फरीदाबाद में बाबा रामदेव का प्रोजेक्ट अटका:हाईकोर्ट ने जमीन की चकबंदी पर रोक लगाई, हरियाणा सरकार को नोटिस- INA NEWS
पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा में फरीदाबाद के गांव कोट में चकबंदी पर रोक लगा दी है। इस जमीन पर बाबा रामदेव, पतंजलि का एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान या फिर स्वास्थ्य सेवा केंद्र बनाना चाहते थे। मगर, ग्रामीणों ने इसे लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी। कोर्ट ने 13 जनवरी को सरकार और सीबीआई को नोटिस जारी कर अगली सुनवाई 20 जनवरी को रख दी थी। आज जब इस मामले में सुनवाई हुई तो कोर्ट ने अगली तारीख 7 अप्रैल निर्धारित की है। इससे बाबा रामदेव को झटका लगा है क्योंकि अब उनको मामला कोर्ट से लंबा खिंचता दिख रहा है और उनके प्रोजेक्ट पर तलवार लटक गई है। बाबा रामदेव अरावली में बड़ा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहते हैं और हरियाणा सरकार उनकी इसमें मदद कर रही है। बाबा रामदेव ने 1000 एकड़ जमीन खरीदी
सूत्रों के अनुसार, कोट गांव में बाबा रामदेव ने 1000 एकड़ जमीन खरीदी थी। जिसमें कोट गांव की पंचायती जमीन भी शामिल थी। इस जमीन पर पतंजलि पीठ एक बड़ा शैक्षणिक संस्थान या फिर स्वास्थ्य सेवा सुविधा केंद्र बनाना चाहता था। इस जमीन को अलग-अलग कंपनियों के नाम और अलग-अलग मालिकों द्वारा खरीदा गया। गांव के पास 3100 एकड़ जमीन
कोट गांव के पास कुल 3100 एकड़ जमीन है। जिसमें से 2700 एकड़ में पहाड़ है। पहाड़ जमीन गैर मुमकिन है, जिसे खरीदा-बेचा नहीं जा सकता। 200 एकड़ जमीन गांव में रहने वाले मालिकों के पास है। इसके अलावा केवल 191 एकड़ खेती योग्य जमीन पूरे गांव के पास है। सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत के हक में दिया था फैसला
साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय आया कि इस तरह की भूमि पर ग्राम पंचायत का अधिकार है। जिसमें गांव बसाने वालों के नाम पंचायत की कुछ जमीन में सामने आ गए। इसके बाद 538 एकड़ जमीन को अलग-अलग लोग और कंपनियों के नाम से खरीदा गया। जिसमें सबसे बड़ा खुलासा ये हुआ कि सभी खरीददारों का पता एक था। प्रशासन को जानकारी मिली तो मामले की जांच शुरू हुई। मगर खरीदी गई जमीन को रेगुलाइजेशन करने की प्रकिया शुरू कर दी गई। जिसके बाद पहाड़ की जमीन को लेकर ग्रामीण एनजीटी में चले गए। 2015 में एनजीटी से पहला नोटिफिकेशन आया ,लेकिन 2016 में ग्रामीणों ने एनजीटी से अपनी शिकायत वापस ले ली। इसी प्रकार से 2018 और 2021 में एलजीटी से नोटिफिकेशन हुआ, लेकिन ग्रामीणों ने यह बोलकर शिकायत वापस ले ली कि कृषि योग्य भूमि कम है। खरीदी गई जमीन से गांव में विकास होगा। वर्ष 2024 में गांव के ब्रह्म सिंह सहित कुछ अन्य ग्रामीणों ने इस मामले को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की। जिसके बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई।
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