Buddha 5 Rules: रोगमुक्त जीवन के लिए ये हैं बुद्ध के 5 नियम, कभी नहीं होंगे बीमार #INA

Buddha 5 Rules: बुद्ध के जीवन में अद्वितीय ऊर्जा, तेजस्विता और स्वस्थता देखी गई, चाहे वह वृद्धावस्था में ही क्यों न हों. उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का रहस्य उनके जीवनशैली के नियमों में छिपा था. एक बार एक शिष्य ने उनसे पूछा कि इतने कम भोजन के बावजूद, आप हमेशा स्वस्थ और सक्रिय कैसे रहते हैं? बुद्ध ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया कि यह भोजन की मात्रा या प्रकार पर निर्भर नहीं करता, बल्कि भोजन को सही तरीके से ग्रहण करने और जीवन के कुछ नियमों का पालन करने पर निर्भर करता है. उन्होंने रोगमुक्त रहने के पांच प्रमुख नियम बताए, ये नियम क्या हैं आइए जानते हैं. 

भोजन के प्रति जागरूकता

अगर आप रोगमुक्त जीवन (disease-free life) चाहते हैं तो बुद्ध की इन बातों को ध्यान में रखते हुए भोजन करें. अगर कोई व्यक्ति किसी से बात करते हुए या अपने विचारों में डूबा हुआ भोजन करता है तो उसका मन भोजन से अलग रहता है. भोजन का प्रभाव तभी होता है जब उसे सही तरीके से ग्रहण किया जाए, मन को शांति और संतोष के साथ ही भोजन ग्रहण करना लाभकारी होता है.

सूर्यास्त के बाद भोजन न करें

बुद्ध ने कहा कि सूर्यास्त के बाद भोजन करने से बचना चाहिए. रात को भोजन करने से शरीर को उसे पचाने में समय लगता है जिससे शरीर अपनी मरम्मत की क्षमता को खो देता है. उन्होंने सुझाव दिया कि अगर रात को भोजन किया जाए तो वह हल्का और जल्दी पचने वाला हो.

सरल और पाच्य भोजन ग्रहण करें

महात्मा बुद्ध रोगमुक्त जीवन के लिए इस बात पर भी जोर देते हैं कि सबसे सरल और पचने योग्य भोजन, जैसे दाल-चावल होते हैं ऐसा भोजन करना चाहिए. यह भोजन न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि शरीर को आवश्यक ऊर्जा भी प्रदान करता है. उन्होंने मांसाहारी भोजन से बचने की सलाह दी क्योंकि उसमें हिंसा और पीड़ा के गुण समाहित होते हैं जो शरीर को नुकसान पहुंचा सकते हैं.

भोजन पकाने वाले के भाव

बुद्ध ने कहा कि भोजन पकाने वाले के मनोभाव भी भोजन में समाहित होते हैं. भोजन प्यार, शांति और खुशी के भाव से बनाया गया हो, तो वह शरीर और मन दोनों को संतुष्टि देता है. वहीं, क्रोध या द्वेष के भाव से बना भोजन शरीर और मन दोनों को अशांत कर सकता है.

भोजन करते समय रीढ़ सीधी रखें

रोगमुक्त जीवन (disease-free life) के लिए बुद्ध ने बताया कि भोजन करते समय रीढ़ सीधी रखना चाहिए. जब हमारी रीढ़ सीधी होती है तो भोजन आसानी से पेट में पहुंचता है और पचने की प्रक्रिया सुचारू रूप से होती है. झुकी हुई स्थिति में भोजन सही से नहीं पहुंचता और पाचन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. बुद्ध के इन नियमों का पालन करके कोई भी व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रह सकता है.

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)


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