Bihar news: मरीज की मृत्यु के बाद चूहे ने खा ली उसकी आंख, अस्पताल प्रशासन में खलबली #INA

बिहार के नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) में एक मरीज की मौत के बाद उसकी आंख गायब होने का मामला सामने आया है, जिससे अस्पताल में हलचल मच गई है. इस घटना ने न सिर्फ अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राज्य सरकार और प्रशासन की संवेदनशीलता पर भी गहरी चिंता जताई जा रही है. आइए जानते हैं इस घटना से जुड़े प्रमुख पहलुओं को और विपक्षी दलों द्वारा किए गए विरोध पर एक नजर डालते हैं.

अस्पताल में मरीज की आंख गायब

यह घटना तब सामने आई जब एक मरीज की मौत के बाद उसकी आंख गायब मिली. अस्पताल प्रशासन ने इस मामले पर एक बयान जारी किया, जिसमें कहा गया कि या तो किसी ने मृतक की आंख निकाल ली होगी, या फिर चूहे ने उसे नुकसान पहुंचाया होगा. यह बयान सुनकर अस्पताल की लापरवाही और असंवेदनशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं. मामले ने जैसे ही तूल पकड़ा, अस्पताल प्रशासन के इस बयान पर आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया.

बिहार सरकार पर गंभीर आरोप

इस मामले को लेकर बिहार के विपक्षी दलों ने राज्य सरकार और अस्पताल प्रशासन की घोर आलोचना की है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने इस घटना को शर्मनाक और अविश्वसनीय करार दिया. उन्होंने कहा, “यह पूरी बिहार की छवि को शर्मसार करने वाली घटना है. प्रशासन का कहना है कि चूहे ने आंख को खा लिया, यह हास्यास्पद और अविश्वसनीय है. अब चूहे पुल खा रहे हैं, शराब पी रहे हैं और अब आंख भी खा रहे हैं. बिहार में क्या हो रहा है?” तिवारी ने नीतीश सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस राज्य में अराजकता का आलम है, जहां जिंदा लोगों के साथ तो बुरा बर्ताव हो ही रहा है, मृतकों के साथ भी यही हो रहा है.

संवेदनहीनता और प्रशासन की लापरवाही

मृत्युंजय तिवारी ने आगे कहा कि यह पूरी घटना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है. उन्होंने सवाल उठाया, “क्या यह शासन चलाने का तरीका है? क्या इस सरकार को कोई शर्म नहीं आती?” तिवारी ने बिहार सरकार से इस मामले में त्वरित कार्रवाई की मांग की और कहा कि अगर सरकार में थोड़ी भी शर्म बाकी है, तो उसे इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए.

अस्पताल प्रशासन की लापरवाही

इस मामले में अस्पताल प्रशासन की लापरवाही भी खुलकर सामने आई है. अगर मरीज की आंख चूहे ने खाई, तो यह अस्पताल की साफ-सफाई और उसकी बुनियादी व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाता है. अस्पताल के अधीक्षक ने यह बयान देकर मामले को हल्का करने की कोशिश की, लेकिन इसने सिर्फ स्थिति को और बिगाड़ दिया. अगर प्रशासन ने समय पर उचित सुरक्षा उपाय नहीं अपनाए, तो यह मरीजों के लिए खतरे की घंटी है. ऐसे मामलों में त्वरित और कठोर कार्रवाई की आवश्यकता होती है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके.

क्या हो सकता है आगे?

यह मामला बिहार के स्वास्थ्य और प्रशासनिक ढांचे पर गंभीर सवाल खड़े करता है. अस्पताल में चूहे की समस्या, साफ-सफाई की स्थिति, और मृतकों के प्रति संवेदनहीनता को लेकर राज्य सरकार को त्वरित कदम उठाने की आवश्यकता है. विपक्षी दलों द्वारा लगाए गए आरोपों और प्रशासन की लापरवाही के बाद अब यह देखना होगा कि नीतीश सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है.


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