सोनभद्र में खुले आदिवासी महिला डिग्री कॉलेज….विधायक विजय सिंह गोंड से मिलकर युवा मंच ने दिया ज्ञापन

दुध्दी, सोनभद्र । सरकारी उच्च शिक्षा का समुचित इंतजाम न होने के कारण आदिवासी बच्चे बड़े पैमाने पर पढ़ाई को छोड़ने के लिए मजबूर हो रहें है।हालत इतनी बुरी है कि प्रदेश में अनुसूचित जनजाति के लिए सरकारी नौकरी में आरक्षित सीटें खाली रह जा रही है और उन्हें दूसरे जाति समूहों द्वारा भरा जा रहा है। इसलिए म्योरपुर में सरकारी आदिवासी महिला डीग्री कालेज बनाने और पोखरा में बने कालेज को चालू कराने के सवाल पर लंबे समय से आंदोलन कर रहे युवा मंच के पदाधिकारियों ने दुध्दी के विधायक व पूर्व मंत्री विजय सिंह गोंड से मिलकर अपना ज्ञापन सौंपा। युवा मंच की संयोजक सविता गोंड, ओबरा डिग्री कॉलेज की छात्र नेता गुंजा गोंड, सुगवंती गोंड, प्रशांत दुबे और राजकुमारी गोंड ने दिए ज्ञापन में कहा कि आदिवासी बाहुल्य दुद्धी में शिक्षा का बुरा हाल है। बेहद कम सरकारी इंटर कॉलेज और एक सरकारी डिग्री कॉलेज होने के कारण बच्चों समाज में योगदान करने की इच्छा के बावजूद शिक्षा से वंचित होना पड़ रहा है। यहां पूर्ववर्ती सपा सरकार के समय निर्मित किया गया पोखरा राजकीय डिग्री कॉलेज 8 साल बाद की चालू नहीं हो सका है।

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ज्ञापन देने के बाद प्रेस को जारी अपने बयान में युवा मंच नेताओं ने कहा कि केंद्र की सरकार आदिवासियों के साथ छल कर रही है। अभी झारखंड में धरती आबा जनजाति ग्राम उत्कर्ष महाअभियान पीएम व्दारा शुरू किया गया। इसमें कहा गया कि 83000 करोड़ की 17 परियोजनाओं को देश के 500 से भी ज्यादा जिलों में आदिवासियों के विकास के लिए लागू किया जाएगा। जबकि केंद्र सरकार द्वारा जनजाति सब प्लान में मनरेगा, शिक्षा-स्वास्थ्य, रोजगार और सामाजिक सुरक्षा के मदों में भारी कमी की गई है। आदिवासी कल्याण की सरकारी घोषणाओं के सच को एक उदाहरण से समझा जा सकता है पूरी देश में आदिवासी छात्राओं के लिए छात्रावास की व्यवस्था के लिए आदिवासी सब प्लान में महज10 लाख रुपए आवंटित किए गए। वहीं दूसरी तरफ जनजाति सब प्लान का करोड़ों रुपए हाईवे, टेलीकॉम, सेमीकंडक्टर निर्माण, जल जीवन, सौर ऊर्जा आदि कॉर्पोरेट घरानों को सीधे मदद पहुंचाने वाली योजनाओं पर दिया गया है। युवा नेताओं ने दुद्धी विधायक से अपील की कि वह विधानसभा में यहां आदिवासी बच्चों की शिक्षा के सवाल को उठाएं और उत्तर प्रदेश सरकार से कहें कि वह तत्काल आदिवासियों बच्चों की शिक्षा के सवाल को हल करें।

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