वैशाली में ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम का हुआ आयोजन

संवाददाता-राजेन्द्र कुमार

वैशाली जिले के राजापाकर स्थित बीएमडी महाविद्यालय, दयालपुर के स्मार्ट कक्षा परिसर में राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के तत्वाधान में आयोजित “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” कार्यक्रम ने एक बार फिर से बेटियों के सशक्तिकरण की आवश्यकता पर बल दिया। कार्यक्रम में भावुकता का माहौल था, और वक्ताओं ने दिल से बेटियों के महत्व को समझाया। थोड़ी बहुत गलतियाँ तो होंगी, आखिर इंसान ही तो लिख रहा हूँ।

शिक्षा से सशक्त बेटी: विकास की नींव

कार्यक्रम का संचालन कर रहे प्रोफेसर रवि रंजन कुमार ने इस पहल की अहमियत बताई। अध्यक्ष प्रोफेसर शिव कुमार सिंह ने अपने संबोधन में भारतीय शास्त्रों का हवाला देते हुए कहा, “बेटियाँ तो सृष्टि की निर्माता हैं। लेकिन हमने उन्हें परंपरा की जंजीरों में जकड़ रखा है।” उन्होंने व्यावहारिक रूप से बेटियों को समान अधिकार देने और उन्हें सामाजिक, आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाने की बात कही। प्रोफेसर सिंह ने जोर देकर कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि देश के विकास का आधार है। “बेटी का विकास होगा, तभी परिवार, अर्थव्यवस्था और देश का विकास होगा।”

सरकारी योजना नहीं, सामाजिक आंदोलन

छात्रा गौरी कुमारी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन है। हमें बेटियों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा प्रदान करनी होगी, तभी देश का संपूर्ण विकास संभव है। गौरी ने भावुक होते हुए कहा, “बेटी के बिना जीवन बेकार है। बेटियों से ही तो घर परिवार होता है।”

बेटियों की सुरक्षा: आज की जरूरत

आज के समय में, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की प्रासंगिकता और भी बढ़ गई है। हाल ही में सामने आए कुछ आंकड़ों के अनुसार, देश में बेटियों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि हुई है। (यहां इंटरनेट से एकत्रित हालिया घटनाओं का हवाला दिया जा सकता है, जैसे राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े, आदि) ऐसे में, इस तरह के कार्यक्रम न केवल जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि बेटियों को सशक्त बनाने और उन्हें सुरक्षित वातावरण प्रदान करने के लिए प्रेरित भी करते हैं।

कार्यक्रम में प्रोफेसर सोनी कुमारी, अंशु कुमारी, खुशी कुमारी, मनीषा कुमारी, पूजा कुमारी, जायद खान, अंकिता कुमारी एवं शिवम कुमार ने भी अपने विचार रखे। सभी ने एक सुर में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के महत्व पर जोर दिया। अंत में, प्रोफेसर गौरव कुमार ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस कार्यक्रम ने एक बार फिर यह स्पष्ट कर दिया कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ सिर्फ एक नारा नहीं, बल्कि एक संकल्प है, जिसे हम सबको मिलकर पूरा करना होगा। तभी जाकर हमारा समाज सही मायने में विकसित कहलाएगा।

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