यूपी- गाजीपुर की मिर्च खा रहे बांग्लादेशी, प्रतिदिन 200 टन ‘इंदु’ की हो रही सप्लाई; किस रास्ते भेजी जा रही? – INA

बांग्लादेश में भले ही इन दिनों हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हों, लेकिन बांग्लादेशी अब भी भारत की ‘इंदु’ मिर्च का स्वाद चखे बिना नहीं रह पा रहे हैं. यही कारण है कि गाजीपुर के पातालगंगा मंडी से इन दिनों प्रतिदिन 50 से अधिक वाहनों के माध्यम से करीब 200 टन मिर्च बिहार और बंगाल के रास्ते बांग्लादेश भेजी जा रही है.

गाजीपुर के मोहम्मदाबाद तहसील, जो करईल के इलाके के नाम से पूरे पूर्वांचल में मशहूर है. यहां की मिट्टी में दलहन फसल के साथ-साथ मिर्च, टमाटर, मटर जैसी सब्जियों की भरपूर पैदावार होती है. यहां के किसान अब मिर्च की खेती पर खास ध्यान दे रहे हैं, क्योंकि इंदु मिर्च अन्य मिर्चों से बेहतर मानी जाती है.

किसान सुबह 4 बजे से खेतों में मिर्च की तुड़ाई में जुट जाते हैं. दोपहर में मंडी में खरीद-बिक्री शुरू होती है, जो देर रात तक चलती है. इसके बाद व्यापारी मिर्च को अपने वाहनों में लादकर विभिन्न राज्यों और बांग्लादेश ले जाते हैं.

प्रतिदिन 200 टन मिर्च की खरीद-बिक्री

गाजीपुर की पातालगंगा मंडी, जो नेशनल हाईवे-31 के किनारे स्थित है, यहां से कुछ दूरी पर पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे भी है, जिससे मंडी में सब्जियों के यातायात की समस्या काफी हद तक हल हो गई है. अब यहां से प्रतिदिन 200 टन मिर्च की खरीद-बिक्री होती है. इस मंडी में व्यापारियों की संख्या भी बढ़ गई है, क्योंकि पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के कारण यातायात सुगम हो गया है.

यहां की मिर्च में कोई मिलावट नहीं- व्यापारी

गाजीपुर के किसान अवनीश राय ने बताया कि यहां की मिर्च का आकार और स्वाद अन्य जगहों की मिर्च से अलग होता है. उन्होंने बताया कि यहां की लाल मिर्च सूखने के बाद एक किलो में 300 ग्राम आती है.

अन्य स्थानों की मिर्च में यह मात्रा 200 से 250 ग्राम होती है. इसके अलावा यहां की मिर्च में कोई रासायनिक रंग या मिलावट नहीं की जाती, जबकि अन्य जगहों पर मिर्च को लाल बनाए रखने के लिए रासायनिक पदार्थों का प्रयोग किया जाता है.

मध्य प्रदेश और सोनभद्र के व्यापारी यहां के मंडी से सिर्फ लाल मिर्च खरीदते हैं, जबकि बंगाल के व्यापारी हरी और लाल मिर्च का मिश्रण खरीदते हैं. गाजीपुर के इस इलाके में लगभग 1500 हेक्टेयर में हरी मिर्च की खेती हो रही है और इन किसानों को अच्छे दाम मिल रहे हैं.

सुविधाओं में है कमी

यहां के किसानों के अनुसार, मंडी निजी भूमि पर स्थित है और यूसुफपुर मंडी से जुड़ी होने के बावजूद किसानों को कोई खास सुविधाएं नहीं दी जातीं. मंडी शुल्क विभाग द्वारा शुल्क तो लिया जाता है, लेकिन सुविधाओं के नाम पर किसानों को कुछ भी नहीं दिया जाता, जिससे उन्हें अपनी व्यवस्था खुद करनी पड़ती है.


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