दुनियां – कौन हैं बशर अल-असद की ब्रिटिश पत्नी अस्मा? पति के गुनाहों में साथ देने का है आरोप – #INA

सीरिया के बेदखल राष्ट्रपित बशर अल-असद अपने परिवार के साथ मॉस्को में हैं. उनकी पत्नी अस्मा अल-असद की भी अपने पति की तरह विवादित छवि रही है. अस्मा और बशर के 3 बच्चे हैं, हाफिज, जेन और करीम.
अस्मा अल-असद ब्रिटेन में पैदा हुईं और वहीं पली-बढ़ीं, बशर के साथ उनकी लव मैरिज हुई थी. 11 अगस्त 1975 को वेस्ट लंदन में अस्मा फवाज अखरास (शादी के पहले का नाम) का जन्म एक रूढ़िवादी सीरियाई परिवार में हुआ था. उनके पिता डॉ. फवाज अखरास एक प्रसिद्ध कार्डियोलॉजिस्ट हैं और मां सहर अखरास लंदन में सीरियाई एंबेसी की राजदूत हैं.
अस्मा ने हार्वर्ड की बजाए प्यार को चुना
अस्मा अल-असद ने 1996 में किंग्स कॉलेज ऑफ लंदन से कंप्यूटर साइंस और फ्रेंच लिटरेचर में फर्स्ट क्लास डिग्री हासिल की है. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत एक इन्वेस्टमेंट बैंकर के तौर पर की लेकिन बाद में वह हार्वर्ड से MBA करने वाली थीं लेकिन इस बीच बशर अल-असद के साथ निकाह कर वह सीरिया आ गईं.
आधुनिक-उदारवादी छवि ने बढ़ाई उम्मीदें
दरअसल साल 2000 में बशर के पिता हाफिज अल-असद की मौत के बाद सत्ता की कमान उन्हें संभालनी थी, लिहाजा राष्ट्रपति चुने जाने के कुछ महीनों बाद ही उन्होंने अपनी प्रेमिका अस्मा फवाज अखरास से निकाह कर लिया. एक नौजवान युवा राष्ट्रपति जो पेशे से एक डॉक्टर था और उसकी पत्नी ब्रिटिश माहौल में पली-पढ़ीं मॉडर्न शख्सियत थीं, लिहाजा सीरिया की जनता को उम्मीद थी कि उनके नेतृत्व में मुल्क में महिलाओं को ज्यादा अधिकार मिलेंगे और वह अपने पिता की तुलना में एक बेहतर शासक साबित होंगे.
अस्मा असद: रेगिस्तान का गुलाब
साल 2010 में वोग मैग्जीन ने अस्मा अल-असद को ‘डेजर्ट रोज़’ (रेगिस्तान का गुलाब) की उपाधि दी, अस्मा ने सीरिया की फर्स्ट लेडी के तौर पर सामाजिक और आर्थिक विकास की पहल को बढ़ावा दिया था. फिर भी उनके पति के तानाशाही शासन रवैये के चलते साल 2011 में सीरिया में गृह युद्ध की शुरुआत हो गई. दरअसल राष्ट्रपति चुने जाने के एक साल बाद ही बशर अल-असद पर गंभीर आरोप लगने लगे, एक दशक के शासन में बशर अल-असद डॉक्टर से डिक्टेटर बन गए. उन पर विरोधियों की गिरफ्तारी, जेल में टॉर्चर करवाने के आरोप लगे.
सीरिया की पूर्व फर्स्ट लेडी अस्मा अल असद
तानाशाही फैसलों में दिया पूरा सहयोग
इस दौरान जब साल 2011 में असद के खिलाफ विरोध शुरू हुआ तो उन्होंने जनता की आवाज को सुनने और उनकी बात समझने की बजाए दमन का रास्ता चुना. असद ने सैन्य ताकत के दम पर लोगों की आवाज़ दबाने की कोशिश की तो विरोध, विद्रोह में बदल गया. धीरे-धीरे विद्रोही हथियारबंद होते गए और फिर 13 सालों तक यह संघर्ष जारी रहा. असद ने सरकार के खिलाफ उठने वाली आवाज़ को खामोश कराने के लिए जो कदम उठाया उसने उन्हें और नुकसान पहुंचाया.
हालांकि कहा जाता है कि बशर अल-असद के अत्याचारी फैसलों में पत्नी अस्मा ने भरपूर सहयोग दिया. गृह युद्ध के दौरान दमनकारी नीतियां बनाने में अस्मा की अहम भूमिका थी, यही वजह है कि कई देशों ने उन पर प्रतिबंध तक लगाए. 2021 में ब्रिटेन की मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने अस्मा के खिलाफ आतंकी गतिविधियों को भड़काने, सीरियाई सरकार के सिस्टमेटिक टॉर्चर और केमिकल वेपन के इस्तेमाल में सहयोग के आरोपों की जांच शुरू की थी.
‘जहन्नुम की फर्स्ट लेडी’ बनीं अस्मा!
अस्मा अल-असद जिन्हें कभी ‘रेगिस्तान का गुलाब’ कहा गया, देखते ही देखते उन्हें ‘जहन्नुम की फर्स्ट लेडी’ कहा जाने लगा. साल 2018 में अस्मा को ब्रेस्ट कैंसर डायग्नोस हुआ और मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार वह फिलहाल एक्यूट मयलॉइड ल्यूकेमिआ (बोन-मैरो और ब्लड को प्रभावित करने वाला कैंसर) से जूझ रहीं हैं. इसी साल मई में उनकी बीमारी के बारे में जानकारी दी गई थी.
फिलहाल अस्मा अल-असद अपने पति और 3 बच्चों के साथ मॉस्को में हैं, ब्रिटेन ने अस्मा के लिए अपने दरवाजे बंद कर दिए हैं. लिहाजा असद परिवार का भविष्य क्या होगा इसे लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं.

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सौजन्य से टीवी9 हिंदी डॉट कॉम

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