सर्वेक्षण के बाद अब ‘रेहावली बांध’ योजना पर काम शुरू करवाया जाये: जि.पं.अध्यक्ष की डा मुंजू भदौरिया का अधिकारियों के साथ विमर्श
![सर्वेक्षण के बाद अब ‘रेहावली बांध’ योजना पर काम शुरू करवाया जाये: जि.पं.अध्यक्ष की डा मुंजू भदौरिया का अधिकारियों के साथ विमर्श सर्वेक्षण के बाद अब ‘रेहावली बांध’ योजना पर काम शुरू करवाया जाये: जि.पं.अध्यक्ष की डा मुंजू भदौरिया का अधिकारियों के साथ विमर्श](/wp-content/uploads/2025/02/ed052461-a170-4115-9e2a-967872ba6c6c.webp)
जिला पंचायत अध्यक्ष डॉ.मंजू भदौरिया ने कहा है कि उटंगन नदी पर रेहावली बांध योजना अगर क्रियान्वयन हो सकी तो जल संचय संबधी शासन की नीति के अनुरूप एक महत्वपूर्ण कार्य होगा साथ ही जनपद के जनपद के प्रमुख तीर्थ बटेश्वर में होने वाले आयोजनो के अवसर पर यमुना नदी में श्रद्धालुओं के लिये भरपूर ताजा पानी उपलब्ध हो सकेगा।
श्रीमती भदौरिया जो कि जिला पंचायत मुख्यालय पर सिंचाई विभाग के अधिकारियों और सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के सदस्यों के साथ उटंगन नदी के रेहावली बांध पर चर्चा कर रही थीं ने कहा कि जनपद के अधिकांश विकास खंडों में जलस्तर लगातार गिर रहा है,जल संचय की कोई भी एसी प्रभावी योजना नहीं है जिससे भूजल की गुणवत्ता और उपलब्धता में सुधार ।
डा.भदौरिया ने कहा कि वह इस योजना को मुख्यमंत्री श्री आदित्य नाथ जी के संज्ञान में ला चुकी है, अगर जरूरत हुई तो उपयुक्त अवसर पर पुन: उनके समक्ष उठायेंगी। सिविल सोसायटी आफ आगरा के द्वारा जिला पंचायत अध्यक्ष से अनुरोध किया कि आधारभूत अध्ययन हो चुका है,अत्:योजना क्रियान्वयन के लिये जिला सिंचाई बंधु अध्यक्ष के रूप में तृतीय सिंचाई वृत्त कार्य,लोअर खंड व अन्य सहयोगी विभागों में कॉर्डिनेशन के लिये मार्गदर्शन करें। इसके बावजूद भी अगर अगर उपयुक्त समझें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से पुन:मुलाकात करें।
उल्लेखनीय है कि जिला पंचायत अध्यक्ष के द्वारा मुख्यमंत्री के समक्ष यह मुद्दा उठाया जा चुका है। उनका मानना है कि अगर इस पर कार्य हुआ तो जनपद के लोकल कैचमेंट एरिया और मानसून कालीन यमुना की, उटंगन नदी में पहुंचने वाली विपुल जलराशि को अक्टूबर के महीने के बाद भी जलाशय के जल क्षेत्र के विस्तार नियंत्रण के साथ संरक्षित किया जा सकेगा।जनपद के कई विकास खंडों के गावों में हैंडपंप पुन: सुचारू हो सकेंगे, सबमर्सिबल पंपों से कृषि कार्यों के लिये सालार उपयुक्त गुणवत्ता वाला पानी मिल सकेगा।
बांध योजना के स्थलीय नरीक्षण और जानकारी संग्रह करने का कार्य अलीगढ़ से आयी स्टडी टीम में एसडीओ- डिज़ाइन रजत सिंह एवं श्री निकुंज जे ई शामिल थे।
सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा के साथ हुई इस चर्चा के दौरान सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियन्ता , सहायक अभियन्ता प्रथम, ताज बैराज निर्माण खण्ड, आगरा व लघु सिंचाई विभाग आदि के अभियंता मौजूद थे। सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के राजीव सक्सेना , अनिल शर्मा और असलम सलीमी मौजूद रहे.
