सेहत – 97 साल की उम्र में महिला के बदले दर्द, डॉक्टर हैं या…वृंदावन रीच अब दोस्त बोली..

97 साल की उम्र में ऐसे होते हैं पैर कब्र में लटके… बुजुर्गों पर न प्ले-फिरा चलता है और न ही उनके आगे की जिंदगी पर कोई भरोसा होता है। इस उम्र में डॉक्टर की सलाह लेना काफी मुश्किल होता है, सर्जरी की तो बात ही शुरू हो जाती है, लेकिन फोर्ट बिजनेस स्थित हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने 97 साल की उम्र में महिला की रिसर्च प्लेसमेंट सर्जरी कर करिश्मा कर दी है। इसके साथ ही सनी बादल बनने वाली ये महिला सबसे अधिक उम्र की भारतीय बन गई हैं।

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बता दें कि गंभीर ऑस्टियोआर्थराइटिस से 97 वर्षीय मरीज़ रेशम देवी पिछले 30 वर्षों से वृंदावन के एक आश्रम में स्वतंत्र रूप से रह रही थीं। पिछले साल उन्होंने अपने बाएं पैरों की हड्डियों में फ्रैक्चर और हड्डियों के खिसकने की साख की वजह से मुलाकात की थी। शुरुआत में उनके स्वस्थ स्वास्थ्य को देखते हुए उनकी सामान्य अस्वस्थता का इलाज किया गया, लेकिन रीढ़ की हड्डी में मोटापा की कमी और दोनों घुटनों में एडवांस्ड ऑयोआर्थराइटिस के कारण उन्हें फिरने में गंभीर गंभीर समस्या हो गई। डॉर्टक्टर्स की सलाह पर रेशम देवी ने दोनों पक्षों के निर्णय का निर्णय लिया।

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फोर्टिस हॉस्पिटल ने 97 साल की उम्र के मरीज का सफल नी रिप्लाई किया है।

अस्पताल में भर्ती के समय महिला का घूमना-फिरना काफी मुश्किल था। इस दौरान दोनों को पेट और कमर में गंभीर दर्द की शिकायत हुई। छह महीने से शेष समय तक फिजियो फिजियो करी और सर्जरी से पहले की तैयारी की, जिसमें उनके जोड़ों को मजबूत करने के लिए टेरीपैराटाइड, कैल्शियम और विटामिन डी आर्किटेक्चर के इंजेक्शन तक दिए गए थे। इसके नामांकित कलाकारों के कार्य में परेशानियां आ रही थीं और वह स्थिरांक पर थे।

उनकी उम्र और बीमारी की आकृति को देखते हुए फोर्टिस हॉस्पिटल स्प्रिंग कुंज के आउथपेड, प्लांट और कंस्ट्रक्शन के डायर डॉ. धनंजय गुप्ता और उनकी टीम ने एक मरीज़ की रिप्लेसमेंट सर्जरी शुरू कर दी और तीन महीने बाद दूसरे मरीज़ की रिप्लेसमेंट सर्जरी का विकल्प सुझाया, लेकिन महिला ने एक मरीज़ की रिप्लेसमेंट सर्जरी एक साथ शुरू की। डॉक्टर, लिवर, किडनी और दिल की जांच और एनेस्थीसिया के लिए जांच के बाद उनके दोनों दांतों की एक साथ सर्जरी की गई। पहले लेफ्ट मरीज़ और फिर मरीज़ के मरीज़ की सर्जरी करने के बाद साइंटिस्ट रात भर स्टाफ़ में रखा गया। अगले दिन, वह वॉकर के डूबने-फिरने के लिए तैयार हो गया, जो उनकी सफल सर्जरी का संकेत था।

इस बारे में डॉ. धनंजय गुगुप्ता ने कहा, यह काफी महत्वपूर्ण केस था। क्योंकि रोगी की उम्र काफी अधिक थी। यदि यह सर्जरी देर से होती है, तो गंभीर रूप से सीमित गतिशीलता की समस्या बनी रहती है। वृद्धावस्था में वृद्धावस्था में वृद्धि-फिरने की गंभीर चिंता, अवसाद और स्वास्थ्य में सामान्य गिरावट के बढ़ते खतरे से काफी हद तक जुड़ी हुई है। शारीरिक दंत चिकित्सकों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हृदय और श्वसन तंत्र के स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मदद करता है। वहीं डॉ. गुरु वकील कौर, फैसिलिटी डायर शूटर, फोर्टिस ने कहा कि रेशम देवी की प्रेरणा की कहानी है, जो बताती है कि इलाज से उम्र में बाधा नहीं बननी चाहिए।

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