National-होम लोन लेकर घर खरीदें या किराए पर रहें, दोनों में से किसमें है ज्यादा फायदा? – #INA

इंडिया में घर खरीदना व्यक्ति की सफलता का पैमाना माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति ने एक से ज्यादा घर खरीदा है तो फिर समाज को उसकी सफलता के बारे में किसी तरह का संदेह नहीं रह जाता है। कई लोगों का मानना है कि अगर नौकरी के दौरान व्यक्ति हम लोन लेकर घर खरीदता है तो रिटायर होने से पहले उसके पास होम लोन का पैसा चुकाने के लिए पर्याप्त समय होता है। इससे रिटायरमेंट के बाद वह अपने घर में रहने का सुख उठाता है। लेकिन, पिछले कुछ सालों में इस पारंपरिक सोच को चुनौती मिलती दिख रही है।
EMI की तुलना रेंट से नहीं की जा सकती
एक्सपर्ट्स का कहना है कि लोग घर की EMI की तुलना उसके रेंट से करते हैं। ऐसा करना ठीक नहीं है। आम तौर पर घर की EMI उसके रेंट के तीन गुना से ज्यादा होती है। हां यह सही है कि धीरे-धीरे EMI और रेंट के बीच का फर्क घटने लगता है। 15-20 बाद EMI और रेट एक बराबर हो जाता है। लेकिन, इस 15-20 के दौरान EMI का लगातार पेमेंट करना एक बड़ी प्रतिबद्धता है। अगर किसी वजह से EMI पर डिफॉल्ट होता है तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। आपको क्रेडिट स्कोर खराब हो जाएगा। इससे आपको भविष्य में किसी तरह का लोन मिलने में दिक्कत आएगी।
घर खरीदने पर आ सकती हैं ये दिक्कतें
अगर आप घर खरीदना चाहते हैं तो सबसे पहले उसके बजट के बारे में सोचना होगा। यह हो सकता है कि आप जिस इलाके में घर खरीदना चाहते हैं उस इलाके में घर की कीमत आपके बजट से बाहर हो। ऐसे में आपको मजबूरन ऐसे इलाकों में रहना पड़ता है, जो आपकी पंसद में शामिल नहीं होता है। दूसरा, यह कि अगर आपने एक इलाके में घर खरीदा है लेकिन आपका ऑफिस या वर्कप्लेस दूर के इलाके में है तो फिर आपको आनेजाने में काफी समय खर्च करना पड़ता है। यही वजह है कि कई ऐसे लोग अपना घर छोड़ ऑफिस के नजदीक किराए के घर में रहना पसंद करते हैं।
किराए पर घर लेने में व्यक्ति की आजादी बनी रहती है
व्यक्ति के पास किसी इलाके में किराए का घर लेने का विकल्प होता है। हालांकि, कुछ लोग यह मानते हैं कि अपने घर में रहने का सुख ही अलग है। लेकिन, एक्सपर्ट्स का कहना है कि सच यह है कि जब तक आप होम लोन का पूरा पैसा चुका नहीं देते हैं तो वह घर आपका नहीं बल्कि बैंक का होता है। अगर किसी वजह से आप ईएमआई नहीं चुका पाते हैं तो बैंक वह घर बेचकर लोन का अपना पैसा हासिल कर सकता है।
पर्याप्त फाइनेंशियल स्ट्रेंथ होने पर ही खरीदें घर
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर व्यक्ति के पास फाइनेंशियल स्ट्रेंथ है तो वह लोन लेकर घर खरीदने का फैसला कर सकता है। फाइनेंशियल स्ट्रेंथ का मतलब यह है कि उसके पास अपनी सेविंग्स या पुश्तैनी संपत्ति इतनी होनी चाहिए जिससे वह लोन का पैसा जरूरत पड़ने पर चुका दें। अगर आप सिर्फ नौकरी के भरोसे घर खरीद रहे हैं तो इसमें काफी रिस्क है। खासकर प्राइवेट नौकरी करने वाले लोगों को सोचसमझकर लोन लेकर घर खरीदने का फैसला करना चाहिए।
होम लोन लेकर घर खरीदें या किराए पर रहें, दोनों में से किसमें है ज्यादा फायदा?
देश दुनियां की खबरें पाने के लिए ग्रुप से जुड़ें,
#INA #INA_NEWS #INANEWSAGENCY
Copyright Disclaimer :-Under Section 107 of the Copyright Act 1976, allowance is made for “fair use” for purposes such as criticism, comment, news reporting, teaching, scholarship, and research. Fair use is a use permitted by copyright statute that might otherwise be infringing., educational or personal use tips the balance in favor of fair use.
Credit By :-This post was first published on hindi.moneycontrol.com, we have published it via RSS feed courtesy of Source link,