Political – दिल्ली में 70 में से 67 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त, अमित शाह ने कसा तंज- #INA
अमित शाह और राहुल गांधी.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी एक भी सीट जीतने में विफल रही है. यह चुनावी हार की हैट्रिक है, जिसमें दिल्ली विधानसभा चुनावों में लगातार तीसरी बार सबसे पुरानी पार्टी को एक भी सीट नहीं मिली है. सभी 70 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद, पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा. 70 सीट में से 67 पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है.
इसे लेकर केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने भाजपा पर तंज कसा है. उन्होंने एक्स पर लिखा कि एक पार्टी जब परिवार वंदन में लग जाए, तब उसकी क्या दुर्दशा होती है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कांग्रेस है.
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उन्होंने कहा कि जिस दिल्ली में आज से एक दशक पहले कांग्रेस की 15 साल सरकार रही, वहां 2014 से हुए 6 चुनावों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है.
67 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त
उन्होंने कहा कि इस विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटों पर कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई है. राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को अगर कहीं स्थायित्व मिला है, तो वह शून्य (0) में मिला है. यह एक परिवार की सेवा में समर्पित कांग्रेस की देशभर में स्थिति को दर्शाता है.
एक पार्टी जब परिवार वंदन में लग जाए, तब उसकी क्या दुर्दशा होती है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण कांग्रेस है।
जिस दिल्ली में आज से एक दशक पहले कांग्रेस की 15 साल सरकार रही, वहाँ 2014 से हुए 6 चुनावों में कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला है।
इस विधानसभा चुनाव में 70 में से 67 सीटों पर
— Amit Shah (@AmitShah) February 8, 2025
बता दें कि जिन तीन सीटों पर पार्टी अपनी जमानत बचाने में कामयाब रही, वे हैं बादली, कस्तूरबा नगर और नांगलोई जाट. हालांकि, पार्टी ने वोट शेयर में मामूली वृद्धि देखी, जो 2020 में 4.26% से बढ़कर इस साल 6.4% हो गई.
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, जमानत राशि बरकरार रखने के लिए उम्मीदवार को निर्वाचन क्षेत्र में डाले गए कुल मतों का कम से कम छठा हिस्सा या 16.67 प्रतिशत मत प्राप्त करना होता है, लेकिन 67 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों को इतने वोट नहीं मिले.
वोट प्रतिशत में इजाफा के बावजूद मिली हार
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 34 (1) (बी) के अनुसार, विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सामान्य उम्मीदवार को 10,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी. अनुसूचित जाति/जनजाति के उम्मीदवार को 5,000 रुपये की जमानत राशि जमा करनी होगी.
गौरतलब है कि कांग्रेस को कभी दिल्ली की राजनीति में प्रमुख ताकत माना जाता था क्योंकि उसने तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 1998 से 2013 तक लगातार 15 साल तक राजधानी पर शासन किया था. लेकिन चुनाव परिणाम से साफ है कि पार्टी को अब मतदाताओं ने पूरी तरह से नकार दिया है.
अगर कांग्रेस के लिए कोई सांत्वना है, तो वह यह है कि उसके वोट शेयर में मामूली वृद्धि हुई है, जो इस साल दिल्ली में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस के लिए एकमात्र सांत्वना है क्योंकि 2020 की तुलना में यह लगभग 2 फीसदी बढ़ा है, जब यह 5% से नीचे गिर गया था.
दिल्ली में 70 में से 67 सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त, अमित शाह ने कसा तंज
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