सेहत – हर घर में क्यों लगी है सर्दी? तनाव और सामान ना करने का क्या कनेक्शन है?

भारत सहित पूरी दुनिया में सिरदर्द सिरदर्द बन गया है। आमतौर पर लोगों को पता ही नहीं चलता कि वह इस बीमारी का शिकार हैं। वर्क्स का सीधा कनेक्शन स्टाइल से है। कुछ लोगों को पता चला है कि ज्यादातर मीठे खाने से ये बीमारी होती है जबकि ऐसा नहीं है. आज लगभग हर इंसान का फास्ट फूड खाता है, देर रात सोता है और पिज्जा से बचता है, यह सब कारण से पैदा होते हैं। सहकर्मी किसी भी उम्र के हो सकते हैं। 14 नवंबर को विश्व मधुमेह दिवस मनाया जा रहा है. साथियों को लेकर समाज में कई मिथक हैं जिनमें दूर होना जरूरी है।

साक्षात्कार नहीं बनना पर होता है
दिल्ली के सीके बिरला हॉस्पिटल में शिशु चिकित्सा विभाग में प्रबंधन डॉ. मनीषा अरोड़ा ऐसा कहा जाता है कि शरीर में ब्लड शुगर एकसवाल नाम के हार्मोन से नियंत्रित रहता है। यदि शरीर से यह जुड़ाव बंद हो जाए तो व्यक्ति को साक्षात्कार हो सकता है। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं जैसे मोटापा, अनहेल्दी भोजन या मोटापा सक्रियता ना होना। ग्रुप 2 तरह की होती हैं-प्लाट 1 और टाइप 2. टाइप 1 में पहेली नहीं बनती बल्कि टाइप 2 में शरीर में तलाश बनती है लेकिन वह सेल्स तक प्रकट नहीं होती।

के बाद की राजकुमारी काम करती है
हम जो भी खाना खाते हैं, वह ग्लूकोज में बदल रहा है। रिवोल्यूशन हार्मोन ग्लूकोज सेल्स में प्रवेश करने में मदद करता है। यह शुगर लेवल कोटेन रखता है और शरीर में अतिरिक्त ग्लूकोज को लिवर और मसल्स में स्टोर करके रखता है। यदि कुंडली ठीक तरह से नहीं बनती है तो व्यक्ति को मित्रता हो सकती है। कुछ लोगों को ये बीमारी जेनेटिक होती है यानी अगर उनके घर में किसी को पहले ये बीमारी हो तो उन्हें भी ये हो सकता है. जो लोग पके हुए कार्बोहाइड्रेट जैस वाइट बेडर, शुगर युक्त सब्जी, सोडा, सूखे खाद्य पदार्थ, तेलयुक्त खाद्य पदार्थ, या अधिक आटा वाले खाद्य पदार्थ खाते हैं उनसे भी इस बीमारी का खतरा रहता है।

जिन लोगों का खाली पेट शुगर लेवल 70mg/dL से 100mg/dL के बीच होता है, उसे नाममात्र माना जाता है (छवि-कैनवा)

मीठा खाने से नहीं होती शुगर की बीमारी!
कुछ लोगों का मीठा दांत होता है यानी वह मीठे स्वाद के शौकीन होते हैं। इन्हें मिठाई, कैंडी, हलवा, बिस्किट, खेड खाना पसंद किया जाता है. हमारे समाज में ज्यादातर लोगों को पता चलता है कि मीठे खाने से एलर्जी की बीमारी हो सकती है जबकि ऐसा नहीं है। विश्वविद्यालय अस्पताल अध्ययन के अनुसार टाइप 2 पिज्जा का मीठा खाना से कोई संबंध नहीं है। यदि किसी व्यक्ति का वजन नियंत्रित है और वह फिल्म दिखाता है तो उसे कोई बीमारी नहीं होगी, लेकिन यदि वह मीठा खा रहा है और सक्रिय नहीं है, तो उसे बीमारी नहीं हो सकती है। वास्तविक दैनिक मीठे खाने से वजन बढ़ता है और मोटापा होने से वैल्यू रेजिस्टेंस होने लगता है यानी मसल्स, फैट और लिवर के सेल एक्सोल्यूशन को जवाब नहीं देना चाहिए और ब्लड से ग्लूकोज को हटाया नहीं जाना चाहिए। वहीं, अमेरिकी असोसिएशन के अनुसार जो लोग डायबिटिक हैं, वे थोड़ा मीठा भी खा सकते हैं लेकिन जरूरी है।

