आगरा में प्रसव पीड़ा के समय एंबुलेंस चालक की निन्दनीय हरकत
आगरा । हाल ही में एक दिल दहलाने वाली घटना ने हमें हमारे स्वास्थ्य सेवाओं की सच्चाई से परिचित किया है। उन्नाव जनपद की रहने वाली एक महिला, आरती, जब प्रसव पीड़ा में थी, तब उसे एंबुलेंस चालक द्वारा अस्पताल के गेट पर छोड़ दिया गया। यह घटना न केवल मानवता को शर्मसार करती है, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं में गहरी अव्यवस्थाओं और कमीशनखोरी को भी उजागर करती है।
घटना का विस्तृत विवरण
आरती, जो कि अछनेरा क्षेत्र में एक पापड़ फैक्ट्री में काम करती है, को जब प्रसव पीड़ा शुरू हुई तब उसे अछनेरा सीएचसी में भर्ती करवाया गया। उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए, चिकित्सकों ने उसे आगरा के लेडी लॉयल अस्पताल के लिए रेफर किया। लेकिन एंबुलेंस चालक ने आरती को एक प्राइवेट अस्पताल के सामने छोड़ दिया और उसके परिवार वालों को वहां डिलीवरी करने का दबाव डालने लगा। जब परिजनों ने प्राइवेट अस्पताल में प्रसव कराने से इनकार किया, तो गुस्साए एंबुलेंस चालक ने उन्हें सीएचसी के गेट पर उतार दिया और वहां से भाग गया।
इस घटना ने यह साबित किया कि हमारे समाज में अभी भी लोग मानवता के लिए खड़े होते हैं। जब आरती की हालत बिगड़ गई, तो क्षेत्र के समाजसेवियों ने बिना किसी विलंब के उसे आगरा के एक प्राइवेट अस्पताल में पहुँचाया, जहाँ उसने स्वस्थ बच्ची को जन्म दिया। यह घटना यह संकेत देती है कि जब सरकारी स्वास्थ्य सेवाएँ नाकाम रहती हैं, तो समाज के लोग एकजुट होकर मदद को तैयार रहते हैं।
स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था
यह मामला केवल आरती की घटना तक सीमित नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर तैनात एंबुलेंस चालक और आशा कार्यकर्ता मिलकर कमीशनखोरी का खेल खेलते हैं। यानि, गरीब परिवारों को प्राइवेट अस्पतालों में प्रसव कराने के लिए तैयार किया जाता है, जिससे उन्हें कमीशन मिलता है। यह बहुत ही गंभीर मुद्दा है, क्योंकि इससे लोगों की जानों का जोखिम बढ़ता है। सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की अव्यवस्था और भ्रष्टाचार के इस खेल को खत्म करने की सख्त आवश्यकता है।
सरकारी अभिकारियों की अदृश्यता
इस प्रकार के मामलों में सरकारी अधिकारियों की अदृश्यता एक बड़ा प्रश्न चिह्न खड़ा करती है। क्या वे सच में जनता की भलाई के लिए काम कर रहे हैं? क्या उनकी आँखें सच में बंद हैं? यह मुद्दा सरकार के स्तर पर गहन चिंतन का विषय है, ताकि ऐसे घटनाक्रमों को रोका जा सके।
भविष्य का आश्वासन
डॉ. अरुण श्रीवास्तव, जो कि आगरा के सीएमओ हैं, ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच कराने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि एंबुलेंस का जीपीएस डाटा ट्रैक किया जाएगा, और जो भी दोषी होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। यह सकारात्मक पहल हमारे स्वास्थ्य प्रणाली में सुधार की दिशा में एक कदम है।
आरती की घटना ने हमें हमारे स्वास्थ्य सेवाओं की कड़वी सच्चाइयों से मिला दिया है। जितनी जल्दी हम इस समस्याओं का समाधान करेंगे, उतनी ही जल्दी हम अपने समाज को सुरक्षित और स्वस्थ बना सकेंगे। समाज के प्रति हमारी जिम्मेदारी है कि हम ऐसे मामलों की अनदेखी न करें, बल्कि एकजुट होकर बदलाव के लिए खड़े रहें।
इस घटना ने यह भी साबित किया है कि मानवता अभी भी जिंदा है और समाज के उत्थान के लिए हम सभी को मिलकर कार्य करना होगा। केवल इस तरह से हम अपने स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्त्ता में सुधार कर सकेंगे और समाज को एक सकारात्मक दिशा में ले जा सकेंगे।