CG- आदिवासियों की ‘मांझी सेना’… अंग्रेजों के छुड़ाए थे छक्के, आजादी के बाद आज भी देश की सेवा में तत्पर; जानिए कहानी- #INA
मांझी सरकार के सिपाही
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले के वनांचल मे स्थित ग्राम बघमार मे इन दिनो मांझी सरकार के सिपाहियों का जमावाड़ा है. हर साल 5 दिसंबर को देश के विभिन्न हिस्सों से यहां हजारों की तादाद में सिपाही अपने मांझी सरकार के संस्थापक स्व. हीरा सिंह देव उर्फ कंगला मांझी श्रद्धांजलि देने पहुंचते हैं. कंगला मांझी की इस बार 40वीं पुण्यतिथि है. मांझी सरकार ने ही अंग्रेजो की नाक में दम कर दिया था और नेता जी सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिन्द फौज से काफी प्रेरित हुए थे.
पारम्परिक पूजा के साथ 8 दिसंबर तक चलने वाले इस तीन दिवसीय आयोजन की गुरुवार को शुरुआत हुई. कंगला मांझी के द्वारा गठित इस मांझी सरकार को श्री मांझी अंतर्राष्ट्रीय समाजवाद आदिवासी किसान सैनिक भी कहा जाता है. आजादी के पूर्व स्व.हीरा सिंह उर्फ कंगला मांझी के द्वारा गठित मांझी सरकार का अस्तित्व आज भी कायम है. इनका प्रमुख कार्यालय नई दिल्ली मे है, लेकिन इस सरकार का संचालन बालोद जिला के ग्राम बधमार स्थित जंगल यानी कि इसी स्थान से होता था.
चप्पे चप्पे पर नजर आ रहे हैं सिपाही
जिले के डौंडीलोहारा ब्लॉक में घने जंगलो के बीच स्थित ग्राम बघमार मांझी धाम के नाम से जाना जाता है. इन दिनो इस जगह चप्पे चप्पे पर खाकी वर्दी मे सिपाही नजर आ रहे हैं, ये सभी महिला पुरुष सिपाही मांझी सरकार के सैनिक हैं. छत्तीसगढ़ के साथ साथ देश के विभिन्न हिस्सो मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश, बिहार, मद्रास से आए इन सिपाहियों के लिए यह स्थान बेहद मायने रखता है. मांझी संस्था के संस्थापक स्व. हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी का निवास स्थान है और यहीं उनकी समाधि भी है. हर साल इस जगह 5 दिसंबर को अपने सरकार के संस्थापक स्व. हीरासिंह देव उर्फ कंगला मांझी को श्रद्धांजलि देने यहां सिपाही पहुंचते हैं.
तीन दिनों तक चलेगा
गुरुवार की दोपहर पारम्परिक पूजा के साथ इस आयोजन का शुरुआत हुआ, जो कि लगातार तीन दिनों तक चलेगा. आयोजन में स्व. हीरा सिंह देव की धर्म पत्नी फूलवा देवी, उनका पुत्र कुंभ देव कांगे और उनका पूरा परिवार उपस्थित हुआ. इस मौके पर मांझी सरकार के सिपाहियों ने उनकी समाधि पर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके बताए मार्ग में चलने संल्कपित हुए. संस्था के संस्थापक स्व. हीरा सिंह देव उर्फ कंगला मांझी के निधन के बाद अब इस सरकार का बागड़ोर उनकी धर्मपत्नी फुलवा देवी संभाली हुई है.
जीवन में आगे बढ़ने की देती हैं सीख
फुलवा देवी इस संस्था के माध्यम व मांझी के बताये मार्गों का अनुशरण करते हुए सैनिको को जीवन मे आगे बढ़ने की सीख देती हुई सैनिको सक्षम बनाना चाहती हैं. मांझी सरकार के इन सिपाहियों में अपनी सरकार के प्रति अटूट आस्था है. इन सैनिकों में महिलाएं भी शामिल है. सभी में अपनी सरकार के प्रति गजब का समर्पण है. इनके दिलो में कंगला मांझी के लिये अपार श्रद्धा है. क्रांतिवीर कंगला मांझी का स्वतंत्रता संग्राम के योगदान में प्रमुख योगदान रहा है. उनका जन्म कांकेर जिले के ग्राम तेलावट में हुआ था. वे 1913 में स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ चुके थे इसके पश्चात् 1914 में महात्मा गांधी से मुलाकात करने के पश्चात् उन्होंने राष्ट्रीय आंदोलनों में प्रमुख भूमिका निभाई है.
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