एस्ट्राइक में मौजूद होते हैं अचानक दिखने वाले चूहे
कई बार महिलाओं को प्लास्टिक में अचानक से किए जाने वाला सर्जक डिटेक्ट हो जाता है। इसके पीछे 2 कारण हो सकते हैं- हार्मोन चेंजेस या क्सक्सक्स रेजिस्टेंस। जो गर्भवती महिलाएं 35 वर्ष से अधिक की हो या उन्हें पहले भी कई बार भर्ती हो चुकी हो या वह समूह का शिकार हो या उनके कार्यकर्ताओं की पारिवारिक योजना रही हो तो उनकी भर्ती में इस बीमारी के बारे में जोखिम बना रहता है। ऐसी महिलाओं को भर्ती में परेशानी भी हो सकती है। उन्हें समय से पहले लेबर पेन शुरू हो सकता है या प्राइमामेकर बेबी हो सकता है।

हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा दो गुना ज्यादा रहता है (Image-Canva)

स्ट्रेस से रक्तचाप क्या है ब्लड शुगर?
अमेरिका के बोस्टन में हार्वर्ड मेडिकल स्कूल हाल ही में किए गए अध्ययन में सामने आया कि स्ट्रेस का ब्लड शुगर प्रभावित है। स्ट्रेस लेने से शरीर में कॉर्टिसोल नाम का स्ट्रेस हार्मोन रिलीज होता है जो इंसान की जीवनशैली को प्रभावित करता है। इससे ब्लड शुगर भी कम होता है। स्ट्रेस में व्यक्ति बहुत कुछ खाता है लेकिन कैलोरी बर्न नहीं होती। वहीं तनाव से नींद भी नहीं आती. इससे रक्त प्रभावित ग्लूकोज़ होते हैं। कुछ अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि स्ट्रेस हार्मोन ग्रोथ पैंक्रियाज में एस्ट्रोजन बन जाता है। जो लोग स्ट्रेस में रहते हैं उन पर विरोधियों का खतरा बढ़ जाता है।

सोच समझकर सबसे अच्छा खाना
जिन लोगों से बातचीत की जाती है, उन्हें रोटी और चावल खाने से रोका जाना चाहिए। अगर रोटी खानी है तो आटे में बेसन, चना, ज्वार, रागी या बाजारा मिक्स करें। खाने में लहसुन को शामिल करें. इससे ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है। बाज़ार में बिक रहे बेस, शुगर फ्री बिस्किट और शुगर फ्री स्वीटनर से छूट। वाइट बेडर, ब्राउन बेडर या मल्टीग्रेन बेडर सब में रिहाइड्रा शुगर होता है इसलिए यह ना बना हुआ है। काजू, पेट्रोलियम पदार्थों को ठीक से सब ड्राईफ्रूट खा सकते हैं। हरी जड़ी-बूटियाँ, करेला और बींस शुगर को नियंत्रण में रखा जाता है लेकिन आलू, शकरकंद, जमीकंद की जमीन के नीचे उगने वाली सब्जियों को खाने से बचना चाहिए। इसके अलावा पैकेट बंद खाने से दूर रहें।


Source link

Back to top button
Close
Crime
Social/Other
Business
Political
Editorials
Entertainment
Festival
Health
International
Opinion
Sports
Tach-Science