CG News: न मंत्र पढ़े और ना लिए सात फेरे, फिर भी चर्चा में क्यों है कोरबा की ये अनोखी शादी?- #INA

सांकेतिक तस्वीर
देश में कहीं भी और किसी भी समाज में शादी होती है तो कुछ परंपराओं का पालन किया जाता है. खासतौर पर हिन्दू धर्म में तो कई दिन पहले से शादी की औपचारिकताएं शुरू हो जाती है. लेकिन छत्तीसगढ़ के कोरबा में एक ऐसी शादी हुई, जिसमें किसी तरह की कोई औपरचारिकता नहीं निभाई गई. यहां तक कि इस शादी में न तो बैंड बजे और ना ही पंडित जी ने मंत्र ही पढ़े. दूल्हा-दुल्हन ने भी अग्नि के सामने सात फेरों की भी जहमत नहीं उठाई.
सीधा टेबल पर बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर की फोटो लगाई और हाथ में संविधान लेकर जीवन भर एक दूसरे का साथ निभाने की कसम खा ली.
इस शादी के दौरान दूल्हा और दुल्हन दोनों के परिवार वाले और रिश्तेदार भी मौजूद थे. सभी ने तालियां बजाकर इस शादी पर मुहर लगाई और नवविवाहित जोड़े को आर्शीवाद दिया. मामला छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में कापूगांव का है. इस गांव में रहने वाले दूल्हे इमान लहरे की शादी तय हुई थी.
संविधान की शपथ लेकर की शादी
इस शादी के बाद दूल्हे ने दुल्हन से बात किया और अनोखे तरीके से शादी की सहमति मिलने के बाद दोनों ने अपने परिजनों को जानकारी दी. फिर परिजनों की सहमति से इस शादी को अंजाम दिया गया. वैवाहिक बंधन में बंधने के बाद दूल्हे ने बताया कि उसका उद्देश्य अपने संविधान के प्रति सर्मपण जाहिर करने के साथ ही फिजुलखर्ची से बचना है. कहा कि उसने अपने परिवार वालों की मर्जी से शादी का यह नया तरीका अख्तियार किया है.
सोशल मीडिया में खूब हो रही सराहना
इस तरीके में ना तो मंत्रोच्चार हुआ और ना ही टेंट-तंबू पर बेवजह का खर्चा किया गया. यहां तक कि सात फेरे या मंगलसूत्र की भी औपचारिकता भी नहीं निभाई गई. इस शादी में जुटे गांव और समाज के लोगों ने इस शादी की खूब सराहना की. कई लोगों ने इस शादी का वीडियो भी बनाकर सोशल मीडिया पर डाला. अब सोशल मीडिया पर इस वीडियो को सराहा जा रहा है. स्थानीय लोगों की मुताबिक यह शादी 18 दिसंबर को हुई थी. मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि इस शादी को देखकर कई अन्य लोगों के भी विचारों में परिवर्तन आया है. अब क्षेत्र के लोग बिना किसी फिजुलखर्ची के शादी समारोह आयोजित करने पर विचार करने लगे हैं.
न मंत्र पढ़े और ना लिए सात फेरे, फिर भी चर्चा में क्यों है कोरबा की ये अनोखी शादी?
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