में खरे के रूप में किया जाता है, जिन्हें केवल स्वादिष्ट चॉकलेट नहीं, बल्कि स्वास्थ्यवर्धक भी बनाया जाता है।

इंजेक्शन का रामबाण इलाज

स्थानीय पुरातात्विक राकेश पर्वतीय वैज्ञानिक तिमुर के बीज-जुकाम जैसे सामान्य संक्रमणों के लिए बेहद खतरनाक होते हैं। मदरसे को पीसकर केशिकल्स बच्चों को साबुत अनाज और खांसी तुरंत ठीक हो जाती है। यह प्राकृतिक औषधि ठंड के मौसम में विशेष रूप से प्रदर्शित होती है।

दांतों का दर्द और मुंह का टूटना असरदार होता है

तैमुर के बीज पुराने दांत दर्द को ठीक करने के लिए भी जादुई हैं। कंप्यूटर को चबाने या उनके नमूनों का उपयोग करने से दांतों और मसूदों में दर्द कम हो जाता है। साथ ही यह मुंह के बैक्टीरिया को भी दूर करता है, जिसका एक बीज खाने से मुंह का कचरा तरोताजा रहता है।

घाव और चोट के निशान कम होते हैं

चोट पर तिमुर के बीज का उपयोग पारंपरिक उपचार के रूप में किया जाता है। डॉक्टर को पीसकर घाव या चोट के निशान पर लगाने से त्वचा की स्थिरता बनी रहती है और निशान कम हो जाते हैं। यह प्राकृतिक उपचार बिना किसी दुष्प्रभाव के अपना प्रभाव दिखाता है।

तैमूर के प्रतीक का सबसे बड़ा महत्व

आज भी बागेश्वर और अन्य पहाड़ी इलाकों में तिमुर के पुतलों का उपयोग जारी है, हालांकि इसे बड़े पैमाने पर प्रचार-प्रसार मिल चुका है, वर्तमान समय में उत्तराखंड के अलावा बाहर के लोग इसे ऑफ़लाइन रूप से लाभ ले रहे हैं। इस औषधि से कई फायदे हो सकते हैं। तिमुर के बीज पहाड़ी के पारंपरिक प्रतीक का हिस्सा हैं। आधुनिक जीवन के साथ ही स्वास्थ्य और स्वाद का अनमोल खजाना है।


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