अलविदा यात्रा पर जाने वाले हैं सीएम नीतीशः तेजस्वी बोले-2020 के चुनाव में कहा था- यह उनका अंतिम चुनाव, आरजेडी के कारण बने मुख्यमंत्री
मिंटू राय संवाददाता अररिया
अररिया: बिहार की राजनीति में हर दिन नए घटनाक्रम सामने आते हैं, और बुधवार को इस क्रम में एक महत्वपूर्ण घटना घटी जब नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अररिया में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तीखे शब्दों में हमला बोला। तेजस्वी यादव का यह बयान मुख्यमंत्री की हालिया प्रगति यात्रा को लेकर आया है, जिसे उन्होंने ‘अलविदा यात्रा’ करार दिया। इसकी वजह क्या है, और इसके पीछे की राजनीति को समझना आवश्यक है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2020 के विधानसभा चुनाव में पूर्णिया की जनता को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया था कि यह उनका अंतिम चुनाव होगा। इससे स्पष्ट होता है कि तेजस्वी चाहते हैं कि जनता के सामने नीतीश की भूमिका की स्पष्टता लाई जाए। पूर्व डिप्टी सीएम ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने पिछली बार राजद के साथ गठबंधन कर चुनावी सफलता हासिल की थी, जिसमें बिहार की जनता ने एनडीए गठबंधन को खारिज कर दिया था।
तेजस्वी यादव के अनुसार, बिहार की मौजूदा स्थिति और नीतीश कुमार की प्रगति यात्रा में 2 अरब 25 करोड़ 78 लाख रुपए खर्च करने के निर्णय ने यह साबित कर दिया है कि मुख्यमंत्री आलोचना के दायरे में आ गए हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि मुख्यमंत्री को हालात का सामना करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च करके जनता के बीच संवाद करने की आवश्यकता क्यों पड़ी? यह सवाल करना एक महत्वपूर्ण बिंदु है, क्योंकि यह दर्शाता है कि तेजस्वी यादव न केवल नीतीश के कार्यकाल की आलोचना कर रहे हैं, बल्कि बिहार के वर्तमान प्रशासनिक ढांचे पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं।
तेजस्वी का यह भी कहना था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को यह अच्छे से पता है कि जदयू को इस बार पिछले चुनाव से भी कम सीटें मिलने वाली हैं। इसके पीछे प्रमुख कारण बीजेपी और अन्य सहयोगियों के द्वारा उनकी पार्टी की स्थिति को नजरअंदाज करना हो सकता है। इसलिए, उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ‘अलविदा यात्रा’ पर हैं, जो सत्ताधारी पार्टी के भीतर उनके असंतोष को दिखाता है।
आगे बढ़ते हुए, तेजस्वी ने महागठबंधन सरकार के 17 महीने के कार्यकाल के दौरान अचल निवेश को बढ़ावा देने का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि उन्होंने आईटी डिपार्टमेंट में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लगभग 50 हजार करोड़ रुपए के एमओयू साइन किए थे। यह दावा करना कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ, एक महत्वपूर्ण संकेत है और यह दर्शाता है कि तेजस्वी यादव बिहार में विकास के दृष्टिकोण को लेकर कितने गंभीर हैं। जब उन्होंने अपनी सरकार के अतीत में किए गए कार्यों का जिक्र किया, तो यह साफ था कि वह जनता को यह बताने की कोशिश कर रहे थे कि उनकी योजनाएँ अधिक प्रभावी और विकास केंद्रित थीं।
तेजस्वी ने यह भी पूछा कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा कब मिलेगा, जो कि एक लंबे समय से लम्बित मुद्दा है। उन्होंने नीतीश कुमार को ‘सबसे खर्चीले मुख्यमंत्री’ करार दिया और कहा कि उनके ‘रिटायरमेंट’ का समय अब आ गया है। यह सभी बातें एक निश्चित संदेश देती हैं कि बिहार में राज्य की सत्ता को लेकर उठते सवाल और विवाद गहराते जा रहे हैं।
इस प्रकार, तेजस्वी यादव का यह हमला न केवल नीतीश कुमार की राजनीति पर सीधा प्रहार है, बल्कि यह बिहार की राजनीतिक स्थिति को समझने का एक दृष्टिकोण भी प्रस्तुत करता है। जहां एक ओर तेजस्वी अपनी पार्टी और उनके द्वारा किए गए कार्यों पर केंद्रित हैं, वहीं दूसरी ओर वे यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि जनता के सामने नीतीश कुमार की असलियत आ सके।
इन सभी घटनाक्रमों से यह साफ है कि बिहार की राजनीति में गहमागहमी बढ़ती जा रही है। आगामी चुनावों के मद्देनज़र यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि ये आरोप कितने प्रभावी साबित होते हैं, और क्या तेजस्वी यादव अपनी योजनाओं को कार्यान्वित करने में सफल हो पाते हैं। बिहार की जनता आगे क्या चुनती है, यह तो समय ही बताएगा, लेकिन इस समय स्थिति काफी दिलचस्प और चुनौतीपूर्ण है।