8 हजार की पिस्टल 23 हजार में बेचने का खेल:मेरठ में अवैध हथियार बनाकर हरियाणा, एनसीआर, उत्तराखंड तक सप्लाई

मेरठ में अवैध हथियार बनाने का काम अभी भी रुका नहीं है। पुराने शहर में घनी आबादी के बीच अभी भी अवैध हथियार बनाने की फैक्ट्रियां चल रही हैं। पुलिस की रेड का डर भी अवैध हथियार बनाने वालों को नहीं रहा।
शनिवार रात पुलिस ने सूचना पर लिसाड़ी गेट इलाके में एक अवैध तमंचा फैक्ट्री पकड़ी। फैक्ट्री में अवैध हथियार बन रहे थे। मौके से पुलिस ने 4 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। पूछताछ में इन आरोपियों ने बताया कि वो मेरठ में अवैध हथियार बनाकर उसे यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली और हरियाणा तक सप्लाई करते थे। 4 शातिर अपराधियों को पुलिस ने पकड़ा पुलिस ने लिसाड़ी गेट की इस अवैध असलहा फैक्ट्री से 4 शातिर अपराधियों साजिद, नावेद, कय्यूम और रिहान को पकड़ा है। पूछताछ में चारों ने बताया कि इनके दो साथी इरशाद और परवेज भी इस काम में शामिल हैं। जो फिलहाल फरार हैं। पुलिस उन दोनों को भी पकड़ने में लगी है। पकड़े गए चारों में से दो लोग पहले भी जेल जा चुके हैं। साजिद अवैध तमंचों का सप्लायर है। इसी जुर्म में उसे फरीदाबाद पुलिस पहले अरेस्ट कर चुकी है। उस वक्त पुलिस ने साजिद के साथ 3 और लोगों को पकड़ा था। कय़यूम भी पहले जेल जा चुका है। वहीं रिहान का भाई इसी काम के लिए जेल जा चुका है। दिल्ली से उत्तराखंड तक सप्लाई पूछताछ में चारों आरोपियों ने बताया कि वो मेरठ में अवैध तरीके से हथियार बनाते फिर उसे वेस्ट यूपी ही नहीं पूरे यूपी और आसपास के राज्यों तक सप्लाई करते। उत्तराखंड, दिल्ली, एनसीआर, गाजियाबाद, हरियाणा तक हथियारों की सप्लाई करने जाते। बताया कि जहां जैसे हथियार की डिमांड आती वहां उसे जाकर वो हथियार देते। इस तरह पूरे पश्चिमी क्षेत्र में इनका नेटवर्क फैला हुआ है। इस नेटवर्क में हथियार बनाने से लेकर सप्लायर, ग्राहक से डील करने वाला सब शामिल हैं।
तीन गुने मुनाफे पर व्यापार
पकड़े गए आरोपी ऐसे ही नहीं बल्कि तीन गुना मुनाफा पर अवैध हथियारों का कारोबार कर रहे थे। पुलिस पूछताछ में बताया कि जो पिस्टल 23 हजार में बेचते उसे ये लोग कुल 8 हजार रुपए में बनाकर तैयार कर लेते। इसके बाद मुंहमांगी कीमत वसूलते। इसी तरह तमंचे भी आधे से ज्यादा कीमत में बेचते थे। अलग-अलग लोकेशन पर डीलिंग
आरोपियों ने बताया कि पुलिस को उन पर कभी शक न हो, पकड़े न जाएं इसलिए पूरा कारोबार अलग-अलग लोकेशन पर करते। मेरठ, गाजियाबाद की अलग-अलग बाजारों से हथियार बनाने का सामान मंगाते। कहीं से सिल्ली, कहीं से कटर और कहीं से दूसरी चीजें मगांकर मेरठ में हथियार तैयार करते थे। इसी तरह माल की डीलिंग, सप्लाई भी एक जगह पर नहीं होती। ताकि किसी को शक न हो। चारों ने बताया कि इनके बनाए हथियार पहले भी कई बदमाशों से मिल चुके हैं। इसमें शादाब पकौड़ी, महबूब अली का नाम भी सामने आया है।

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