बांध के लिये भरपूर पानी
उल्लेखनीय है कि मानसून में यमुना नदी जब भी आगरा में लो फ्लड लेवल को पार करती है तो उटंगन नदी बैक मारने लगती है। इसमें अरनौटा रेलवे ब्रिज से भी 2 किमी तक पानी भरपूर रहता है। फतेहाबाद गांव के नगला बिहारी के अपस्ट्रीम (धारा के ऊंचे भाग) में जगनेर की 34 बंधियों, किबाड़ नदी, खारी नदी, पार्वती नदी और टर्मिनल रजवाहा का पानी भी पहुंचता है। उटंगन के यमुना में मिलने के स्थान तक 9 किमी का हिस्सा पानी से लबालब हो सकता है। रेहावली में बांध बनाकर पानी रोकने से किसानों को सिंचाई के लिए पानी मिलेगा तो इससे बाह, पिनाहट और फतेहाबाद विकासखंड के गांवों में भूजल स्तर में भी सुधार आएगा। यहीं से पाइपलाइन के जरिए पानी फतेहाबाद नगर पंचायत को दिया जा सकता है।
किया जा चुका है निरीक्षण
रेहावली बांध योजना के क्रियान्वयन के संबंध में सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियन्ता, अनुसंधान एवं नियोजन खण्ड, अलीगढ़ के द्वारा अपनी टीम के साथ रेहावली गांव जाकर उ प्र सिंचाई विभाग के अनुसंधान एवं नियोजन खण्ड अलीगढ़ के इंजीनियरों की टीम के द्वारा मई,2024 के अंतिम सप्ताह में अध्ययन किया जा चुका है।
यमुना नदी लो फ्लड लेवल (495 फीट ),मीडियम फ्लड लेवल ( 499 फीट) और हाई फ्लड लेवल (508 फीट )है। नदी के लो फ्लड लेवल (अगस्त-सितम्बर ) पर पहुंचते ही उटंगन नदी में पानी पहुंचना शुरू हो जाता है, और लगभग 17 कि मी तक बैक मारते हुए नदी अपने जल विस्तार क्षेत्र में विशाल जलाशय का रूप ले लेती है।यमुना नदी में जलस्तर कम होने के साथ ही यह पानी पुन:यमुना नदी में पहुंच जाता है।सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का जिला पंचायत अध्यक्ष से आग्रह है कि इस जलराशि को संग्रहित कर आवश्यकता के अनुसार रेग्युलेट किया जाये।
अपस्ट्रीम के जलस्तोत
यमुना के उफान के बैक मारने से पहुंचे पानी के अलावा उटंगन में खारी नदी, वेस्टर्न डिप्रेशन ड्रेन (डब्लू डी ड्रेन) और जगनेर की 36 बंधियों के डिस्चार्ज का डिस्चार्ज भी अक्टूबर के अंत में पहुंचता रहता है।लगभग 4000 एकड़ के डूब क्षेत्र में विस्तृत इन बंधियों का प्रबंधन सिंचाई विभाग के लोअर खंड के आधीन है और इनका डिसचार्ज स्थानीय किबाड नदी से होकर उटंगन नदी में ही पहुंचता है।पुरानी चली आ रही व्यवस्था के अनुसार 15 जून को इन बंधियों के सैलुस गेट गिरा दिये जाते है तथा 15 अक्टूबर को जलाशयों के रूप में संग्रहित पानी को डिसचार्ज कर दिया जाता है।अगर बांध बन सका तो यह विपुल जलराशि भी किसानों के हित में रेग्युलेट किये जाने को उपलब्ध होगी।
उटंगन का बहाव क्षेत्र
उटंगन एक अंतर्देशीय नदी है, राजस्थान में गंभीर नदी के नाम से जानी जाती है।नदी की पूरी लंबाई कुल 288 कि मी है, जबकि उ प्र में इसका बहाव 66 कि मी है।यह राजस्थान से उ प्र की सीमा में किरावली तहसील के सिरौली गांव से प्रवेश करती है और रिहावली गांव में यमुना नदी में समाती है।राजस्थान सरकार ने इसका पूरा पानी करौली के पांचना बांध और भरतपुर के अजान बांध पर रोक लिया है।वर्तमान में जो भी जलराशि मानसून काल में नदी के 17 कि मी टेल वाले भाग में पहुंचती है, वह खारी नदी, वेस्टर्न डिप्रेशन ड्रेन (डब्लू डी ड्रेन) और जगनेर की 36 बंधियों के डिस्चार्ज की होती है।इसके अलावा यमुना नदी के मानसून कालीन उफान की होती है।