Big News: चीन का बड़ा कांड Exposed! भारत की ड्रोन टेक्नोलॉजी चोरी कर किया ये खेला, कंपनियों पर बैन की मांग #INA

India China Drone Technology Dispute: चीन का बड़ा कांड एक्सपोज हुआ है. उसकी कंपनियों ने भारत की ड्रोन टेक्नोलॉजी को चोरी कर खेला कर दिया. अब उन कंपनी पर बैन लगने की तलवार लटकी हुई है. चौंकाने वाली बात ये है कि उन चीनी कंपनियों ने भारत की ही ड्रोन टेक्नोलॉजी को कॉपी कर भारत में ही ड्रोन सप्लाई कर दिए. जब इसको लेकर खुलासा हुआ, तो खलबली मच गई. इस तरह कॉपी पायरेसी और टेक्नोलॉजी चोरी के मामले में बदनाम चीन एक बार फिर पूरी दुनिया में बेनकाब हो गया.
जरूर पढ़ें: India-Russia: बड़ा खेल करने की तैयारी में मोदी-पुतिन, बना रहे ऐसा ‘रहस्यमयी’ इंजन, हिल जाएगा सुपरपावर अमेरिका!
चीन पर ड्रोन टेक्नोलॉजी कॉपी करने का आरोप
एक इंग्लिश वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की एक ड्रोन कंपनी ने चीन पर एक बहुत बड़ा और गंभीर आरोप लगाया है. ये आरोप चेन्नई स्थित ज़ुप्पा जियो नेविगेशन टेक्नोलॉजी कंपनी ने लगाए हैं. कंपनी का आरोप है कि चीनी संस्थाओं ने उसकी ऑटोपायलट तकनीक के कॉपीराइट का उल्लंघन किया है. कंपनी ने भारत सरकार से अपील की है कि उन चीनी कंपनियों पर बैन लगाया जाए, जिन्होंने उसके ड्रोन में इस्तेमाल ऑटोपायलट तकनीक को चुराया है.
जरूर पढ़ें: India Britain के बीच सबसे बड़ी डील, देगा ऐसा पावरफुल सिस्टम, बुलेट ट्रेन की रफ्तार से दौड़ेंगे जंगी जहाज!
भारतीय कंपनी ने DGFT से की शिकायत
जुप्पा जियो नेविगेशन टेक्नोलॉजी कंपनी ने पूरे मामले को लेकर विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) को पत्र लिखकर शिकायत की है. जुपा कंपनी ने मांग की है कि DGFT को उसके बौद्धिक संपदा अधिकारों की रक्षा के लिए संबंधित चीनी कंपनियों के आयात पर नकेल कसनी चाहिए. डीजीएफटी को दिए गए एक ज्ञापन में भारतीय कंपनी ने कहा है कि उसे इस साल सिस्टम ऑफ डिसेमिनेटेड पैरल कंट्रोल कंप्यूटिंग इन रियल टाइम नामक रियल टाइम कंप्यूटिंग आर्किटेक्चर के लिए पेटेंट दिया गया था.
जरूर पढ़ें: Big News: उड़ते ही ‘गायब’ हो जाएंगे भारतीय फाइटर जेट, जानिए क्या है अनलक्ष्य, जिससे संभव हो पाया ये असंभव!
भारतीय कंपनी ने DGFT से कहा कि 9 साल की जांच के बाद पेटेंट दिया गया था, लेकिन चीनी कंपनियां उसकी कॉपीराइट टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर रही हैं. कंपनी ने अपनी शिकायत में उस चीनी कंपनी के नाम का भी खुलासा किया है जो ऐसा कर रही है. भारतीय कंपनी ने शिकायत में कहा है कि शांघाई स्थित कंपनी जीआईवाईआई रोबोट और सीयूएवी भारत को ऑटोपायलट ड्रोन निर्यात कर रही है, जो सीधे तौर पर उसके बौद्धिक संपदा अधिकारों का उल्लंघन करती है.
जरूर पढ़ें: PROBA 3 Mission: क्या है प्रोबा-3 मिशन, लॉन्च करने जा रहा ISRO, सूरज के इस अनसुलझे रहस्य से उठेगा पर्दा?
क्या है ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी?
-
ड्रोन के लिए ऑटोपायलट टेक्नोलॉजी बड़े ही काम ही होती है. इससे ड्रोन खुद ही उड़ान भर सकते हैं और निर्देशित किए गए ऑपरेशंस को अंजाम दे सकते हैं.
-
इस टेक्नोलॉजी में एक खास तरह का ऑटोपायलट मोड सॉफ्टवेयर और सेंसर होता है, जिनके बदौलत ड्रोन ऑटोपायलट मोड में उड़ पाता है.
-
ऑटोपायलट मोड में फ्लाइट कंट्रोल कंप्यूटर में पायलट की ओर से विमान से जुड़ी जानकारी दर्ज कर दी जाती है. इसमें ड्रोन की उड़ान की ऊंचाई रास्ता और गति शामिल होता है.
जरूर पढ़ें: ₹30 हजार के निवेश पर मिलेंगे 8 लाख, जैकपॉट से कम नहीं है ये योजना, खुशी से झूमे लाभार्भी!
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
डिस्क्लेमरः यह न्यूज़स्टेट डॉट कॉम न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ आई एन ए टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज़स्टेट डॉट कॉम की ही होगी.