भाजपा विधायकों को टिकट पाने के लिए गुजरना पडेगा अग्नि परीक्षा से

🔴परफॉर्मेंस के आधार पर चुनाव में मिलेगा टिकट,भाजपा करा रही है विधायकों का ऑडिट

कुशीनगर। भारतीय जनता पार्टी सूबे की सत्ता में हैट्रिक लगाने की जुगत शुरू कर दी है। जानकारों का कहना है कि पार्टी हाईकमान टिकट वितरण मे न तो कोई रिक्स लेना चाहती है और न ही कोई चूक करना चाहती है। यही वजह है कि सिटींग विधायकों को 2027 में टिकट हासिल करने के लिए उन्हें परफार्मेंस और पब्लिक कनेक्शन के मार्ग से होकर गुजरना पडेगा। ऐसी चर्चा है कि पार्टी ने मौजूदा विधायकों के कार्यो की त्रिस्तरीय समीक्षा शुरू कर दी है जिसमे विधायकों के कामकाज, जनसंपर्क और लोकप्रियता जैसे मानक शामिल है जो आगामी विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण का आधार बनेगी। साफ संकेत है जो अच्छा काम करेगा वही टिकट पायेगा। 

काबिलेजिक्र है कि विधानसभा चुनाव 2027 में भाजपा के मौजूदा विधायकों की दावेदारी पर संकट आ सकता है। क्योंकि टिकट वितरण से पूर्व सभी विधायकों को जनता की कसौटी पर कसा जाएगा। पार्टी व सरकार विधायकों के बारे में पूरा ब्योरा जुटाकर उनके कामकाज का ऑडिट करायेगी ताकि पता लगाया जा सके कि कौन विधायक जनता के बीच कितना सॉलिड है।

🔴 शुरू हो गया है

सूत्रों के मुताबिक, पार्टी हाईकमान ने विधायकों का ऑडिट कराने की जिम्मा सरकार को सौंपा  है। इसके लिए सरकार ने कुछ एजेंसियों को काम पर लगा दिया है। बताया जा रहा है कि एजेंसियां  गोपनीय तरीके से काम शुरू कर दिया है। विधायकों के कामकाज और जनता के बीच छवि का ऑडिट कराने के साथ ही सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के सामाजिक व राजनीतिक समीकरणों के आधार पर सर्वे कराने का भी फैसला लिया गया है।  साफ है कि विधानसभा चुनाव 2027 में विधायकों को टिकट पाने के लिए अग्निपरीक्षा से गुजरना पड़ेगा।

🔴 तीन श्रेणियों में होगा आकलन

सर्वे में विधायकों की छवि का आकलन ए, बी और सी तीन श्रेणियों में किया जाएगा। ऑडिट के बाद विधायकों को श्रेणीबद्ध करते हुए अंक दिए जाएंगे। सर्वाधिक अंक पाने वाले विधायक को ए श्रेणी में रखा जाएगा। इसी प्रकार अंक के आधार पर बी और सी श्रेणी में रखा जाएगा। सरकार के स्तर से पूरा डाटा तैयार करके पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

🔴 क्यों हो रहा है ये परफॉर्मेंस ऑडिट?

कहना ना होगा कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में सिर्फ 33 सीट हाथ लगी है , जो लोकसमा 2019 के मुकाबले आधी से भी कम है। यह नतीजे पार्टी के लिए खतरे की घंटी साबित हुए इसके बाद बीजेपी ने रणनीति बदली और संगठन के हर स्तर पर नतीजों की समीक्षा शुरू कर दी। उपचुनावों में वापसी की झलक मिलने के बावजूद पार्टी अब कोई जोखिम नहीं लेना चाहती। इसलिए अब 2027 के विधानसभा चुनावों के लिए जमीनी स्तर पर फिटनेस टेस्ट शुरू कर दिया गया है। 

🔴 किन बिंदुओं पर हो रहा है आकलन ?

पहली और दूसरी बार के विधायकों का परफारमेंस कैसा रहा, क्षेत्र में विकास निधि की धनराशि खर्च करने की स्थिति कैसी है,जनसमस्याओं के निस्तारण में विधायकों ने कितनी सक्रियता दिखाई है, पिछले चुनाव में प्रतिद्वंदी से कम मार्जिन से जीतने की क्या वजह हैं। इसके अलावा जनता की नजर में विधायकों की छवि कैसी है, वर्ष 2027 में चुनाव जीतने की संबंधित विधायक की कितनी संभावना है जैसे बिन्दुएं शामिल है। इतना ही नही आडिट मे विपक्ष की स्थिति पर रहेगी नजर, सर्वे में भाजपा के साथ ही मुख्य विपक्षी दलों के बारे में भी जानकारी जुटाई जाएगी। जातिवार समीकरण के लिहाज से भी रिपोर्ट बनेगी। इसमें देखा जाएगा कि किस जाति व समाज में किस दल की पकड़ अधिक है। जनता मे किस पार्टी को लेकर क्या अवधारणा है। पार्टी की स्थिति के साथ ही मौजूदा विधायकों के बारे में रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

🔴 तीन श्रेणियों में होगी रेटिंग

हर विधायक को परफॉर्मेंस के आधार पर तीन श्रेणियों ए, बी और सी में बांटा जाएगा. जो विधायक सबसे ज़्यादा अंक हासिल करेंगे, वो ‘ए ग्रेड’ में आएंगे और उनका टिकट लगभग पक्का माना जा सकता है. वहीं बी और सी श्रेणी में आने वाले नेताओं को या तो चेतावनी मिलेगी या टिकट कट सकता है। 

🔴विधायकों के साथ संगठन भी रहेगें जांच के दायरे में

इस सर्वे का मकसद केवल विधायकों का मूल्यांकन नहीं है,बल्कि स्थानीय संगठनात्मक कमजोरियों की पहचान भी इसका हिस्सा है।पार्टी अब नए चेहरों को मौका देने के साथ-साथ दलित, ओबीसी और पिछड़े वर्गों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने की योजना भी बना रही है। 

🔴सपा की चुनौती और बीजेपी की रणनीति

लोकसभा 2024 में समाजवादी पार्टी ने बीजेपी को पीछे ढकेलते हुए 37 लोकसभा सीटों पर कब्जा जमा लिया है। यही वजह है कि भाजपा  अब अपनी हर रणनीति को डेटा और फील्ड रिपोर्ट्स के आधार पर तय कर रही है. पार्टी यह मानती है कि हैट्रिक तभी संभव है, जब जनता के भरोसे को फिर से हासिल किया जाए।

🔵  रिपोर्ट – संजय चाणक्य 

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