देश – दिन निकलते ही महाराष्ट्र से आई चौंकाने वाली खबर, इस नेता के साथ हो गया बड़ा खेला, राजनीतिक गलियारों में हड़कंप #INA
Maharashtra Cabinet Expansion: महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद से ही सियासी खींचतान का दौर जारी है. हालांकि मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस कैबिनेट विस्तार के बाद चीजें कुछ संभलती जरूर नजर आ रही हैं, लेकिन पर्दे के पीछे अभी भी बहुत कुछ चीजें चल रही हैं. अजित पवार ने जहां महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली तो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के 9 मंत्रियों ने भी रविवार को राज्य के कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. लेकिन वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री छगन भुजफल को मंत्रीमंडल में जगह नहीं दी गई, जिससे पार्टी के भीतर राजनीतिक तनाव की स्थिति पैदा हो गई. क्योंकि छगन भुजबल एक ओबीसी चेहरा हैं, इसलिए उनको कैबिनेट में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन लिस्ट से उनका नाम गायब था.
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मंत्रीमंडल में स्थान न मिलने से छगन भुजबल खाने नाराज
मंत्रीमंडल में स्थान न मिलने से छगन भुजबल खाने नाराज हैं. उन्होंने मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि मैं बेहद निराश हूं. उन्होंने कहा कि उन्होंने मुझे दरकिनार कर दिया है. उन्होंने मीडिया कर्मियों से कहा कि उनको पार्टी के लोगों से खुद इस बात को पूछना चाहिए. हालांकि इस दौरान उन्होंने इस मुद्दे पर कोई लंबी चर्चा नहीं की और मुंबई से सीधा नासिक निकल गए. लेकिन उनमें पार्टी के निर्णय को लेकर असंतोष का भाव था. वहीं. अजित पवार वाली एनसीपी सूत्रों के अनुसार छगन भुजबल को राज्यसभा भेजने की तैयार की जा रही थी. सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि खुद भुजबल ने ही राज्यसभा में जाने की इच्छा जाहिर की थी, लेकिन बाद में चीजें थोड़ी बदल गईं. इसके साथ ही कैबिनेट विस्तार के दिन छगन भुजबल मुंबई से अचानक नासिक चले गए, जिससे उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर अटकलों का दौर शुरू हो गया है. बताया जा रहा है कि वह समता परिषद के सदस्यों के साथ चर्चा में शामिल हो सकते हैं. वह इस सोशल-पॉलिटिकल संगठन के नेता भी हैं.
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CM पद को लेकर रहा खींचतान का माहौल
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है. बीजेपी को ज्यादा सीटें मिलने के साथ ही राज्य में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी. शिवेसना (सिंदे गुट) के एकनाथ सिंदे भी अपने आपको मुख्यमंत्री के तौर पर पेश कर रहे थे, लेकिन बीजेपी ने यह साफ कर दिया था कि अगला सीएम उनकी पार्टी का ही होगा.
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