अररिया सदर अस्पताल अररियाः स्वास्थ्य सेवाओं में अनियमितता और भ्रष्टाचार की कहानी

मिंटू राय संवाददाता अररिया।

अररिया के जाने-माने समाजसेवी उपेंद्र यादव ने अररिया के स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को लेकर बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री को उन्होंने स्वास्थ्य विभाग में हो रही अनियमित और लचर व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए पत्र लिखा है। अररिया के सदर अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति चिंताजनक है। अस्पताल के कर्मचारी, जो लोगों की स्वास्थ्य सेवा के लिए जिम्मेदार हैं, खुद बीमार हैं। डीपीएम संतोष कुमार, सदर अस्पताल के अधीक्षक के के कश्यप और स्वास्थ्य प्रबंधक विकास कुमार, तीनों मिलकर अस्पताल को लूटने में लगे हुए हैं। इनकी गतिविधियों से स्पष्ट होता है कि ये निजी नर्सिंग होम्स के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और प्रतिमाह उनसे उगाही कर रहे हैं।

बिहार सरकार ने सदर अस्पताल के चहारदिवारी के अंदर पार्क ग्राउंड बनाने के लिए राशि आवंटित की है, लेकिन अस्पताल के पुराने लोहे के पाइपों की डेंटिंग और पेंटिंग के अलावा कोई ठोस कार्य नहीं किया गया है। आधुनिक अस्पताल के बाथरूम और लेटरिंग रूम की टंकी क्षतिग्रस्त हो गई है, लेकिन इसे देखने वाला कोई नहीं है।

स्थानीय जनप्रतिनिधियों जैसे राजद के मीर रज्जाक, शिव नारायण यादव, मुन्ना यादव, रंजन यादव, सुमन कुमार और इश्तियाक आलम ने कई बार इस मुद्दे पर ध्यान दिलाया है, लेकिन सदर अस्पताल के अधीक्षक और स्वास्थ्य प्रबंधक ने

कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।

अस्पताल में दुर्गंध से आम जनता परेशान है। जहां एक ओर आधुनिक अस्पताल लोगों को जागरूक करता है, वहीं दूसरी ओर सदर अस्पताल की स्थिति बेहद खराब है। नर्स और कंपाउंडर के स्थान पर एमटी द्वारा मरीजों से 200-300 रुपये की वसूली की जा रही है, जबकि गंभीर मरीजों से 10,000 से 15,000 रुपये तक ठगे जा रहे हैं।

इसके अलावा, जन्म प्रमाण पत्र के लिए 300 से 500 रुपये और गर्भवती महिलाओं से डिलीवरी वार्ड में 3,000 से 4,000 रुपये की वसूली की जा रही है। इस पर गंभीर सवाल उठाता है कि आखिर इसके पीछे क्या राज है
इसलिए, माननीय मुख्यमंत्री बिहार और माननीय स्वास्थ्य मंत्री से अनुरोध है कि वे जनहित में औचक निरीक्षण करवाने की पहल करें। आम जनता के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए यह आवश्यक है कि अस्पताल की अनियमितताओं और भ्रष्टाचार पर ध्यान दिया जाए।

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